चिंता रोग क्या है इसके कारण लक्षण व उपचार
इससे पिछले कई ब्लॉग में हमने आपको कुछ ऐसे मानसिक रोगों के बारे में बताया है जो की रोगी को बिल्कुल कमजोर बना देते हैं और इनसे रोगी को कई और रोग भी होने लगते है. और ये सभी खतरनाक मानसिक रोग है तो इस ब्लॉग में हम इसी तरह के एक और मानसिक रोग के बारे में बात करें.
इस ब्लॉग में हम बात करेंगे चिंता रोग के बारे में जो कि एक खतरनाक रोग है और इस रोग को बहुत सारे लोग साधारण समस्या समझ लेते हैं जिससे बाद में उनको और कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती है इसलिए इस रोग के बारे में आपके लिए जानना बहुत जरूरी है इस ब्लॉग में हम इसी रोग के उत्पन्न होने के कारण लक्षण व उपचार आदि के बारे में बताएंगे
चिंता रोग
वैसे तो किसी इंसान का किसी भी चीज या घटना के बारे में चिंता करना एक साधारण बात है लेकिन जब कोई इंसान किसी घटना या किसी चीज के बारे में गहराई से सोचने लगता है या उस घटना या उस स्थिति को लेकर अपने दिमाग में तनाव रखने लगता है और उस चीज के बारे में बार-बार सोचता है तब इस स्थिति को चिंता रोग कहा जाता है
लेकिन अगर कोई इंसान किसी चीज के बारे में ज्यादा गहराई से नहीं सोचता तो वह उस समस्या या उस घटना से नुकसान या के फायदे के बारे में महसूस नहीं कर पाएगा
लेकिन इसके बारे में इतना ज्यादा भी गहराई से नहीं सोचना चाहिए जिससे उसके दिमाग में बुरा असर पड़े तो जिससे वह डर के माहौल में रहने लगे क्योंकि ज्यादातर लोगों में लोगों में चिंता के विकार उत्पन्न होने पर डर का होना आम बात है और यह समस्या एक ऐसी समस्या है जो कि रोगी को बचपन से ही शुरू हो जाती है
और पुरुषों के मुकाबले यह समस्या महिलाओं में ज्यादा होती है और चिंता रोग कई प्रकार का होता है और इन सभी के अलग-अलग कारण अलग-अलग लक्षण भी होते हैं और यह रोगी को अलग-अलग रूप से अपनी चपेट में लेते हैं
चिंता रोग के कारण
Causes of anxiety in Hindi – अगर चिंता के कारणों के बारे में बात की जाए तो इस समस्या का मुख्य कारण यही होता है कि जब किसी इंसान में यह समस्या उत्पन्न हो जाती है तब रोगी आने वाले समय की चीज़ को लेकर डर या भय के माहौल में रहने लगता है जैसे किसी नई जगह पर पहली बार जाना, पहली बार इंटरव्यू देने जाना,
पहली बार एग्जाम देना, किसी रिश्तेदार से पहली बार मिलना, शादी के पहले दिन पत्नी से मिलना आदि इसके अलावा इस समस्या के कई और भी कारण हो सकते हैं बचपन में किसी दर्दनाक घटना का सामना करना, रोगी के दिमाग में किसी बात को लेकर तनाव होना, रोगी को कोई दूसरी गंभीर बीमारी होना जिसके बारे में वह बार-बार सोचता हो,
ज्यादा बच्चों की पढ़ाई लिखाई और पालन-पोषण का बोझ होना, पहली बार शारीरिक संबंध बनाने का डर, रोगी को गुप्त बीमारी होना, रोगी का ज्यादा नशीली दवाओं व ड्रग्स आदि का सेवन करना
चिंता रोग के लक्षण
symptoms of anxiety disorder in Hindi – अगर इस समस्या के लक्षणों के बारे में बात की जाए तो इस समस्या से ग्रस्त रोगी में कई प्रकार के लक्षण देखने को मिल सकते हैं जैसे रोगी के चेहरे पर घबराहट, बेचैनी, थकावट, डर भी दिखाई देना, रोगी को नींद न आना, रोगी का बार-बार किसी घटना को लेकर पूछना,
रोगी के हाथ पैरों में पसीना आना, रोगी के हाथ पैर ठंडे रहना, रोगी की सांसे तेज चलना। रोगी की सांसो में दिक्कत आना, रोगी का किसी घटना को सुनकर जोर से चिल्लाना या रोना, रोगी को सांस लेने में कठिनाई आना, रोगी के हाथ पैर सुन होना, रोगी को चक्कर आना, वह बेहोशी होना,
रोगी के मन में गलत विचार उठना, रोगी का स्वभाव बदल जाना, रोगी को बार-बार गुस्सा आना, रोगी में कमजोरी और सुस्ती आना, इसके अलावा भी रोगी में इस समस्या के कई और लक्षण देखने को मिल सकते हैं
क्या करना चाहिए
- रोगी को हर रोज सुबह सुबह खुली हवा में घूमना चाहिए
- रोगी को हर रोज प्रणाम और व्यायाम आदि करने चाहिए
- रोगी को हमेशा हल्का और सुपाच्य भोजन खाना चाहिए
- रोगी को ज्यादा से ज्यादा फलों का सेवन करना चाहिए
- रोगी को भोजन के साथ कच्ची सब्जी जैसे टमाटर, प्याजमूली, गाजर, हरी मिर्च आदि का सेवन करना चाहिए
- रोगी को सभी के साथ बैठकर हंसी मजाक करते रहना चाहिए
- रोगी को ज्यादा कॉमेडी वाली फिल्म, हंसी मजाक वाले टीवी शो देखने चाहिए
- रोगी को समय-समय पर बाहर घूमने जाना चाहिए
- रोगी को लड़ाई झगड़े वह गृह क्लेश से दूर रहना चाहिए
- रोगी को हमेशा समय पर खाना खाना चाहिए और समय पर सोना चाहिए
- रोगी को किसी घटना के बारे में बार-बार नहीं सोचना चाहिए
- रोगी को इस समस्या के शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही अपना इलाज करवाना चाहिए
क्या नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा तले हुए भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा चीनी और मैदे से बनी हुई भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा उत्तेजक पर पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे शराब चाय कॉफी आदि
- रोगी को ज्यादा नशीली दवाओं व ड्रग का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ज्यादा समय तक अकेले नहीं रहना चाहिए
- रोगी को अपने आप पर भरोसा रखना चाहिए वह किसी घटना के बारे में गहराई से नहीं सोचना चाहिए
- रोगी को अपने शरीर में कब्ज की समस्या उत्पन्न नहीं होने देनी चाहिए
- रोगी को ज्यादा मानसिक तनाव वाले कार्य नहीं करने चाहिए
- लक्षण दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए इस समस्या में देरी नहीं करना चाहिए इससे आपको और भी रोग उत्पन्न हो सकते हैं
लेकिन फिर भी अगर किसी इंसान में यह मानसिक समस्या उत्पन्न हो जाती है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपने टेस्ट आदि करवाने चाहिए और अपना इलाज शुरू करवा देना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसी खतरनाक समस्या है इससे रोगी दिन प्रतिदिन कमजोर होता जाता है और धीरे-धीरे यह समस्या दूसरी कई बड़ी बीमारियों का कारण बन जाती है इसलिए इस समस्या में देरी नहीं करनी चाहिए
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