बालकृष्ण शर्मा का जीवन परिचय, बालकृष्ण शर्मा का जन्म , बालकृष्ण शर्मा को सम्मान, बालकृष्ण शर्मा की साहित्य सेवा, बालकृष्ण शर्मा की रचनाएं , बालकृष्ण शर्मा की मृत्यु
बालकृष्ण शर्मा का जीवन परिचय
बालकृष्ण शर्मा “नवीन” का काव्य राष्ट्रीय चेतना और जनजागृति का काव्य है इन्होंने जहां परतंत्र भारत के सोते हुए लोगों को जगाने का काम किया वही मानवीय भावना से ओतप्रोत प्रेम अनुकूल काव्य की रचना भी की है इन्होंने वीर एवं श्रृंगार दोनों में समान रूप से लिखकर हिंदी काव्य को अमर रचना प्रदान की है नवीन जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई साथ ही भारतीय संस्कृति राष्ट्रीय चेतना और नव युवकों को प्रेरणा देने वाली ओजस्वी रचनाओं को भी लिखते रहे थे संविधान में हिंदी को राजभाषा का पद दिलाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है
बालकृष्ण शर्मा का जन्म
बालकृष्ण शर्मा नवीन का जन्म 8 दिसंबर 1897 ईस्वी में ग्वालियर मध्यप्रदेश में हुआ थाइनके पिता “श्री जमनादास शर्मा” वैष्णो धर्म में दीक्षित थे वे उदयपुर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थान श्रीनाथ द्वार में सह परिवार रहते थे जब इनकी माताजी ने यह देखा कि वहां रहते हुए इनकी शिक्षा में बाधा पड़ती है तब वह इन्हें लेकर मध्यप्रदेश के शाजापुर स्थान में आ गई थी इन्होंने गणेश शंकर विद्यार्थी के सानिध्य में पत्रकारिता और महात्मा गांधी के संपर्क में गांधीवादी विचारों को अपनाया था ग्वालियर से प्रारंभिक शिक्षा लेने के उपरांत इन्होंने उज्जैन से दसवीं और कानपुर से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की थी इसके उपरांत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, श्रीमती एनी बेसेंट एवं श्री गणेश शंकर विद्यार्थी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने पढ़ना छोड़ दिया था अपने राजनीतिक कार्यों के कारण यह ब्रिटिश सरकार के कोपभाजन हुए और अनेक बार जेल गए इनके जेल के साथियों में पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजश्री पुरुषोत्तम दास टंडन, देवदास गांधी, महादेव देसाई आदि थे देश के स्वतंत्रता के बाद यह पहले लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्य रहे यह एक राष्ट्रवादी कवि थे इनका जीवन अपनी मातृभूमि को ही समर्पित रहा | बालकृष्ण शर्मा का जीवन परिचय |
बालकृष्ण शर्मा को सम्मान
1916 के लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन में उनकी भेंट माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त एवं गणेश शंकर विद्यार्थी से हुई थी सन 1920 में बालकृष्ण शर्मा फाइनल में पढ़ रहे थे ,तब वह गांधी जी के ‘सत्याग्रह आंदोलन’ के आह्वान पर कॉलेज छोड़ कर व्यवहारिक राजनीति के क्षेत्र में आ गए थे उन्होंने साल 1921 से 1923 तक हिंदी की राष्ट्रीय काव्यधारा को आगे बढ़ाने वाली पत्रिका ‘प्रभा’ का संपादन भी किया था बालकृष्ण शर्मा जी की साहित्य जीवन की पहली रचना ‘संतु’ नामक एक कहानी थी बालकृष्ण शर्मा नवीन का पहला कविता संग्रह ‘कुंकुम’ 1936 में प्रकाशित हुआ था इसके बाद 1952 से लेकर वह अपनी मृत्यु तक भारतीय संसद के सदस्य भी रहे थे बालकृष्ण शर्मा नवीन सन 1955 ईस्वी में स्थापित राज्य राजभाषा आयोग के सदस्य भी रहे हैं बालकृष्ण शर्मा नवीन को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन 1960 में “पद्म भूषण” से सम्मानित किया गया था | बालकृष्ण शर्मा का जीवन परिचय |
बालकृष्ण शर्मा की साहित्य सेवा
नवीन जी ने अपना साहित्यिक जीवन पत्रकारिता से प्रारंभ किया गणेश शंकर विद्यार्थी के संपर्क में आने के बाद ‘प्रताप’ के प्रधान संपादक भी बने थे राष्ट्रीय स्वर को प्रधानता देने वाली पत्रिका ‘प्रभा’ के भी यह संपादक रहे थे इन्होंने प्रेम, श्रृंगार, राष्ट्रीय भावना, भारतीय संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन आदि विषयों पर ओजस्वी रचनाएं भी लिखी है प्रकृति के विभिन्न रूपों के चित्रण के साथ उनके काव्य में रहस्यवाद भावना के दर्शन भी होते हैं नवीन जी राष्ट्रीय वीर काव्य के प्रणेता थे उनकी रचनाओं में स्वतंत्रता संग्राम की कठोर अनुभूतियां एवं जागरण के सवाल रंजीत हुए हैं राष्ट्रीय आंदोलन के तूफानी दिनों में मस्तक ऊंचा करके, सीना तान कर, मुठिया बांधकर नवयुवक जिस ओज प्रधान गीत को गाया करते थे वह गीत व कविता नवीन जी की रचा करते थे | बालकृष्ण शर्मा का जीवन परिचय |
बालकृष्ण शर्मा की रचनाएं
बालकृष्ण शर्मा ने बहुत सी रचनाएं लिखी है जैसे –
1.उर्मिला – इसमें उर्मिला के जन्म से लेकर लक्ष्मण से पुनर्मिलन तक की कथा वर्णित है इस काव्य में उर्मिला का विरह वर्णन बड़ा ही मार्मिक है
2.कुंकुम-इस गीत संग्रह में यौवन और प्रखर राष्ट्रीयता का स्वर मुखरित है
3.रश्मि रेखा -प्रेम, कला तथा संवेदना की दृष्टि से यह उत्कृष्ट काव्य है
4.अपलक- इसमें प्रेम और भक्ति से पूर्ण कविताएं संकलित है
5.प्राणार्पण- यह गणेश शंकर विद्यार्थी के बलिदान पर लिखा गया खंडकाव्य है
6.विनोवा सतवन- इसमें विनोबा भावे के भूदान यज्ञ की प्रशस्ति में लिखे गए पद हैं
बालकृष्ण जी की मातृभाषा थी इस कारण इन्होंने ब्रजभाषा को आधुनिक साहित्य में समृद्ध किया किंतु इनकी भाषा में ब्रजभाषा के साथ खड़ी बोली का प्रयोग अकुशलता से हुआ है इस अवस्था का कारण है कि राजनीतिक व्यवस्था के कारण यह भाषा के संस्कार के प्रति ध्यान नहीं दे सकते थे और इस कारण यह भी था कि यह हृदय के उदगारो की अभिव्यक्ति के लिए कविता लिखते थे बालकृष्ण शर्मा की कविताओं में देश प्रेम की भावना उत्कृष्ट रूप से उजागर हुई है
नवीन जी की कविताओं में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भोगे हुए अनुभव जीवंत है और उन से उपजे जागृति के स्वर भी मुखर हैं देश प्रेम और राष्ट्रीय चेतना से सफल होने के परिणाम स्वरुप रचनाओं में प्रखर है तो प्रेम प्रवण अभिव्यक्ति में कोमलता निहित है प्रेमाकुल संवेदनाएं मानवीय भावनाओं से सराबोर है बालकृष्ण शर्मा जी ने अपनी रचनाओं में तत्सम शब्दों का प्रयोग किया है इनकी सैलरी ओजपूर्ण एवं प्रबंध है इन्होंने भावों के अनुकूल छंद योजना उत्कृष्ट की है इनकी रचनाओं में प्रकृति के विविध रूपों को दर्शाया गया है
बालकृष्ण शर्मा की मृत्यु
देश के मशहूर कवि बालकृष्ण शर्मा नवीन का हृदय की गति रुक जाने से 29 अप्रैल 1960 को निधन हो गया था बालकृष्ण शर्मा जी छायावाद के समानांतर बहने वाली प्रेम और श्रृंगार की धारा के कवि हैं इनका अधिकांश काव्य मानवता तथा राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत है जिसके कारण हिंदी साहित्य में इनको सम्माननीय स्थान प्राप्त है
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