ईसाई धर्म का इतिहास, ईसा मसीह का जन्म, ईसा मसीह को क्रॉस पर चढ़ाया गया, ईसाई धर्म का प्रथम केंद्र , ईसाई धर्म के सात संस्कार,
ईसा मसीह का जन्म
ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह है यह एक यहूदी थे इसका अर्थ होता है मुक्तिदाता ईसा मसीह का जन्म भूमध्य सागर के किनारे स्थित है यहूदियों के प्रदेश गुड़िया के बेथलम गांव में 25 दिसंबर चार ईसा पूर्व को एक गुडसाल साल में हुआ था इस समय जुड़िया में यहूदियों का राजा हेराड था वही रोमन साम्राज्य में सम्राट आगस्टस का शासन था ईशा की मां मेरी नाजरेथ गांव की निवासी थी ईशा के गर्भ के समय मेरी कुंवारी थी किंतु जोसेफ नामक बढ़ई से उसकी मंगनी हो चुकी थी जोसेफ कहीं शादी से इनकार न कर दें इसलिए देववाणी ने जोसेफ को संकेत दिया – जोसेफ मरियम के गर्भ में भगवान का पुत्र है तुम शंका ना करना जोसेफ ने देववाणी को ईश्वरीय आदेश मानकर मरियम से विवाह कर लिया ईसा मसीह का बाल्यकाल गैलिली प्रांत के नाजरेथ नगर में बीता जहां उसने बढ़ई का कार्य किया था इन्होंने अपने पिता का व्यवसाय अपना लिया था ईसा मसीह ने सबसे पहले गैलिली में उपदेश देने प्रारंभ किए थे ईसा मसीह ने स्वयं को यहूदियों का राजा तथा ईश्वर का पुत्र घोषित कर ईश्वर का राज्य स्थापित होने का दावा किया जिससे कट्टरपंथी पुरोहित उन से असंतुष्ट होकर उनका विरोध करने लगे थे | ईसाई धर्म का इतिहास |
ईसा मसीह को क्रॉस पर चढ़ाया गया
29 ईसवी में ईसा मसीह ने यहूदियों के प्रमुख केंद्र “जेरूसलम” में प्रवेश किया इस समय यहूदी लोग अपना धार्मिक उत्सव “फिस्ट ऑफ पासमोर” मना रहे थे ईशा की लोकप्रियता से यहूदी पुरोहित तथा धनिक वर्ग क्रोधित हुआ और उन्होंने तत्कालीन रोमन गवर्नर पॉन्टियस पायलट के पास ईशा की बार बार शिकायतें की थी ईशा के प्रमुख 12 शिष्य -पीटर, एंड्रयू, जेम्स, जोंस, थॉमस, मैथ्यू, जेम्स जूनियर, साइमन देशभक्त और जुडास थे जुडास ने चांदी के 30 सिक्कों के लालच में आकर ईसा मसीह को पकड़वा दिया था
इसके बाद 29 ईसवी में शुक्रवार के दिन जेरूसलम नगर के बाहर ‘गुलगोथा’ की पहाड़ी पर दो चोरों के साथ ईसा मसीह को सूली पर चढ़ा दिया गया था जिस समय ईसा मसीह को क्रॉस पर लटकाया गया तब उन्होंने कहा था हे ईश्वर इन्हें क्षमा करना यह नहीं समझते कि यह क्या कर रहे हैं ईसा मसीह अपनी मृत्यु के 40 दिन तक अपने अनुयायियों के बीच देवी ज्योति से युक्त होकर प्रकट होते रहे और उन्हें उपदेश देते रहे इस घटना को ईसाई धर्म में “रिसरेक्शन” कहा जाता है ईशा ने उपदेश दिया था कि जो तुमसे प्यार करते हैं उनसे तुमने प्यार किया तो कौन सी बड़ी बात कि मैं तुमसे कहता हूं कि तुम अपने दुश्मन से प्यार करो जो तुम्हारे एक गाल पर थप्पड़ मारे अपना दूसरा गाल भी उसके सामने कर दो, जो तुम्हारी चादर छीने उसे अपना कुर्ता भी उतार कर दे दो धनिक वर्ग पर व्यंग्य करते हुए ईशा ने कहा था -सुई के छेद से ऊंट भले ही निकल जाए, परंतु धनिक व्यक्ति स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकता है ईशा के बाद उनके उपदेशों का प्रचार करने का श्रेय उनके 12 शिष्यों को दिया जाता है जिन्हें ईसाई इतिहास में “एपोसलस” कहा जाता है | ईसाई धर्म का इतिहास |
ईसाई धर्म का प्रथम केंद्र
जेरूसलम ईसाई धर्म के प्रचार का प्रथम केंद्र था जिस कारण इसे ईसाई समाज की जननी तथा सबसे पवित्र तीर्थ स्थान माना जाता है रोमन सम्राट टाइबीरीयस के शासनकाल में ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था रोमन सम्राट “क्लाइडियस” के शासनकाल में यरूशलम में सेंट पीटर ने ईसाई जगत का पहला चर्च बनवाया था सेंट पीटर रोम का प्रथम पोप था सेंट पीटर को 67ईस्वी में रोमन सम्राट नीरो ने मृत्युदंड दिया था सेंट पीटर ने ही ईसाई धर्म के पवित्र 7 संस्कारों का प्रचलन किया था और गिरजाघरों के पादरियों पर बिशप नामक धर्माधिकारी की व्यवस्था की थी
42 वी ईस्वी में ईशा के अनुयायियों को सीरिया के एनटीयाक नगर में पहली बार ईसाई नाम से संबोधित किया गया सेंट पॉल ने ईसाई धर्म के सिद्धांतों को वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया था जिस कारण उन्हें ईसाई धर्म का दूसरा संस्थापक भी कहा जाता है सेंट पॉल को प्रथम ईसाई धर्म प्रचारक माना जाता है सेंट पॉल को 62 वी ईस्वी में नीरो के शासनकाल में रोम में प्राण दंड दिया गया था रोमन “सम्राट डायोकलेशियन” के काल में गिरजाघरों की संपूर्ण संपत्ति को लूट लिया गया और बाइबिल सहित अन्य लेख जला दिए गए थे इसके बाद रोमन सम्राट गैलेरीयस ने 313 ईसवी में ‘एडिक्ट ऑफ मिलान’ की घोषणा द्वारा ईसाइयों पर किए जाने वाले अत्याचारों को बंद कर उन्हें धार्मिक उपासना की स्वतंत्रता प्रदान की थी
ईसाई धर्म ग्रहण करने वाला प्रथम रोमन सम्राट कांस्टेंनटाइन थे इसके बाद रोमन सम्राट थियोड़ीसीयस ने ईसाई धर्म को राज्य धर्म घोषित किया था इसके बाद 455 ईसवी में सम्राट वैलेंटाइन तृतीय ने समस्त जगत पर पोप का स्वामित्व स्वीकार कर लिया कैथोलिक चर्च की प्रथम विश्व सभा का आयोजन सम्राट कांसटेनटाइन के समय 325 ईसवी में निकिया में वही द्वितीय विश्व सभा का आयोजन सम्राट थियोड़ीसीयस के समय 381 ईसवी मे कुस्तुनतुनिया में किया गया | ईसाई धर्म का इतिहास |
चर्च के विषय में
चर्च यूनानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ईश्वर अर्थात ईश्वर के निवास स्थान को चर्च कहा जाता है सर्वप्रथम चर्च की स्थापना रोमन सम्राट क्लोडीयस के काल में सेंट पीटर द्वारा जेरूसलम में की गई थी चर्च का मुखिया बिशप है वही रोम का बिशप पोप कहलाता है चर्च की सबसे छोटी इकाई को पेरिस कहा जाता है जिसका मुखिया पादरी कहलाता है 1054 ईस्वी में ईसाइयों का परंपरागत धार्मिक संगठन दो भागों में विभाजित हो गया पूर्वी रोमन साम्राज्य का चर्च ग्रीक चर्च कहलाया वही रोम का चर्च रोमन कैथोलिक चर्च कहलाया ग्रीक चर्च परंपरा से चले आ रहे धार्मिक सिद्धांतों व उपासना विधि को मानता है वहीं रोमन कैथोलिक चर्च पोप की सर्वोच्च सत्ता को स्वीकार करता है
कालांतर में ईसाई धर्म कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट नामक दो भागों में विभाजित हो गया कैथोलिक लोग पॉप में विश्वास रखते हैं वही प्रोटेस्टेंट लोग बाइबल में श्रद्धा रखते हैं ईसाइयों का प्रमुख धर्म ग्रंथ बाइबल दो भागों में बांटा गया है -ओल्ड टेस्टामेंट और न्यू टेस्टामेंट, ओल्ड टेस्टामेंट में ईसा से पूर्व के यहूदी पैगंबरों वह उनका इतिहास है जबकि न्यू टेस्टामेंट में ईसा मसीह की शिक्षाएं व जीवन चरित्र का उल्लेख है न्यू टेस्टामेंट क्रमशः मार्क,मैथ्यू,लयुक और जॉन नामक चार व्यक्तियों द्वारा रचित ईशा का जीवन चरित है, जिसे गोस्पेल कहा जाता है गोस्पेल का शाब्दिक अर्थ है- समाचार, बाइबल पहले यहूदियों की भाषा हिब्रू में लिखी गई थी बाद में इसका यूनानी भाषा में अनुवाद हुआ था बाइबिल का अंग्रेजी अनुवाद 17वीं शताब्दी में इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम ने करवाया था सैंट अगस्टाइन की लेटिन भाषा में लिखी गई रचना का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद “सिटी ऑफ गॉड” नाम से किया गया | ईसाई धर्म का इतिहास |
ईसाई धर्म के सात संस्कार
ईसाई धर्म के सात संस्कारों का प्रचलन सेंट पीटर ने किया था
1.नामकरण – नवजात बच्चे को चर्च की सदस्यता देना
2.प्रमाणीकरण -12 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर बच्चे को धर्म उपदेश द्वारा चर्च की सदस्यता देना
3.पवित्र भोजन – पूजा में रखी गई रोटी में मदिरा का प्रसाद के रूप में वितरण
4.अतिश्य अभिषेक – मरणासन्न व्यक्ति को स्नान कराकर आत्मा की शांति एवं स्वर्गरोहन की कामना करना
5.प्रायश्चित -पापों की मुक्ति का विधान
6.अध्यादेश – मान्यता प्रदान जो केवल पादरियों के लिए था
7.विवाह संस्कार- यह अंतिम संस्कार है
ईसाई धर्म के त्योहार
1.क्रिसमिस डे – यह त्यौहार ईसा मसीह के जन्म दिवस के उपलक्ष में मनाया जाता है
2.गुड फ्राइडे- ईसा मसीह को शुक्रवार को क्रॉस पर चढ़ाए जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है इसमें ऐसा माना जाता है कि ईसा ने अपना बलिदान देकर मनुष्य को ईश्वर से मिलाया था
3.ईस्टर संडे – मृत्यु के तीसरे दिन रविवार को ईशा के पुनः प्रकट होने के कारण यह दिन प्रसन्नता और आशा के दिन के रूप में मनाया जाता है कहा जाता है कि इस दिन ईसा ने पुनर्जीवित होकर 40 दिन तक उपदेश दिए थे सर्वप्रथम दर्शन अपने शिष्य पीटर को दिए थे | ईसाई धर्म का इतिहास |