History

जहांगीर का इतिहास

जहांगीर का इतिहास, जहांगीर का जन्म, जहांगीर की शिक्षा, जहांगीर का विवाह, जहांगीर के विद्रोह , जहांगीर का राज्याभिषेक, जहांगीर और खुसरो के मध्य युद्ध, जहांगीर की मृत्यु

जहांगीर का इतिहास

जहांगीर ने अपनी एक आत्मकथा की रचना की थी जिसका नाम था तुजुक- ए -जहांगीरी इसकी रचना फारसी भाषा में की गई थी जहांगीर ने निसार नामक सिक्के का प्रचलन किया था जहांगीर के शासनकाल में कैप्टन हॉकीस, टॉमस रो ,एडवर्ड टेरी जैसे यूरोपीय यात्री आए थे जहांगीर के मकबरे का निर्माण लाहौर के निकट शाहदरा में नूरजहां ने कराया था 

 जहांगीर का जन्म

जहांगीर का जन्म 31 अगस्त 1569 ईसवी को फतेहपुर सीकरी में हुआ था जहांगीर का बचपन का नाम “सलीम” था इनका पूरा नाम नूरुद्दीन मोहम्मद जहांगीर था जहांगीर का जन्म बड़ी ही तीर्थ यात्रा एवं प्रार्थना आदि के बाद प्रसिद्ध संत शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से हुआ था सलीम के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए सम्राट अकबर ने अपने पुत्र का नाम सलीम रखा था अकबर सलीम को “शेखू बाबा” कहा करते थे जहांगीर के पिता का नाम “अकबर” और माताजी का नाम “मरियम उज़-ज़मानी” (जोधा बाई)  था | जहांगीर का इतिहास |

जहांगीर की शिक्षा

जहांगीर की प्रारंभिक शिक्षा बैरम खान के पुत्र अब्दुर्रहीम खानखाना के सरंक्षण में हुई थी अब्दुर्रहीम अकबर के नौ रत्नों में से एक थे उनसे ही  जहांगीर को तुर्की और फारसी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त हुआ था जहांगीर ने थोड़े ही समय में फारसी एवं तुर्की भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था और इसके साथ साथ ही उन्होंने अस्त्र शास्त्र में भी अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था जहांगीर को संगीत कला एवं चित्रकला का भी अच्छा ज्ञान था उन्होंने गणित, इतिहास और भूगोल का भी अच्छे से अध्ययन कर लिया था 

जहांगीर का विवाह

जहांगीर ने सम्राट अकबर की राजपूत नीतियों को जारी रखा और उन्होंने राजपूत राजाओं के साथ अपने संबंधों को सुदृढ़ किया उनकी मां एक राजपूत राजकुमारी थी और उसने खुद ने एक हिंदू राजकुमारी से विवाह किया था जहांगीर का विवाह 15 वर्ष की आयु में सन 1585 ईसवी में आमेर के “राजा भगवानदास की पुत्री मान बाई” के साथ संपन्न हुआ था मान बाई को जहांगीर ने शाह बेगम की उपाधि प्रदान की थी यह विवाह हिंदू एवं मुस्लिम दोनों प्रकार के रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था मान बाई से खुसरो का जन्म हुआ था और खुसरो के विद्रोह से दुखी होकर मानबाई ने आत्महत्या कर ली थी इसके अतिरिक्त जहांगीर के और भी विवाह हुए उनमें मारवाड़ के कोटा “राजा उदय सिंह की पुत्री मानवती का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है

इसके अतिरिक्त जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर एवं अन्य कई राजघरानों की राजकुमारियां से भी उनका विवाह हुआ था इसके अंत: पुर में स्त्रियों की संख्या 800 बताई जाती है उन्होंने शेर अफगान की विधवा नूरजहां से विवाह किया था जो कि इतिहास में काफी उल्लेखनीय घटना है जहांगीर की पत्नियों के नाम मान बाई ,जगत गोसाई, नूर जहां थी 

जहांगीर के विद्रोह 

जहांगीर के विद्रोह का कार्यकाल सन 1599 ईसवी से 1604 तक माना जाता है जिस समय अकबर असीरगढ़ में डेरा डाले हुए था उसी समय सलीम सम्राट पद पाने की लालसा में आगरा होता हुआ इलाहाबाद पहुंचा और अपने को स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया इस बात का पता जब अकबर को चला तो उन्होंने अपने पत्र द्वारा सलीम को समझाने का प्रयत्न किया परंतु सलीम पर इस पत्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ा सलीम की विमाता सलीमा बेगम ने इलाहाबाद जाकर उसे समझाया एवं सम्राट के पास वापस बुला लाई

सम्राट को उसने 770 हाथी एवं 2000 सोने की मोहरे भेंट की सन 1603 ईसवी में सलीम ने फिर से इलाहाबाद में जाकर सम्राट के विरुद्ध विद्रोह किया किंतु इस बार भी उसे आगरा आकर सम्राट अकबर से क्षमा मांगनी पड़ी सम्राट ने इस बार भी उसे माफ कर दिया जहांगीर ने अकबर के विरुद्ध दो बार विद्रोह किया था परंतु दोनों बार अकबर ने उसे माफ कर दिया था | जहांगीर का इतिहास |

जहांगीर का राज्याभिषेक 

अकबर की मृत्यु के बाद 24 अक्टूबर 1605 ईसवी को सलीम ने नूरुद्दीन मोहम्मद जहांगीर बादशाह गाजी की उपाधि धारण की और आगरा में अपना राज्याभिषेक करवाया था उस समय जहांगीर की आयु केवल 36 वर्ष की थी राजगद्दी पर बैठने के बाद जहांगीर ने मार्च 1606 में बड़ी धूम-धाम से नोरोज का प्रथम उत्सव मनाया था यह उत्सव 17-18 दिनों तक चला था और इसके अंत में राज्य के राज भक्तों एवं सेवकों को उदारता पूर्वक पुरस्कार भी दिए गए थे

उन्होंने 1605 ईसवी में कई उपयोगी सुधार लागू किए थे जहांगीर ने कान, नाक और हाथ आदि काटने की सजा को रद्द किया था शराब और अन्य नशे आदि वाली वस्तुओं का हकमा बंद करवा दिया था किसी की भी फरियाद सुनने के लिए उन्होंने अपने महल की दीवार से जंजीर लटका दी जिसे न्याय की जंजीर कहा जाता था

जहांगीर और खुसरो के मध्य युद्ध

 अप्रैल 1606 में खुसरो ने विद्रोह किया और भैरोवाल नामक स्थान पर पिता पुत्र के मध्य युद्ध हुआ जिसमें खुसरो पराजित हुआ और सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव के शरण में चला गया इसी कारण जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया लेकिन चंद्र शाह नामक व्यक्ति के कहने पर गुरु अर्जुन देव को फांसी की सजा सुनाई गई थी जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव को शहजादा खुसरो का विद्रोह करने की सहायता करने के कारण फांसी की सजा दी थी

इसके बाद जहांगीर ने अपने पुत्र खुसरो को अंधा करवा दिया था इसके बाद जहांगीर ने शहजादे खुर्रम को मेवाड़ के राणा अमर सिंह के विरुद्ध सैनिक अभियान पर भेजा जिसमें शहजादा खुर्रम को सफलता प्राप्त हुई और उसने अमर सिंह को मुगलों से संधि करने के लिए बाध्य कर दिया था जहांगीर ने 1620 ईसवी में कांगड़ा पर विजय प्राप्त की थी तथा 1626 ईसवी में महावत ख़ां के विद्रोह को कुचल दिया था 

जहांगीर की मृत्यु

जहांगीर को मदिरापान की बुरी आदत थी और इसी आदत के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया था उन्हें दमा की बीमारी भी हो गई थी और सन 1626 से 1627 ईसवी तक उनका स्वास्थ्य बहुत ही बिगड़ गया था वह नूरजहां एवं आसिफ खान के साथ मार्च 1627 ईसवी में कश्मीर गया था वहां से लौटते समय वह भीमसार के पास ठहरा था और वहां पर उनकी बीमारी और अधिक बढ़ गई थी योग्य से योग्य चिकित्सक भी उन्हें ठीक नहीं कर पा रहे थे नवंबर 1627 में जहांगीर की मृत्यु लाहौर में हुई और उन्हें वहीं पर दफनाया गया था

| जहांगीर का इतिहास |

मानबाई हिस्ट्री इन हिंदी, जहांगीर का शासनकाल क्या है, जहांगीर की कितनी पत्नियां थी, जहांगीर का इंसाफ सलीम-अनारकली की शादी, जहांगीर की मृत्यु कैसे हुई, शाहजहां का इतिहास. जहांगीर की पहली पत्नी का क्या नाम था

Back to top button