नंदलाल बसु का जीवन परिचय, नंदलाल बसु का जन्म, नंदलाल बसु के चित्रों का माध्यम, नंदलाल बसु की रचनाएं, नंदलाल बसु की मृत्यु
नंदलाल बसु का जीवन परिचय
कोलकाता स्कूल ऑफ आर्ट्स के प्रिंसिपल हवेल तथा वाइस प्रिंसिपल अवनींद्र नाथ टैगोर के सामने एक 30 वर्षीय युवक औरत स्कूल में प्रवेश के लिए सिफारिश प्रमाण पत्र के साथ अपनी बनाई पेंटिंग “महाश्वेता” को लेकर उपस्थित हुआ हवेल ने उसकी पेंटिंग को देखते ही उसमें भावी चित्रकार के गुण देखें और आर्ट स्कूल में प्रवेश दे दिया उनका नाम था नंदलाल बसु
अपने झोले के अंदर फूल, रंगीन पत्थर मोर का पंख आदि एकत्रित करते थे नंदलाल बसु रविंद्र नाथ टैगोर के साथ जापान ,चीन, मलय, वर्मा आदि की यात्रा की थी सरस्वती विषय पर नंदलाल के चित्र का शीर्षक वीणावादिनी था इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट की प्रथम प्रदर्शनी में नंदलाल बोस को ₹500 का पुरस्कार मिला था | नंदलाल बसु का जीवन परिचय |
नंदलाल बसु का जन्म
नंदलाल बसु 3 दिसंबर 1882 ईसवी में बिहार के हवेली खड़गपुर जिला मुंगेर में नंदलाल बसु का जन्म हुआ था इनके पिता जी का नाम “पूर्ण चंद बसु” था इनके पिताजी जंगलों के कामकाज का निरीक्षण करते थे इनकी माता जी का नाम ‘क्षममणि’ था जब नंदलाल बसु 8 वर्ष के थे तब इनकी माता जी का निधन हो गया था इनके भाई का नाम ‘अतुल मित्र’ था नंदलाल बसु का पढ़ाई में मन कभी नहीं लगा उनकी रूचि आरंभ से ही चित्रकला की और थी
इनकी प्रारंभिक शिक्षा खुदीराम बसु माध्यमिक विद्यालय से हुई थी कोलकाता आर्ट स्कूल से चित्रकला की विधिवत शिक्षा लेने के बाद कोलकाता गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स में 1905 ईस्वी से 1910 ईस्वी तक “अवनींद्र नाथ टैगोर” से कला की शिक्षा ली थी उनकी प्रतिभा और मौलिक शैली को देखते हुए गुरु रविंद्र नाथ द्वारा स्थापित ‘विचित्र’ नामक कला शिल्प केंद्र और ओरिएंटल स्कूल ऑफ आर्ट्स का इन्हें प्रिंसिपल नियुक्त किया गया
इसमें गुरु रविंद्र नाथ टैगोर ने विश्व भारती कला भवन का अध्यक्ष बनाकर शांतिनिकेतन लेकर आए और यहां कला भवन के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया कला भवन में रहकर नंदलाल बसु आस-पास के गांव में जाकर संथाल स्त्री पुरुष एवं कन्याओं के चित्र बनाएं नंदलाल बसु ने टेंपरा, वॉश,जल रंग, पेंसिल , स्याही, रंगीन पेन, पहन लीनाकोट, ड्राइप्वाइंट, माउंट बोर्ड पर टेंपरा आदि विभिन्न पद्धतियों से लगभग 10,000 से अधिक चित्रों का निर्माण किया था
नंदलाल बसु अवनींद्र नाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे यह मास्टर मोशाय के नाम से प्रसिद्ध थे स्टेला क्रमरिश ने नंदलाल बसु के चित्रों की चर्चा करते हुए कहा है उनके रेखाचित्र ऑटोग्राफ चित्र और कार्ड चित्र आधुनिक भारतीय चित्रकला के बहुमूल्य रतन है नंदलाल बोस ने टेंपरा शैली में बंगाल शैली जो कि वाश शैली पर आधारित थी उसका चित्रण किया इसलिए इसे “नव बंगाल शैली” कहा गया | नंदलाल बसु का जीवन परिचय |
नंदलाल बसु के चित्रों का माध्यम
नंदलाल बसु ने अजंता और बाघ गुफाओं के भित्ति चित्रों को देखकर उनकी प्रतिलिपिया तैयार की इस प्रकार के भित्ति चित्र को उन्होंने कला भवन शांतिनिकेतन तथा बड़ौदा के कीर्ति मंदिर में बनाए जिस पर अजंता का प्रभाव दिखाई देता है नंदलाल बसु गांधी जी से अत्यधिक प्रभावित थे वे बापू की तरह चरखा कातते थे उन्होंने “असहयोग आंदोलन” और उसके बाद 1930 ईस्वी में “नमक आंदोलन” में भाग लिया था
उन्होंने गांधीजी का ‘लीनोकट’ तकनीक से ‘डंडीकुच’ नामक चित्र बनाया राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आग्रह पर ‘चित्र साधना घर के लिए मत करो’ के आह्वान पर बसु ने अनेक चित्रों का निर्माण किया था जगदीश बोस के कहने पर इन्होंने महाभारत से संबंधित चित्र विज्ञान मंदिर में बनाए थे नंदलाल बसु ने लखनऊ के कांग्रेस अधिवेशन में छात्रों के साथ मिलकर भारत कला प्रदर्शनी आयोजित की थे 1937-38 ईस्वी में फैजपुर और हरीपुरा कांग्रेस अधिवेशन में मंच व गेट की सज्जा में योगदान दिया
इस कलात्मक सज्जा में उन्होंने भारतीय ग्रामीण जीवन का अवलोकन चित्रों के माध्यम से किया था इस विशेष पोस्टर श्रंखला में स्त्री की अध्यात्मिक शक्तियां चित्रित हुई एक अन्य शीर्षक ‘जमीन जोतने वाला’ जो टेंपरा माध्यम में चित्रित किया गया यह चित्र नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली में संरक्षित है| नंदलाल बसु का जीवन परिचय |
नंदलाल बसु की रचनाएं
तत्कालीन भारत के प्रधानमंत्री ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ के आमंत्रण पर नंदलाल बसु ने भारतीय संविधान की मूल प्रति को अपनी चित्रकारी से सजाया संविधान के कुल 22 भागों के लिए 22 चित्र बनाए थे नंदलाल बसु ने राष्ट्रीय पुरस्कारों जैसे ‘भारत रत्न’ और ‘पदम श्री’ के प्रतीक चिन्हों को डिजाइन किया बसु ने कला संबंधी पुस्तकें भी लिखी जैसे शिल्पकथा, रुपावली व शिल्पाचार्य उनकी प्रमुख रचनाएं हैं नंदलाल बसु ने कई काव्य संग्रह जैसे चयनिका गीत वितान आदि को चित्रित किया
डॉक्टर आनंद कुमार स्वामी और सिस्टर निवेदिता का संयुक्त लेखन में मित्र मैथ्स एंड लीजेंड ऑफ द हिंदू एंड बुद्धिस्ट के लिए चित्र बनाएं नंदलाल बसु के प्रमुख चित्र है जैसे- सती का देह त्याग, करण का सूर्य पूजन ,काली नृत्य, महिषासुर, मर्दिनी ,संथाली कन्या ,बसंत, पतझड़ ,दांडी मार्च ,उमाशिव, सबरी, उषाकिरण ,लक्ष्मी, अहिल्या आदि नंदलाल बसु ने 15 फिट लंबा चित्र 1 घंटे में पांडवों का हिमालय आरोहण बनाया था इन्होंने सन् 1928 में इटालियन म्यूरल तकनीक में “दूल्हे की सवारी” विशाल भित्ति चित्र बनाया था | नंदलाल बसु का जीवन परिचय |
नंदलाल बसु को प्राप्त उपाधि
नंदलाल बसु को काशी विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन, कोलकाता विश्वविद्यालय आदि संस्थानों से डी. लिट की उपाधि से सम्मानित किया गया था उनकी उपलब्धि को देखते हुए सन् 1954 में भारत सरकार ने नंदलाल बसु को ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया था
नंदलाल बसु की मृत्यु
सदारण चप्पल, आंखों में चश्मा, कुर्ता पजामा, जवाहर बंडी और चादर की तह लगाकर दोनों कंधों पर ओढ़ लेने वाले आचार्य नंदलाल बसु की 16 अप्रैल 1966 ईस्वी को कोलकाता में मृत्यु हो गई नंदलाल बसु की चित्रकारी में एक मनमोहक जादू था जो सभी कला प्रेमियों को अपनी और आकर्षित कर लेता था उनकी चित्रकारी को एशिया के साथ-साथ पश्चिम में भी काफी सम्मान मिला अपने अथक कला साधना और निष्ठा पूर्ण परिश्रम से परंपरागत भारतीय कला को नया मोड़ देने वाले नंदलाल बसु एक सफल चित्रकार ही नहीं थे बल्कि कलाकारों की अनेक पीढ़ीयो के लिए प्रेरणा स्त्रोत थे | नंदलाल बसु का जीवन परिचय |