राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान में अंतर, राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को कब अपनाया गया, राष्ट्रीय गीत का इतिहास, राष्ट्रीय गीत किसने लिखा, राष्ट्रीय गीत कौन सा है
राष्ट्रगान के विषय में
में विश्व में सबसे पुराना राष्ट्रगान ग्रेट ब्रिटेन का “गॉड सेव दी क्वीन” है जिसे 1825 में राष्ट्रगान के रूप में वर्णित किया गया था 18 वीं सदी के मध्य से ही यह देश प्रेम के गीत के रूप में लोकप्रिय रहा तथा राजसी समारोहों में गाया जाता था 19वीं तथा 20 वीं सदी के आरंभ में अधिकांश यूरोपीय देशों ने ब्रिटेन का अनुसरण किया और कुछ राष्ट्रगान खास उद्देश्य से लिखे गए जबकि अन्य को पहले से मौजूद धुनों से अपनाया गया था
भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ की रचना नोबेल पुरस्कार प्राप्त भारतीय कवि रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखा गया है यह 1911 में बांग्ला भाषा में लिखा गया था इसके हिंदी संस्करण को भारतीय संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकृति प्रदान की गयी थे ‘जन गण मन’ को पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में गाया गया था इस गीत का प्रकाशन ‘भारत विधाता’ शीर्षक से सर्वप्रथम तत्वबोधिनी नामक पत्रिका में जनवरी 1912 में किया गया था
जन गण मन का वर्ष 1919 में मॉर्निंग सॉन्ग ऑफ इंडिया शीर्षक से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया राष्ट्रगान में उन्हीं राज्यों का वर्णन मिलता है जो उस समय ब्रिटिश शासन के अधीन थे जैसे- पंजाब, सिंध ,गुजरात, मराठा आदि लेकिन उस समय जो राज्य पुर्तगाल के अधीन थे उनका इसमें उल्लेख नहीं किया गया था गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने 1911 में एक कविता की रचना की थी जो 5 पदों में थी कविता के पहले पद को ही राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया है ‘जन गण मन’ बंगाली भाषा में लिखा गया है जिसमें संस्कृत शब्दों की अधिकता है इसे सिर्फ संज्ञा शब्दों के प्रयोग से लिखा गया है
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस गीत का अनुवाद हिंदी तथा उर्दू में करवाया था जिसे कैप्टन आबिद अली ने अनुवाद किया था राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के पूर्ण संस्करण को 52 सेकंड में गाया जाता है इसका एक संक्षिप्त रूप भी है जिसे 20 सेकंड में गाया जाता है राष्ट्रगान के बोल तथा धून को खुद रविंद्र नाथ टैगोर ने आंध्र प्रदेश के मदनापल्ली में तैयार की थी आज भी उनके बनाए धुन को ही प्रयोग में लाया जाता है कानून के मुताबिक राष्ट्रगान गाने के लिए किसी को भी बाध्य नहीं किया जा सकता राष्ट्रगान गाने अथवा बजने के दौरान अगर कोई व्यक्ति शांतिपूर्वक खड़ा रहता है तो इसे राष्ट्रगान या राष्ट्र के प्रति कोई अपमान नहीं माना जाता
शांतिपूर्वक खड़े रहने से राष्ट्रगान का सम्मान होता है राष्ट्रगान के नियमों का पालन नहीं करने तथा राष्ट्रगान का अपमान करने वाले व्यक्ति के खिलाफ धारा- 3 के तहत कार्रवाई की जाती है भारत सरकार के अनुदेशकों के अनुसार फिल्मों के प्रदर्शन के दौरान यदि फिल्म के किसी भाग में राष्ट्रगान बजे तो खड़ा होना या गाना आवश्यक नहीं है परंतु अब सुप्रीम कोर्ट ने फिल्मों में राष्ट्रगान को गाने या बजाने पर रोक लगा दी है इसलिए सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान को गाया जाता है और इस के सम्मान में लोगों को खड़ा किया जाता है
कभी-कभी इस बात का जिक्र होता है कि रविंद्र नाथ टैगोर ने इस गीत की रचना अंग्रेज जॉर्ज पंचम की प्रशंसा में लिखा था जबकि खुद रविंद्र नाथ टैगोर ने एक पत्र 1939 में लिखकर इस बात को खारिज कर दिया था बेसेंट थियोसॉफिकल सोसायटी के प्रिंसिपल और कवि जेम्स एच. की पत्नी मारगेरेट ने राष्ट्रगान के अंग्रेजी अनुवाद के लिए म्यूजिकल नोटेशंस तैयार किए हैं संस्कृत निष्ठ बंगाली में लिखे गए राष्ट्रगान का उर्दू हिंदी में अनुवाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने करवाया था साल 2005 में कई लोगों ने प्रदर्शन किया और राष्ट्रगान से सिंध शब्द को कश्मीर से बदलने की मांग की इसके बदले में दलील दी गई कि अब सिंध पाकिस्तान में है इसलिए इसे राष्ट्रगान से हटा देना चाहिए | राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान में अंतर |
राष्ट्र गीत के विषय में
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित ‘वंदे मातरम’ गीत को भारत का राष्ट्रीय गीत बनाया गया है बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 1876 ई. को बंगाल के कांतल पांडा नाम के गांव में इस गीत की रचना की थी वंदे मातरम गीत के पहले 2 पद संस्कृत में तथा बाकी पद बांग्ला भाषा में है सबसे पहले इस गीत को 1896 में ‘कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन’ में गाया गया था यह गीत आनंदमठ नामक पुस्तक में शामिल किया गया था पहली बार अरबिंदो घोष ने इस गीत का अंग्रेजी में और ‘आरिफ मोहम्मद खान’ ने इस का उर्दू में अनुवाद किया
वंदे मातरम का स्थान राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ के बराबर है यह गीत स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा जब 1970-80 के दशक में ब्रिटिश शासकों द्वारा सरकारी समारोहो ‘सेव द क़्वीन’ गीत गाए जाने को अनिवार्य कर दिया तो बंकिम चंद्र चटर्जी ने इसके विकल्प के तौर पर वंदे मातरम गीत के प्रथम 2 पदों की रचना 7 नवंबर 1876 ईस्वी को की थी इसके बाद बंकिम चंद्र चटर्जी ने 1882 ई. में जब आनंदमठ नामक बांग्ला उपन्यास लिखा गया तब इस गीत को भी उन्होंने उस में शामिल कर लिया और इसमें और भी पद जोड़ दिए आनंदमठ उपन्यास अंग्रेजी शासन जमीदारों के शोषण व प्राकृतिक प्रकोप से त्रस्त जनता द्वारा बंगाल में किए गए
सन्यासी विद्रोह पर आधारित था भारत की संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी, 1950 को इसके प्रथम 2 पदों को राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्रदान किया गया स्वतंत्रता से पहले दिसंबर 1905 में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में इस गीत को राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्रदान किया गया था और ‘बंग भंग’ आंदोलन के दौरान ‘वंदे मातरम’ राष्ट्रीय नारा बन गया था वर्ष 1896 में कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन में रविंद्र नाथ टैगोर ने पहली बार ‘वंदे मातरम’ को बंगाली शैली में लय और संगीत के साथ गाया था रविंद्र नाथ टैगोर के बाद 1901 में कोलकाता में हुए एक अन्य अधिवेशन में श्री चरण दास ने यह गीत पुनः गाया था इसके बाद 1905 के बनारस अधिवेशन में इस गीत को सरला देवी चौधरानी ने स्वर दिया
| राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान में अंतर |