सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय, सरदार पूर्ण सिंह का जन्म, जापानी क्लब की स्थापना, सरदार पूर्ण सिंह का विवाह, सरदार पूर्ण सिंह के निबंध , सरदार पूर्ण सिंह की मृत्यु
सरदार पूर्ण सिंह का जन्म
सरदार पूर्ण सिंह का जन्म 17 फरवरी 1881 ईस्वी में एबटाबाद नामक स्थान पर हुआ था वर्तमान में यह स्थान पाकिस्तान में है इनके पिता सरदार “करतार सिंह” सरकारी कर्मचारी थे इनका संबंध एक सिख परिवार से था पूर्णसिंह अपने माता पिता के जेष्ठ पुत्र थे पूर्ण सिंह की प्रारंभिक शिक्षा तहसील हवेलियां में संपन्न हुई थी यहां से पूर्ण सिंह ने मस्जिद के मौलवी से ‘उर्दू’ की पढ़ाई पढ़ी और साथ ही साथ सिख धर्मशाला से “गुरुमुखी” का ज्ञान प्राप्त किया इन्होंने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई रावलपिंडी में उत्तीर्ण की थी और आगे की पढ़ाई के लिए यह लाहौर चले गए थे इसके बाद सरदार पूर्ण सिंह रसायन शास्त्र के अध्ययन के लिए जापान चले गए जापान में रहते हुए “स्वामी रामतीर्थ” के वचनों से प्रभावित होकर इन्होंने संन्यास ले लिया | सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय |
जापानी क्लब की स्थापना
1901 ईस्वी में जापान की राजधानी टोक्यो के ‘ओरिएंटल क्लब’ में सरदार पूर्ण सिंह ने भारत की स्वतंत्रता के लिए सहानुभूति प्राप्त करने के उद्देश्य से कई उग्र भाषण दिए इस दौरान उन्होंने कुछ जापानी मित्रों के सहयोग से भारत जापानी क्लब की स्थापना की थी इसके बाद ‘इंपिरियल फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट’ देहरादून में रसायन शास्त्र के अध्यापक हो गए वहां उन्होंने पूरे 3 वर्ष तक अध्ययन किया कुछ समय पश्चात इन के विचारों ने पलटा खाया और इन्होंने संन्यास छोड़कर विवाह कर लिया परंतु गृहस्थी होकर भी आध्यात्मिकता और संयम दोनों उन में बने रहे इसके बाद इंस्टिट्यूट में कुछ झगड़ा हो जाने के कारण इन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और गवालियर चले गए वहां पर भी मन नहीं लगा तो जड़ वाला नामक गांव में जाकर खेती करने लगे इनके निबंधों में विचार और भावनात्मकता की प्रधानता है इनके हृदय में भारतीयता की विचारधारा कूट-कूट कर भरी हुई थी इनका संपूर्ण साहित्य भारतीय संस्कृति और सभ्यता से प्रेरित होकर लिखा गया है
सरदार पूर्ण सिंह का विवाह
टोक्यो के आवास काल में सरदार पूर्ण सिंह ने लगभग डेढ़ वर्ष तक एक मास पत्रिका “थंडरिंग डॉन” का संपादन किया पूरे भारत की स्वतंत्रता के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए जब सितंबर 1903 में उनकी वापसी भारत में हुई तब पूर्ण सिंह ने कोलकाता में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध कई उत्तेजनात्मक भाषण दिए उत्तेजना भाषण देने के अपराध में उन को बंदी बना लिया गया किंतु बाद में मुक्त कर दिया गया भारत वापस लौटने पर इनका विवाह श्रीमती “माया देवी” से हुआ था रसायन शास्त्र होते हुए भी सरदार पूर्ण सिंह अंग्रेजी ,पंजाबी ,उर्दू, हिंदी, संस्कृत आदि के विद्वान थे उन्होंने लाहौर में अध्यापन कार्य किया है इसी से इन्हें अध्यापक पूर्ण सिंह के नाम से भी जाना जाता है स्वामी रामतीर्थ के साथ उनकी अंतिम मुलाकात जुलाई 1906में हुई थी | सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय |
सरदार पूर्ण सिंह के निबंध
मात्र छ निबंध लिखकर अध्यापक पूर्ण सिंह ने हिंदी निबंध कारों में अपना श्रेष्ठ स्थान बनाया उनका जीवन अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय था तथा उनकी विचारधारा में गांधीवाद, साम्यवाद का अद्भुत तालमेल था अपने निबंधों के माध्यम से उन्होंने भारतीय सभ्यता और संस्कृति का संरक्षण किया है वह एक विलक्षण प्रतिभाशाली, साहित्य निबंधकार थे अध्यापक पूर्ण सिंह ने केवल निबंधों की रचना की जो ‘सरस्वती’ पत्रिका में प्रकाशित हुए थे इनके निबंध है जैसे -मजदूरी और प्रेम, आचरण की सभ्यता, नयनों की गंगा, पवित्रता, अमेरिका का मस्त जोगी, कन्यादान | सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय |
सरदार पूर्ण सिंह की भाषा शैली
सरदार पूर्ण सिंह भावात्मक निबंध के जन्मदाता और उत्कृष्ट गद्यकार थे सरदार पूर्ण सिंह हिंदी का चर्चित निबंधकार है उन्हें हिंदी के साथ संस्कृति, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू आदि भाषाओं पर अच्छा अधिकार प्राप्त था विविध भाषाओं के विद्वान होने के कारण इनके निबंधों में इन भाषाओं का प्रभाव अवश्य दिखाई देता है कहीं-कहीं पर अंग्रेजी के वाक्य भी उभर आए हैं सरदार पूर्ण सिंह की भाषा सरल सरल खड़ी बोली है जिसमें संस्कृत के तत्सम शब्दों का अधिक प्रयोग है उनके निबंधों में विचारात्मक शैली ,वर्णनात्मक शैली, भावात्मक शैली ,उद्धरण शैली आदि शैलियों के दर्शन होते हैं
सरदार पूर्ण सिंह की मृत्यु
इनके जीवन का अंतिम समय गरीबी और दुखों में बीता 31 मार्च सन 1931 में मात्र 50 वर्ष की आयु में वे इस लोक से विदा हो गए सरदार पूर्ण सिंह भारत के शिक्षाविद, देश भगत, अध्यापक, विज्ञानिक एवं लेखक थे पूर्ण सिंह एक पंजाबी कवि थे और आधुनिक पंजाबी काव्य के संस्थापकों में सरदार पूर्ण सिंह की गणना होती है
| सरदार पूर्ण सिंह का जीवन परिचय |