तालिकोटा युद्ध का इतिहास

तालिकोटा युद्ध का इतिहास, तालीकोटा का युद्ध कब लड़ा गया, तालीकोटा युद्ध का कारण, तालिकोटा युद्ध के प्रमुख बिंदु , 

तालिकोटा युद्ध का इतिहास 

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में भारत के इतिहास में एक अशांत अवधि के दौरान हुई थी और अंत में यह पूरे दक्षिण भारत को शामिल करने के लिए बढ़ी यह 1336 में हरिहर प्रथम और संगमा राजवंश के उनके भाई बुक्का राय प्रथम द्वारा स्थापित किया गया था अन्य 3 सालुवा, तुलुवा और अरविंद थे विजयनगर साम्राज्य 13वीं शताब्दी के अंत तक इस्लामिक हमलों को रोकने के लिए दक्षिणी शक्तियों के प्रयासों की समाप्ति के रूप में प्रमुखता के रूप में उभरा

1529 में कृष्ण देव राय की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई अच्युत राय ने उनका उत्तराधिकारी बना था विजयनगर की बढ़ती हुई शक्ति से दक्षिणी  सल्तनत इतनी आशंकित हो गई थी कि उन्होंने पुराने मतभेदों को भुलाकर आपस में एक होने का निश्चय किया तालीकोटा का युद्ध के समय विजयनगर का शासक सदाशिव राय था उन्होंने अपने शत्रु को पराजित करने के लिए सैनिक महासंघ का गठन किया तालिकोटा युद्ध में हिंदू सम्राट राम राय का सिर काटकर आदिल शाह ने खत्म कर दिया था 

तालीकोटा का युद्ध कब लड़ा गया

तालीकोटा मैसूर कर्नाटक राज्य में स्थित एक नगर है यह इतिहास में इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहां 1565 ईसवी में हुए एक भीषण युद्ध ने एक बहुत ही संपन्न सम राज्य को नष्ट कर दिया वह साम्राज्य था विजयनगर साम्राज्य तालीकोटा की लड़ाई विजयनगर साम्राज्य और दक्कन के सल्तनत के बीच लड़ी गई थी यह युद्ध 23 जनवरी 1565 को हुआ था और इस युद्ध में विजय नगर साम्राज्य हार गया था तालिकोटा युद्ध में विजय नगर साम्राज्य के विपक्ष में अहमदनगर ,गोलकुंडा, बीजापुर और बरार के साम्राज्य शामिल थे गोलकुंडा और बरार के बीच मतभेद के कारण बरार इस युद्ध में शामिल नहीं हुआ था

तालीकोटा की लड़ाई को “बन्नीहट्टी के युद्ध” के नाम से भी जाना जाता है यह युद्ध राक्षस तागड़ी नामक गांव के नजदीक लड़ा गया था कृष्ण देवरा की मृत्यु के बाद विजयनगर साम्राज्य के पतन की शुरुआत हुई  तालीकोटा के युद्ध के समय वहां का राजा सदाशिव राय था सदाशिव राय बहुत ही असख्त राजा था और उसके समय में विजयनगर की वास्तविक शक्ति उसके मंत्री राम राय के हाथों में थी राम राय ने सभी शाही अधिकारियों पर कब्जा कर लिया था उन्होंने दक्षिण भारत के पास मुस्लिम साम्राज्य में विभाजन करने की कोशिश की थी जब उन राज्यों को इस योजना का पता चला तो उन्होंने एक दूसरे से हाथ मिलाया और संयुक्त रूप से मिलकर विजयनगर पर हमला किया

तालीकोटा का युद्ध में विजय नगर पूर्ण रूप से राजधानी में प्रवेश किया और उसे लूट लिया और इसके अतिरिक्त वहां सब कुछ नष्ट कर दिया भारत के इतिहास में इस युद्ध की गणना भारत के विनाशकारी युद्धों में की जाती है इस युद्ध में राम राय की हत्या हुसैन शाह ने की थी विजयनगर साम्राज्य की हार के कई कारण थे जिनमें सबसे प्रमुख कारण यह था कि गिलानी भाइयों ने इस समय राज्य के साथ विश्वासघात किया जिसके कारण विजयनगर की सेना को पराजय का सामना करना पड़ा इसके अतिरिक्त विजयनगर के तोपखाने और हथियार बहुत अच्छे नहीं थे तथा विजय नगर के घुड़सवारो की संख्या भी दक्कन के सुल्तानों की घुड़सवारो की तुलना में काफी कम थी | तालिकोटा युद्ध का इतिहास |

तालीकोटा युद्ध का कारण 

तालीकोटा का युद्ध में सामान्य रूप से विजयनगर साम्राज्य की शानदार युग का अंत किया युद्ध का वास्तविक कारण विजयनगर के प्रति दक्षिणी सल्तनत की ईर्ष्या और घृणा थी यह एक प्रकार का राजनीतिक युद्ध था इस युद्ध का प्रत्यक्ष दर्शी सेवेल था इस युद्ध के बारे में उसने लिखा है कि तीसरे दिन के अंत का प्रारंभ देखा युद्ध के विजय के बाद मुसलमान रण क्षेत्र में विश्राम तथा जलपान के लिए ठहरे थे इसके बाद जब वे राजधानी पहुंचे तो उस समय के बाद से 5 महीनों तक विजयनगर को लगातार लूटा गया

उन्होंने नदी के निकट बने विट्ठल स्वामी के मंदिर के शान से सजे हुए भवनों में भयंकर आग लगा दी और जमकर नरसंहार किया तालीकोटा की लड़ाई के पश्चात दक्षिण भारतीय राजनीति में विजयनगर राज्य की प्रमुखता समाप्त हो गई थी मैसूर के राज्य के नायकों और शिमोगा में केलादी के नायकों ने विजयनगर से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी हालांकि दक्कन की सल्तनतो ने विजयनगर की इस पराजय का लाभ नहीं उठा पाए और  पहले की तरह एक दूसरे से लड़ने में व्यस्त हो गए और अंत में मुगलों के आक्रमण के शिकार हुए | तालिकोटा युद्ध का इतिहास |

तालिकोटा युद्ध के प्रमुख बिंदु 

1.तालीकोटा का युद्ध को ‘राक्षसी तंगड़ी’ का युद्ध और बन्नी हट्टी का युद्ध के नाम से भी जाना जाता है 

2.विजयनगर साम्राज्य के विरोधी महासंघ में अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुंडा और बिदर शामिल थे 

3.युद्ध शुरू करने के लिए इस महासंघ के नेता अली आदिल शाह ने राम राय से रायचूर एवं मुद्गल के किले को वापस मांगा था 

4.मांग ठुकराई जाने पर दक्षिण के सुल्तानों की संयुक्त सेना ने 25 जनवरी 1565 को हमला बोल दिया था 

5.इस युद्ध के प्रारंभिक क्षणों में संयुक्त मोर्चा विफल होता हुआ नजर आया परंतु अंतिम समय में तोपों के प्रयोग द्वारा मुस्लिम संयुक्त सेना ने विजय नगर सेना पर कहर ढा दिया था 

6.युद्ध क्षेत्र में ही 70 वर्षीय राम राय को घेर कर मार दिया गया राम राय की हत्या हुसैन शाह ने की थी 

7.राम राय की पराज्य व उसकी मौत के बाद विजय नगर शहर को निर्ममता पूर्वक लूटा गया था 

8.इस युद्ध की गणना भारतीय इतिहास के विनाशकारी युद्धों में की जाती है 

9.युद्ध में हारने के बाद भी विजय नगर साम्राज्य लगभग 100 वर्ष तक जीवित रहा था 

10.तिरुमल के सहयोग से राम राय के भाई सदस्यों ने पेनुकोंडा को राजधानी बनाकर फिर से शासन करना प्रारंभ किया था यहीं पर विजयनगर में चौथे अरविंदु वंश की स्थापना की गई  | तालिकोटा युद्ध का इतिहास |

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