बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय और इतिहास
बाल गंगाधर तिलक का जन्म
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ वह बचपन से ही बड़े स्वाभिमानी तथा उग्र स्वभाव के थे इनके पिता जी का नाम गंगाधर रामचंद्र तिलक था इनके पिता जी एक अध्यापक थे और संस्कृत के विद्वान थे इनकी माता जी का नाम पार्वती बाई था जब यह 10 साल के थे तो इनकी माता जी की मृत्यु हो गई इसके बाद जब यह 16 साल के हुए तो इनके पिताजी की मृत्यु हो गई | बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय और इतिहास |
बाल गंगाधर तिलक को उपाधि
बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य की उपाधि दी गई थी इनका पूरा नाम लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक था
बाल गंगाधर तिलक का विवाह
बाल गंगाधर तिलक का विवाह 15 वर्ष की आयु में 1871में सत्यभामा के साथ हुआ था उस समय बाल विवाह का प्रचलन था | बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय और इतिहास |
बाल गंगाधर तिलक की शिक्षा
गंगाधर तिलक को गणित विषय बहुत ही पसंद था उन्होंने गणित से M.A. किया और इसके बाद 1879 में एलएलबी मुंबई विश्वविद्यालय से पास किया इसके बाद इन्होंने एक प्राइवेट स्कूल में गणित पढ़ाना शुरू किया और किसी दिक्कत के कारण इन्होंने व स्कूल छोड़ दिया और इसके बाद वह पत्रकार बन गए इन्होंने दो पत्रों की शुरुआत की थी “मराठी में केसरी” और “हिंदी में मराठा” इनका मानना था कि देश की आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता की अहम भूमिका होती है
बाल गंगाधर तिलक द्वारा हिंदू प्लेग अस्पताल की शुरुआत
जब हमारा देश प्लेग नाम की बीमारी से जूझ रहा था तब बाल गंगाधर तिलक ने देशवासियों की सेवा के लिए हिंदू प्लेग अस्पताल की शुरुआत की जहां पर लोगों का फ्री में इलाज किया जाता था
बाल गंगाधर द्वारा डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी का गठन
बाल गंगाधर तिलक देश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर काफी चिंतित थे 1880 में पुणे में इन्होंने न्यू इंग्लिश स्कूल की स्थापना की जिसमें 2000 विद्यार्थी हो गए थे उनका मानना था कि यदि हम अंग्रेजों द्वारा दी गई शिक्षकों को प्राप्त करेंगे तो इससे अंग्रेजों को भारत पर कई वर्षों तक राज करने का अवसर मिलेगा इससे हमारे देश को क्या फायदा होगा यह सोच कर गंगाधर तिलक अपने दोस्तों के साथ मिलकर ‘’ डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी ‘’का गठन करते हैं जिसका लक्ष्य था शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रवाद को भी बढ़ावा देना गंगाधर तिलक अपने अखबारों में अंग्रेजो के खिलाफ लिखते थे और लोगों को आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करते थे जिसके कारण इनके ऊपर लोगों को भड़काने का आरोप लगा था और इन्हें 18 महीने की जेल हो गई थी
बाल गंगाधर तिलक को राष्ट्रीय लीडर का सम्मान
बाल गंगाधर तिलक को जेल से निकलने के बाद इन्हें राष्ट्रीय लीडर की तरह सम्मान मिलने लगा सन 1890 में यह कांग्रेस में शामिल हो गए और लोगों को पूर्ण स्वराज के लिए प्रोत्साहित करने लगे | बाल गंगाधर तिलक का जीवन परिचय और इतिहास |
बाल गंगाधर द्वारा स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत
बाल गंगाधर तिलक ने कई नेताओं के साथ मिलकर 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की परंतु यह पार्टी में शामिल कई नेताओं से या उनके विचारों से खुश नहीं थे उस समय दो दल हुआ करते थे गरम दल और नरम दल और इन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ जमकर विरोध किया बाल गंगाधर तिलक गरम दल के नेता थे इनका का मानना था कि आजादी केवल लड़कर या बलिदान देकर प्राप्त की जा सकती है ना कि दुश्मनों के सामने झुक कर परंतु बाल कृष्ण गोखले नरम दल के नेता थे इन का मानना था कि आजादी के लिए हमें धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए वह बहुत ही नरम स्वभाव के थे वह जानते थे कि अंग्रेजो के खिलाफ खड़ा होना इतना आसान नहीं है
बंगाल का विभाजन
बंगाल के विभाजन के बाद दोनों गुटों में तनाव पैदा हो गया और 1907 में कांग्रेस की सूरत की मीटिंग में चुनाव को लेकर आपस में बहस हो गई और नरम दल और गरम दल अलग-अलग हो गए 1908 में दो बंगाली युवकों ने कोलकाता केअंग्रेज मजिस्ट्रेट को मारने के लिए एक बम फैंका इसके बाद एक ने आत्महत्या कर ली और एक को फांसी हो गई
बाल गंगाधर तिलक पर नस्लभेद का आरोप
बाल गंगाधर तिलक पर अंग्रेजो के खिलाफ नस्लभेद का आरोप लगाया गया और उन्हें एक बार फिर से 1909 में 6 साल के लिए जेल जाना पड़ा जेल में रहकर इन्होंने गीता रहस्य नाम की एक किताब लिखी जिसकी कई कॉपी बिक गई थी और उनसे मिले हुए पैसे इन्होंने आजादी की लड़ाई में खर्च किए जेल से बाहर आने के बाद इन्होंने गांधी जी को अहिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए कहा
बाल गंगाधर तिलक द्वारा होमरूल लीग की स्थापना
बाल गंगाधर तिलक ने 1916 में होमरूल लीग की स्थापना की थी जिसका लक्ष्य था स्वराज गंगाधर तिलक ने लोगों को इकट्ठा करने के लिए गणेश उत्सव और शिवाजी उत्सव की शुरुआत की थी जहां धार्मिक कार्यक्रमों के खत्म हो जाने पर आजादी की लड़ाई के लिए उन्हें प्रोत्साहन किया जाता था गंगाधर तिलक ने बाल विवाह और शराब पर रोक के लिए भी सरकार पर दबाव डाला था
बाल गंगाधर तिलक द्वारा कहीं गई मुख्य पंक्तियां
बाल गंगाधर तिलक का कहना था कि महान उपलब्धियां कभी भी आसानी से नहीं मिलती और आसानी से मिलने वाली उपलब्धियां कभी भी महान नहीं होती यह कहते थे कि स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा गंगाधर तिलक गांधी जी से पहले आजादी की लड़ाई के लीडर माने जाते हैं
बाल गंगाधर तिलक सम्मान
बाल गंगाधर तिलक एक क्रांतिकारी थे महात्मा गांधी ने बाल गंगाधर तिलक को आधुनिक भारत का निर्माता कहा था और लाला लाजपत राय ने बाल गंगाधर तिलक को भारत में दौड़ने वाला शेर और नेहरु जी ने बाल गंगाधर तिलक को भारतीय क्रांति का जनक कहा था गांधी जी के विद्रोह में भी वही मुद्दे होते थे जिन्हें तिलक जी पहले उठाते थे जैसे कि स्वदेशी स्वराज और शिक्षा में सुधार बाल गंगाधर तिलक छुआछूत के विरुद्ध हुआ करते थे
बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु
1 अगस्त 1920 को इन महान क्रांतिकारी की मृत्यु हो गई थी पूरे भारत देश में लाखों लोगों ने इन्हें श्रद्धांजलि दी थी जीते जी तो नहीं मरने के बाद इनके प्रयासों को सफलता मिलने लगी और 27 साल बाद भारत देश को स्वराज मिल गया
बाल गंगाधर तिलक का नारा
स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा स्वराज्य प्राप्ति के लिए उन्होंने चार साधन बताएं
स्वदेशी भावना का प्रसार
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
राष्ट्रीय शिक्षा का प्रसार
शांतिपूर्वक सक्रिय विरोध