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पेट दर्द होने के कारण लक्षण व आयुर्वेदिक उपचार

पेट दर्द होने के कारण लक्षण व आयुर्वेदिक उपचार

दुनिया भर में बीमारियों की कोई गिनती नहीं है हर रोज कोई न कोई नई बीमारी उत्पन्न होती है जिससे कोई ना कोई इंसान जरूर ग्रस्त होता है लेकिन कई बीमारियां ऐसी होती है जो कि आम बीमारियां होती हैं और इनसे जिंदगी में हर इंसान को कई बार रूबरू होना पड़ता है और यह समस्याएं हमारे गलत खानपान या हमारी कुछ गलतियों की वजह से भी उत्पन्न हो जाती है.

इसी तरह से पेट का दर्द भी एक ऐसी समस्या है जो कि लगभग हर इंसान को कभी ना कभी जरूर उत्पन्न होता है और कई लोगों में तो पेट के दर्द की समस्या बार-बार उत्पन्न होती है जिससे उसको बहुत परेशानी होती है तो आज के इस ब्लॉग में हम पेट के दर्द के बारे में ही विस्तार से जानेंगे इस ब्लॉग में हम बताएंगे कि पेट में दर्द किस वजह से उत्पन्न होता है इसके कौन-कौन से लक्षण और कारण होते हैं और इसके उपचार आदि के बारे में.

पेट का दर्द

वैसे तो किसी भी इंसान के पेट में दर्द कई बार गलत खानपान की वजह से उत्पन्न हो जाता है जो कि कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन कुछ लोगों में यह समस्या बार-बार उत्पन्न होती है क्योंकि कई बार हमारे शरीर की छोटी आंत में रुकावट या किसी अन्य वजह से दर्द उत्पन्न होने लगता है और कई बार हमारे शरीर में आंतों में सूजन या इंफेक्शन होने के कारण भी दर्द होने लगता है लेकिन पेट में दर्द होने के कई अलग-अलग कारण व अलग-अलग वजह भी होती है जिनको पहचानना बहुत जरूरी होता है

पेट दर्द के कारण

जब भी किसी इंसान के शरीर में कोई भी समस्या उत्पन्न होती है तब उसके पीछे कुछ ना कुछ कारण जरूर होता है तो इसी तरह से पेट दर्द होने के भी बहुत सारे कारण होते हैं जैसे ज्यादा भोजन करना, गलत भोजन करना, बे मौसमी भोजन का सेवन करना, गलत समय पर भोजन करना, ज्यादा मिर्च मसालेदार व तले हुए भोजन का सेवन करना, ज्यादा गर्म भोजन का सेवन करना, ज्यादा आइसक्रीम बर्गर, पिज़्ज़ा, समोसा और पकौड़े जैसी चीजों का सेवन करना, ज्यादा समय तक भूखे पेट रहना, खाली पेट ज्यादा कठोर कार्य करना, बासी भोजन का सेवन करना, संक्रमित भोजन खाना, अधपके भोजन का सेवन करना, ज्यादा शराब, गुटखा, पान, बीड़ी, तंबाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करना,भोजन करने के बाद भागना या कठोर कार्य करना, मांस और अंडे का सेवन करना, ज्यादा मिठाइयों का सेवन करना, कई अन्य रोग जैसे हर्निया, एसिडिटी, पथरी और गैस की समस्या उत्पन्न होना इसके अलावा भी पेट दर्द होने के बहुत सारे कारण होते हैं

पेट दर्द के लक्षण

अगर इस रोग के लक्षणों के बारे में बात की जाए तो इस समस्या के कई लक्षण भी होते हैं जैसे पेट में जलन होना, पेट में गुडगुड की आवाज आना, खट्टी डकार व खट्टा पानी आना, हल्का बुखार रहना, बार बार गैस बनना, उल्टी आना, जी मिचलाना बेचैनी, थकावट, आलस और घुटन महसूस होना, पेट में हल्का दर्द होना, फिर एकदम से तेज दर्द होना, पेट में सुई चुभने के जैसा दर्द होना ,पेट फूलना या भारी होना, पेशाब करते समय हल्का दर्द होना, पेट में नाभि की तरफ दर्द होना या पेट के दोनों साइड दर्द होकर फिर पूरे पेट में दर्द होना, तेजाब बनना, चक्कर आना, ज्यादा पसीना आना, हल्का रुक रुक के दर्द होना, पेट दबाने पर दर्द कम होना, इसके अलावा भी इस समस्या के और भी बहुत सारे लक्षण होते हैं

आयुर्वेदिक उपचार

  • रोगी को हल्का व सुपाच्य भोजन करना चाहिए जैसे मूंग की दाल दलिया आदि
  • रोगी को पपीता व अनार का जूस पीना चाहिए
  • रोगी को भुनी हुई अजवाइन का पाउडर एक से दो चम्मच लस्सी में मिलाकर पीना चाहिए
  • अगर रोगी को पेट दर्द की वजह से उल्टी महसूस होती है तो रोगी को चावल का पानी या मूंग की दाल का पानी पीना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा से ज्यादा पके हुए भोजन का ही सेवन करना चाहिए
  • रोगी को एक गिलास लस्सी में भुना हुआ जीरा काला नमक काला नमक डालकर पीना चाहिए
  • रोगी को हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए जैसे लौकी तोरई टिंडे पलवल आदि

क्या नहीं खाना चाहिए

  • रोगी को ज्यादा मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा मिठाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को तली भुनी हुई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को शराब चाय कॉफी आदि उत्तेजक पेय पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा कठोर भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को गेहूं के आटे की रोटी, अरहर की दाल, पालक की सब्जी,बेसन की बनी हुई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को खाली पेट ककड़ी, खीरा, टमाटर आदि का सेवन नहीं करना चाहिए

क्या करना चाहिए

  • रोगी को सुबह-सुबह हल्के-फुल्के व्यायाम करने चाहिए
  • रोगी को हर रोज सुबह सुबह खुली हवा में घूमने जाना चाहिए
  • रोगी को हर रोज सुबह सुबह मल त्याग देना चाहिए
  • रोगी को हर रोज सुबह सुबह एक गिलास पानी का सेवन करना चाहिए
  • रोगी को जितनी भूख हो उतना ही भोजन करना चाहिए
  • रोगी को सोने से लगभग 2 घंटे पहले भोजन करना चाहिए
  • रोगी को अपने शरीर में कब्ज की समस्या उत्पन्न नहीं होने देनी चाहिए इसके लिए एनिमा लगवाना चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए

  • रोगी को खाली पेट ज्यादा कठोर कार्य नहीं करनी चाहिए
  • रोगी को भोजन करते ही तुरंत सोना नहीं चाहिए
  • रोगी को देर रात तक जागते नहीं रहना चाहिए
  • रोगी को खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को भूख से ज्यादा भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को व्यायाम करते समय ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए
  • रोगी को अपने मल मुत्तर के वर्गों को नहीं रुकना चाहिए

लेकिन फिर भी अगर किसी को बार बार पेट की समस्या उत्पन्न होती है तब उसको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए वह डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए या आप कुछ आयुर्वेदिक औषधियों व दवाइयों का भी इस्तेमाल करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

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