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श्री कृष्ण द्वारा लड़े गए युद्ध

श्री कृष्ण द्वारा लड़े गए युद्ध श्री कृष्ण के शास्त्रों के नाम कंस के साथ युद्ध कंस का वध कालयवन से युद्ध नरकासुर से युद्ध 

श्री कृष्ण द्वारा लड़े गए युद्ध

 यदि भगवान श्री कृष्ण की क्षमताओं का वर्णन किया जाए तो उनकी क्षमताएं अनंत है भगवान श्रीकृष्ण 64 कलाओं में दक्ष थे एक और वे सर्वश्रेष्ठ धनूर थे, तो दूसरी और वह द्वंद्व युद्ध में निपुण थे उनके पास कई अस्त्र और शस्त्र थे वह संगीत और गायन में भी निपुण थे उनके धनुष का नाम सारंग था उनके खड़क का नाम नंदक था और उनकी गधा का नाम कौमुदगी था उनके शंख का नाम पंचजन्य था जो कि गुलाबी रंग का था श्री कृष्ण के पास जो रथ था उसका नाम जयदर और उनके दूसरे रथ का नाम गरुड़ध्वज  था

श्री कृष्ण के शास्त्रों के नाम 

उनके साथी का नाम दारूक था और उन पशुओं के नाम सुग्रीव,मेघ पुरुष और भलाक था श्रीकृष्ण के पास कई प्रकार के दिव्यास्त्र थे भगवान परशुराम ने उनको सुदर्शन चक्र प्रदान किया था तो दूसरी ओर वे पशुपतास्त्र चलाना भी जानते थे पशुपतास्त्र शिव के बाद श्री कृष्ण और अर्जुन के ही पास था इसके अलावा उनके पास प्रक्षेपास्त्र भी था जो शिव व भीष्म के ही पास था | श्री कृष्ण द्वारा लड़े गए युद्ध |

कंस के साथ युद्ध 

श्री कृष्ण ने अपने जीवन में कंस के वध से पहले बहुत सारे असुरों का संहार किया था लेकिन कंस के साथ उनका युद्ध एक प्रमुख युद्ध है कंस के साथ युद्ध श्री कृष्ण ने जन्म लेते ही शुरू कर दिया था कंस के कारण तो श्री कृष्ण को बचपन में कई असुरों का वध करना पड़ा था कंस भगवान श्री कृष्ण के मामा थे वह अपने पिता उग्रसेन को राजपद से हटाकर स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन बैठा था

कंस एक क्रूर राजा था कंस पूर्व जन्ममे राक्षस था  जिसे भगवान श्रीराम ने मारा था कंस के काका शूरसेन का मथुरा पर राज था सुरसेन के पुत्र वासुदेव का विवाह कंस की चचेरी बहन देवकी से हुआ था कंस अपनी चचेरी बहन देवकी से बहुत स्नेह रखता था | श्री कृष्ण द्वारा लड़े गए युद्ध |

कंस का वध

  एक दिन देवकी के साथ कंस कहीं जा रहा था तभी आकाशवाणी सुनाई पड़ी जिसे तू चाहता है उसकी आठवीं संतान तुझे मार डालेगा मृत्यु के भय के कारण कंस ने देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया था इसके बाद कंस ने देवकी की 7 संतानों को जन्म लेते ही मार दिया था इसके बाद भगवान श्री हरि ने देवकी के गर्भ से अवतार लिया श्री कृष्ण के जन्म लेते ही माया के प्रभाव से सभी सो गए और जेल के दरवाजे खुलते चले गए वसुदेव मथुरा की जेल से शिशु कृष्ण को लेकर नंद के घर पहुंच गए थे

जब कंस को इस बात का पता चला तो उन्होंने श्री कृष्ण को मारने के लिए कई असुरों को भेजा था इसके बाद कंस ने योजना के अनुसार एक समारोह में श्री कृष्ण और बलराम को आमंत्रित किया क्योंकि वह श्रीकृष्ण को वहां पर मारना चाहता था  परंतु इस समारोह में श्री कृष्ण ने कंस का वध कर दिया था कंस के मरने के बाद उनके माता-पिता को मुक्त किया गया इसके बाद श्री कृष्ण ने अपने माता-पिता के चरणो में वंदना की थी  जरासंध के साथ युद्ध  

 जरासंध ने श्री कृष्ण से कई बार युद्ध किया  था  जरासंध कंस का ससुर था इसने श्री कृष्ण को मारने के लिए मथुरा पर कई बार चढ़ाई की थी जरासंध  मगध का अत्यंत क्रूर एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था उसने काशी, कौशल, मालवा, विद , पांडेय ,कश्मीर आदि सभी को अपने अधीन बना लिया था इसी कारण पुराणों में जरासंध की काफी चर्चा मिलते हैं

जरासंध ने मथुरा पर कुल 18 बार चढ़ाई की थी परंतु हर बार उसे असफलता ही हासिल हुई थी इसके बाद श्रीकृष्ण को जरासंध से परेशान होकर अपनी नगरी द्वारिका में स्थानांतरण करना पड़ा था महाभारत से पहले भीम ने जरासंध के शरीर के दो टुकड़े कर के उसका वध कर दिया था जरासंध की सेना में युद्ध रथ एकलव्य का भी श्री कृष्ण ने सहार किया था | श्री कृष्ण द्वारा लड़े गए युद्ध |

 कालयवन से युद्ध 

जरासंध ने मथुरा पर कुल 18 बार चढ़ाई की थी परंतु वह हर बार असफल रहा अंतिम चढ़ाई में उसने विदेशी शासक कालयवन को मथुरा पर आक्रमण करने के लिए निमंत्रण भेजा था इसके बाद कालिया बनने मथुरा को चारों ओर से घेर लिया था और उसने श्री कृष्ण के पास पत्र भेजा और उन्हें 1 दिन का समय दिया इसके बाद श्री कृष्ण ने जवाब दिया कि युद्ध आपके और मेरे बीच में होना चाहिए सेना को व्यर्थ में क्यों लड़ा रहे हो

इसके बाद कालयवन ने यह स्वीकार कर लिया इस युद्ध के बाद श्री कृष्ण का नाम रणछोड़ दास पड़ा था श्री कृष्ण और कालयवन में युद्ध हुआ और इस युद्ध में श्री कृष्ण रणभूमि को छोड़कर भागने लगे और वह भागकर एक गुफा में जाकर छुप गए वहां पर एक तपस्वी सो रहे थे जब कालया ने श्री कृष्ण समझकर उसे लात मारी तब उस तपस्वी ने आंखें खोली और कालयवन वहीं पर जलकर भस्म हो गया उस तपस्वी को यह वरदान था कि जो भी उसकी तपस्या को भंग करेगा वह वहीं पर जलकर भस्म हो जाएगा

नरकासुर से युद्ध 

नरकासुर को भामासूर भी कहते हैं कृष्ण अपनी 8 पत्नियों के साथ सुख पूर्वक द्वारिका में रह रहे थे एक दिन स्वर्ग लोक के राजा देवराज इंद्र ने आकर उनसे प्रार्थना की है कृष्ण प्रगज्योतिषपुर के भामासूर के अत्याचार से पृथ्वी पर लोग त्राहि-त्राहि कर रहे है इंद्र ने कहा  भामासूर ने पृथ्वी के सभी राजाओं और आम जनों के अति सुंदर कन्याओं का हरण कर उन्हें अपने बंदी गृह में डाल रखा है

कृपया आप हमारी सहायता कीजिए इंद्र की प्रार्थना स्वीकार करके श्री कृष्ण अपनी प्रिय पत्नी सत्यभामा को लेकर गरुड पर सवार हो प्रगज्योतिषपुर  पहुंचे वहां पहुंचकर भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से भामासूर का वध का दिया था भामासुर को एक ही स्त्री के हाथों मरने का श्राप था महाभारत का युद्ध 

यह युद्ध भगवान श्री कृष्ण ने लड़ा नहीं था बल्कि इसका संचालन किया था इस युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश भी दिया था यह युद्ध 18 दिनों तक चला था यह युद्ध 3067 ईसा पूर्व लड़ा गया था  महाभारत के युद्ध के बाद श्री कृष्ण ने 36 साल बाद अपने देह का त्याग किया था उन्होंने 119 वर्ष की आयु में अपनी देह का त्याग किया था भगवान श्री कृष्ण ने अपने जीवन में कुल 10 युद्ध  लड़े थे 

| श्री कृष्ण द्वारा लड़े गए युद्ध |

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