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हृदय रोग के लक्षण हृदय रोग आयुर्वेदिक उपचार

हृदय रोग के लक्षण हृदय रोग आयुर्वेदिक उपचार

हृदय रोग के लक्षण हृदय रोग आयुर्वेदिक उपचार

तेजी से बदलती हुई दुनिया में समय के साथ साथ हमारे खान-पान रहन-सहन का तरीका बिल्कुल बदल चुका है और आजकल  ज्यादातर आपको मार्केट में घटिया क्वालिटी के ही खाद्य पदार्थ मिलते हैं और इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से मानव जीवन में बहुत सारी नई नई बीमारियां उतपन्न होने लगी है. और इनमें से कई बहुत बड़ी और घातक बीमारियां हैं जिन से कुछ ही समय में इंसान की मृत्यु हो जाती है.

इसी तरह से हृदय से जुड़ी हुई भी बहुत सारी बीमारियां है जो कि आजकल लगभग हर दूसरे इंसान में मिलती है तो आज की ब्लॉग में हम हृदय रोग से जुड़ी हुई बीमारियों के बारे में बात करेंगे इस ब्लॉग में हम बात करेंगे की हृदय रोग कितने प्रकार के होते हैं ये कैसे उत्पन्न होते हैं और इनसे बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए.

हृदय रोग क्या है

पिछले कुछ सालों से हृदय रोग से जुड़ी हुई है समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही है और उनसे हर साल लाखों लोग अपनी जान गवा देते हैं और हृदय रोग उत्पन्न होने के कारणों को देखा जाए तो इसमें मुख्य रूप से भाग दौड़ भरी जिंदगी को भी सबसे बड़ा कारण माना जाता है क्योंकि जैसा कि आप सभी जानते हैं आजकल मशीनी युग है जिसका हमारे जीवन में फायदा तो है लेकिन इसके नुकसान भी बहुत ज्यादा है क्योंकि इनसे मनुष्य शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है और मनुष्य तनावपूर्ण वातावरण में रहने लगता है जिससे उसके हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है और इसके अलावा आजकल गलत चीजों का सेवन भी बहुत बढ़ गया है जिनके कारण हमारे हृदय में कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं वैसे तो हृदय रोग कोई भी हो वह जानलेवा ही होता है

हृदय रोग के प्रकार के होते हैं

वैसे देखा जाए तो हदय रोग चिकित्सकों के अनुसार 20 प्रकार के होते हैं

  1. हार्ट ब्लाक – आजकल सबसे ज्यादा हार्ट ब्लॉक की समस्या उत्पन्न होती है जिससे किसी इंसान की तुरंत मौत हो जाती है इस स्थिति में उस इंसान हृदय एकदम से काम करना बंद कर देता है
  2. कोरोनरी ब्राम्बोसिस – इस स्थिति में इंसान की हृदय की 1 या उससे अधिक धमनियां रुक जाती है
  3. कार्डियक डायलेटेशन – इस स्थिति में हृदय गुहा के आकार में बढ़ने लगता है
  4. आर्टिकुलर फिब्रिलेशन – इस स्थिति में हृदय की पेशियां सिकुड़ने लगती है
  5.  पेरीकाइटिस – इस स्थिति में हृदय के और हमें शोथ हो जाता है
  6. एन्जाइना पेक्टोरिस – जब ह्रदय की मांसपेशियों में रक्त संचार की कमी हो जाती है तब हृदय में तेजी से दर्द होता है जोकि बाएं कंधे से पूरे हाथ में फैल सकता है
  7. टेकीकार्डिया – इस स्थिति में हृदय की गति सामान्य से ज्यादा बढ़ जाती है
  8. ब्रेडीकार्डिया – इस स्थिति में हृदय सामान्य से कम गति में धड़कने लगता है
  9. प्रिमेच्योर बीट्स – इस स्थिति में हृदय की धड़कन अपरिपक्व हो जाती है
  10. कान्जेनिटल हार्ट डिजीज – यह जन्मजात रोग होता है
  11. कार्डियक हायपरट्राफी – इस स्थिति में हृदय का आकार असामान्य हो जाता है
  12. पेरीकार्डियल इन्फ्यू जन – इस स्थिति में हृदय के आसपास तरल पदार्थ इकट्ठे होने लगते हैं
  13. मायोकार्डियल डिजनरेशन – इस स्थिति में हृदय की प्राचीर के अंदर की पर्थ में दिक्कत होती है
  14. एक्यूट काडइटिस – इस स्थिति में हदृय के आसपास तेजी से शोध होने लगता है
  15. एढेरेंट पेरिकार्डियम – इस स्थिति में हृदय का पेरिकार्डियम चिपक जाता है
  16. मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन – इस स्थिति में मनुष्य की तुरंत मौत भी हो सकती है क्योंकि इसे ही हार्ट अटैक या दिल का दौरा कहा जाता है
  17. आर्टिकुलर फ्लटर – इस स्थिति में हृदय तेज गति से कार्य करने लगता है जिसके हृदय में पीड़ा होने लगती है
  18. हार्ट फेल्योर – इस स्थिति में हृदय की धड़कन बंद हो जाती है
  19. साइनस एरीथेमा – अस्थि गुहा लालिमायुक्त त्वचा
  20. एक्ज्हाशन ऑफ दी हार्ट मसल्स – इस स्थिति में हृदय की मांसपेशियों में थकावट आ जाती है

हृदय रोग के कारण

जिस तरह से हृदय रोग 20 प्रकार का होता है उसी तरह से हृदय रोग उत्पन्न होने के बहुत सारे कारण होते हैं जैसे विटामिन बी और ई की कमी,धूम्रपान, तंबाकू, शराब, क्रोध और चिंता, चरबीयुक्त भोजन खाना, अधिक वजन मोटापा, मधुमेह व उच्च रक्तचाप, आनुवंशिकता, बैठे रहने का काम, मांसाहार, मानसिक तनाव, मानसिक आघात, कोलेस्ट्रोल का बढ़ना, कोलेस्ट्रोल धमनियों में एकत्र होना, मानसिक संतुलन बिगड़ना ,हृदय व रक्तचाप में हानि होना, दिल, दिमाग की नाड़ियां ठीक तरह से काम न करना इसके अलावा ऐसे और भी बहुत सारे कारण हैं जिनसे किसी भी इंसान के अंदर हृदय के रोग उत्पन्न हो सकते हैं

हृदय रोग के लक्षण

जब किसी इंसान के शरीर में ह्रदय के रोग उत्पन्न होते हैं तब उससे पहले उस इंसान को बहुत सारे लक्षण देखने को मिलते हैं जिनसे वह पहले ही सतर्क हो सकता है और समय पर डॉक्टर के पास जा सकता है जैसे – लेटने की स्थिति में सांस लेने में कष्ट होना,चक्कर आना, एक के दो दिखना यह सबसे खतरनाक लक्षण होता है,अचानक हृदय की धड़कनें पूरी तरह से बंद होना,अपच से खट्टी या सामान्य डकारें आना,बिना किसी खास कारण के थकान महसूस होना,मूर्छित यानी बेहोश होना,टखनों पर सूजन आना, अधिक पसीना आना, पैरों पर भी सूजन होना,छाती में बाईं ओर भयंकर दर्द होना, तड़पना, दर्द बांह तक जाना, सिर में लगतार दर्द का बना रहना,दिल की धड़कनें तेज और बढ़ी हुई होना, श्वास लेने में तकलीफ होना,जरा से परिश्रम से सांस फूलना ऐसे बहुत सारे लक्षण होते हैं

क्या क्या खाएं

जब किसी इंसान को हृदय के रोग उत्पन्न हो जाते हैं तब उस इंसान को अपने खान-पान के ऊपर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है क्योंकि अगर वह इंसान अपने खान-पान पर ध्यान नहीं देता तब उसको दिल का दौरा भी पड़ सकता है

  • रोगी को बिल्कुल हल्का व संतुलित भोजन देना चाहिए
  • रोगी को आटे की रोटी, गेहूं का दलिया, सोयाबीन से मिली हुई रोटी या सोयाबीन की छिलके वाली दाल आदि देनी चाहिए
  • रोगी को गुड, शहद, बादाम, पिस्ते, छिलका युक्त देसी चने, गाय का दूध व ताजा दही देना चाहिए
  • फलों में लीची, अमरुद, नींबू, आंवला, अंगूर, अनार और सेब देने चाहिए
  • रोगी को हरी सब्जी खिलानी चाहिए जैसे गाजर, मूली, टमाटर, अदरक, धनिया, प्याज और लहसुन आदि
  • मकई का तेल, सोयाबीन, बिनौली का तेल, तिल का तेल व सरसों के तेल का सेवन करवाना चाहिए
  • एक कप छाछ दोपहर में देनी चाहिए

क्या क्या नहीं खाना चाहिए

  • रोगी को ज्यादा मांस मिट्टी, अंडे, शराब व उत्तेजक पदार्थों से परहेज करना चाहिए
  • रोगी को कम से कम घी, मक्खन, वनस्पति घी, नारियल का तेल, पाम का तेल, मलाई आदि का सेवन करना चाहिए
  • रोगी को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को पापड़, चटनी व चार से परहेज करने चाहिए रोगी को कम से कम मिर्च मसाले वाले पदार्थ खिलाने चाहिए
  • रोगी को बिल्कुल रोगी को तले हुए पदार्थ बिल्कुल भी नहीं देनी चाहिए
  • रोगी को चीनी कोल्ड ड्रिंक और मीठी चीजें कम से कम देनी चाहिए

क्या-क्या करना चाहिए

  • रोगी को सुबह-सुबह योगासन करने चाहिए
  • सुबह-सुबह सरसों के तेल से शरीर पर मालिश करनी चाहिए
  • रोगी को कम से कम गुस्सा, चिंता, मानसिक तनाव, क्रोध करना चाहिए
  • रोगी को हंसते और हंसाते हुए रखना चाहिए
  • रोगी को अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा गलत विचारों का भाव मन में नहीं रखना चाहिए
  • रोगी को कब्ज़ की समस्याएं अपने से दूर रखनी चाहिए
  • रोगी को सुबह-सुबह खेलना व साइकिल आदि को चलाना चाहिए
  • रोगी को सुबह-सुबह खुली हवा में घूमने जाना चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए

  • रोगी को ज्यादा नशीली पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को धूम्रपान नहीं करना चाहिए रोगी को ज्यादा भारी काम नहीं करना चाहिए
  • रोगी को अपने वजन सामान्य से ज्यादा नहीं होने देना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा मानसिक तनाव नहीं रखने चाहिए
  • रोगी को ज्यादा अकेला वह चुपचाप नहीं रहना चाहिए

हृदय रोग आयुर्वेदिक उपचार

लेकिन फिर भी किसी इंसान को हृदय से संबंधित कोई तकलीफ महसूस होती है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर द्वारा बताई गई चीजों का पालन करना चाहिए इसके अलावा आप कुछ आयुर्वेदिक चीजों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जिनके बारे में हमने आपको नीचे बताया है इन सभी को आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं.

क्योंकि हृदय में कई प्रकार के रोग होते हैं.इसीलिए काफी तरह की पोस्ट दिया हृदय रोग के लिए उपयोग की जाती है. लेकिन एक ऐसी औषधि है जिसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा हृदय रोग के लिए किया जाता है जिसका नाम है अर्जुनारिष्ट

इस आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल हार्ट फेल सीने में दर्द रक्तचाप दिल में ब्लॉकेज जैसी बीमारियों के लिए किया जाता है.

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