History

हिटलर का इतिहास 

हिटलर का इतिहास, एडोल्फ हिटलर का जन्म, लोकतंत्र का पतन, जर्मन का पुनर्निर्माण, यहूदी व्यवसायो का बहिष्कार , हिटलर की मृत्यु 

एडोल्फ हिटलर का जन्म 

हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 में ऑस्ट्रिया में हुआ था पिता की मृत्यु के पश्चात 17 वर्ष की अवस्था में वे वेयना चले गए वहां पर इन्होंने कला विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया परंतु यह असफल रहे थे इसके बाद यह वापस अपनी मां के पास लिंज में आ गए ‘एडोल्फ हिटलर’ की युवावस्था बेहद गरीबी में गुजरी थी रोजी रोटी का कोई जरिया ना होने के कारण पहले विश्वयुद्ध की शुरुआत में एडोल्फ हिटलर की युवावस्बेहद गरीबी में गुजरी थी

रोजी रोटी का कोई जरिया ना होने के कारण पहले विश्वयुद्ध की शुरुआत में इन्होंने अपना नाम फौजी भर्ती के लिए लिखवा दिया था जर्मन सेना की पराजय ने तो इसे हिला ही दिया था लेकिन वर्साय की संधि ने इन्हें और अधिक आग बबूला कर दिया

1919 में हिटलर ने जर्मन वर्कर्स पार्टी नामक एक छोटे से समूह की सदस्य ले ली धीरे-धीरे इस ने इस संगठन पर अपना नियंत्रण कायम कर लिया और उसे “नेशनल सोशलिस्ट पार्टी” का नया नाम दिया इसी पार्टी को बाद नास्ति पार्टी के नाम से जाना गया था इसके बाद 1923 में हिटलर ने बवेरिया पर कब्जा करने, बर्लिन पर चढ़ाई करने और सत्ता पर कब्जा करने की योजना बना ली थी जिसमें वह असफल रहा

उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया हिटलर पर देशद्रोह का मुकदमा भी चलाया लेकिन कुछ समय बाद उसे रिहा कर दिया गया नास्ति राजनीति खेमा 1930 के दशक के शुरुआती सालों तक जनता को बड़े पैमाने पर अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर पाया लेकिन महामंदी के दौरान नात्सीवाद ने एक जन आंदोलन का रूप ग्रहण कर लिया | हिटलर का इतिहास |

लोकतंत्र का पतन 

हिटलर जबरदस्त लगता था उसका जोश और उसके शब्द लोगों को हिला कर रख देते थे वह अपने भाषणों में एक शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना वर्साय संधि में हुई नाइंसाफी के प्रतिशोध और जर्मन समाज को खोई हुई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का आश्वासन देता था उसका वादा था कि वह बेरोजगारों को रोजगार और नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा

उसने आश्वासन दिया कि वह देश को विदेशी प्रभाव से मुक्त कराएगा और तमाम विदेशी साजिशों का मुंहतोड़ जवाब देगा हिटलर ने राजनीति की एक नई शैली रची थी वह लोगों को गोलबंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन की अहमियत समझता था हिटलर के प्रति भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में एकता का भाव पैदा करने के लिए नास्तियो ने बड़ी बड़ी रैलियों और जनसभाओं आयोजित की थी

नास्तियो ने अपने प्रचार के जरिए हिटलर को एक मसीहा, एक रक्षक एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया जिसने जनता को तबाही से उबरने के लिए ही अवतार लिया था 30 जनवरी 1933 को राष्ट्रपति हिंडोनबर्ग ने हिटलर को चांसलर का पदभार संभालने का अवसर दिया यह मंत्रिमंडल में सबसे शक्तिशाली पद था 3 मार्च 1933 को प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम पारित किया गया इस कानून के जरिए  जर्मनी में बाकायदा तानाशाही स्थापित कर दी गई

इस कानून ने हिटलर को संसद को हाशिए पर धकेलने और केवल अध्यादेश के जरिए शासन चलाने का अधिकार प्रदान कर दिया नास्ति पार्टी और उससे जुड़े संगठनों के अलावा सभी राजनीतिक पार्टियां और ट्रेड यूनियनों पर पाबंदी लगा दी गई मीडिया,सेना और न्यायपालिका पर राज्य का पूरा नियंत्रण स्थापित हो गया | हिटलर का इतिहास |

जर्मन का पुनर्निर्माण

विदेशी नीति के मोर्चे पर भी हिटलर को बहुत सी कामयाबी मिली 1933 में उसने लीग ऑफ नेशन से पल्ला झाड़ लिया 1936 में राइनलैंड पर दोबारा कब्जा किया और एक जन, एक साम्राज्य, एक नेता के नारे की आड़ में 1938 में ऑस्ट्रेलिया को जर्मनी में मिला लिया इसके बाद उसने चेकोस्लोवाकिया के कब्जे वाले जर्मन भाषी स्टूडेंटनलैंड प्रांत पर कब्जा किया और फिर पूरे चेकोस्लोवाकिया को हड़प लिया

इस दौरान उसे इंग्लैंड का भी खामोश समर्थन मिल रहा था क्योंकि इंग्लैंड की नजर में वर्साय की संधि के नाम पर जर्मनी के साथ बड़ी नाइंसाफी हुई थी इसके बाद 1939 में हिटलर ने पोलैंड पर हमला कर दिया इसकी वजह से फ्रांस और इंग्लैंड के साथ भी उसका युद्ध शुरू हो गया सितंबर 1940 में जर्मनी ने इटली और जापान के साथ एक त्रिपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर किए इस संधि से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हिटलर का दावा और मजबूत हो गया

यूरोप के ज्यादातर देशों में नास्ति जर्मनी का समर्थन करने वाली कठपुतली सरकारी बिठा दी गई इसके बाद 1939 में हिटलर ने पोलैंड पर हमला कर दिया इसकी वजह से फ्रांस और इंग्लैंड के साथ भी उसका युद्ध शुरू हो गया सितंबर 1940 में जर्मनी ने इटली और जापान के साथ एक त्रिपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर किए इस संधि से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हिटलर का दावा और मजबूत हो गया यूरोप के ज्यादातर देशों में नास्ति जर्मनी का समर्थन करने वाली कठपुतली सरकारे बिठा दी गई

1940 के अंत में हिटलर अपनी ताकत के शिखर पर था इसके बाद उसने अपना सारा ध्यान पूर्वी यूरोप को जीतने के सपने पर केंद्रित कर दिया वह जर्मन जनता के लिए संसाधन और रहने की जगह का इंतजाम करना चाहता था 1941 में उसने सोवियत संघ पर हमला किया इस आक्रमण से जर्मन पश्चिमी मोर्चा ब्रिटिश वायु सैनिकों के बमबारी की चपेट में आ गया जबकि पूर्वी मोर्चे पर सोवियत सेना ने जर्मनों को नाकों चने चबा दिए

अमेरिका इस युद्ध में फंसने से लगातार बता रहा अमेरिका पहले विश्व युद्ध की वजह से पैदा हुई आर्थिक समस्याओं को दोबारा नहीं देना चाहता था लेकिन वह लंबे समय तक युद्ध से दूर भी नहीं रह सकता था पूर्व में जापान की ताकत फैलती जा रही थी उसने फ्रेंच इंडो चाइना पर कब्जा कर लिया था और प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसैनिक ठिकानों पर हमले की पूरी योजना बना ली थी

जब जापान ने हिटलर को समर्थन दिया और हार्वर पर अमेरिकी ठिकानों को बमबारी का निशाना बनाया तो अमेरिका भी दूसरे विश्व युद्ध में कूद पड़ा यह युद्ध मई 1945 में हिटलर की पराजय और जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिकी परमाणु बम गिराने के साथ खत्म हुआ | हिटलर का इतिहास |

यहूदी व्यवसायो का बहिष्कार 

 नवंबर 1938 के एक जन सहार में यहूदियों की संपत्तियों को तहस-नहस किया गया उन्हें लूटा गया उनके घरों पर हमले हुए यहूदी प्रार्थना घर जला दिए गए और उन्हें गिरफ्तार किया गया इस घटना  को ‘नाइट ऑफ ब्रोकन ग्लास’ के नाम से याद किया जाता है सितंबर 1941 से सभी यहूदियों का हुक्म दिया गया कि वह डेविड काफिला सितारा अपनी छाती पर लगा कर रखेंगे

उनके पासपोर्ट तमाम कानूनी दस्तावेज और घरों के बाहर भी यह पहचान चिन्ह छाप दिया गया जर्मनी में उन्हें यहूदी मकानों में दरिद्रता की स्थिति में रखा जाता थायूरोप के यहूदी मकानों और गेटो बस्तियों में रहने वाले यहूदियों को माल गाड़ियों में भर-भर कर मौत के कारखानों में लाया जाने लगा   

हिटलर की मृत्यु 

एडोल्फ हिटलर ने 30 अप्रैल 1945 को सोवियत सेनाओं से गिरने के बाद बर्लिन में जमीन से 50 फीट नीचे एक बंकर में खुद को गोली मारकर हत्या हत्या कर ली थी हिटलर ने मरने से पहले कहा था कि ‘मैं मर जाऊं तो मेरा शरीर जला देना’ हिटलर ने गैस चैंबरों में कैद कर करीब 60 लाख यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया था 

| हिटलर का इतिहास |

Back to top button