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महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय, महादेवी वर्मा का जन्म, महादेवी वर्मा की शिक्षा, महादेवी वर्मा का विवाह, महादेवी वर्मा द्वारा प्राप्त पुरस्कार, महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय, महादेवी वर्मा की मृत्यु

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

महादेवी वर्मा रहस्यवादी कवित्री है उन्होंने रहस्यवाद की विस्तृत व्याख्या की है और छायावाद की भांति उसके संबंध में भी कुछ सिद्धांत स्थिर किए हैं महादेवी वर्मा ने अपने काव्य में कल्पना के आधार पर प्रकृति का मानवीकरण कर उसे एक विशेष भाव समृद्धि और गीत काव्य से विभूषित किया है इसलिए महादेवी जी की रचनाओं में छायावाद की विभिन्न भावगत और कलागत विशेषताएं मिलती है | महादेवी वर्मा का जीवन परिचय |

महादेवी वर्मा का जन्म 

महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च सन 1907 ईस्वी को उत्तर प्रदेश राज्य के ‘फर्रुखाबाद’ नामक जनपद में हुआ था इनके पिता का नाम गोविंद प्रसाद तथा माता का नाम “हेमरानी देवी” था इनकी माता एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी महादेवी जी वर्मा के नाना ब्रज भाषा के कवि थे और  ब्रज  भाषा में काव्य रचना करते थे इसी कारण बाल्यकाल से ही महादेवी को भी कविता लिखने की रुचि उत्पन्न हो गई इनकी माता एवं नाना के गुणों का प्रभाव महादेवी वर्मा पर भी पड़ा था इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में हुई और साथ ही उन्हें चित्र कला और संगीत की शिक्षा भी दी गई तथा उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी

महादेवी की माता एक विदुषी महिला थी उन्हें संस्कृत और हिंदी का अच्छा ज्ञान था और वह धार्मिक प्रवृत्ति की थी इन्होंने ही महादेवी को तुलसीदास, सूरदास और मीरा का साहित्य पढ़ाया था पारिवारिक माहौल के कारण महादेवी में बचपन से ही कविता करने की रुचि थी वह अपनी माता द्वारा रचित पदों में अपनी ओर से कुछ कड़ियां जोड़ दिया करती थी वह स्वतंत्र रूप से तुकबंदीया करती थी मात्र 7 वर्ष की अल्पायु में उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था 

महादेवी वर्मा की शिक्षा 

वर्ष 1920 में महादेव जी ने प्रयाग से प्रथम श्रेणी में मिडिल पास किया जिसके कारण उन्हें छात्रवृत्ति मिली थी इसके बाद 1924 में महादेव जी ने हाई स्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और प्रांत भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया इस बार भी उन्हें छात्रवृत्ति मिली थी वर्ष 1926 में उन्होंने इंटरमीडिएट और वर्ष 1928 में बी.ए की परीक्षा ‘क्रोस्थवेट गर्ल्स कॉलेज’ से पास की थी इसके बाद इन्होंने 1933 में संस्कृत भाषा मेंM.Aअध्ययन किया और प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य हो गई उनकी कर्तव्यनिष्ठा, मेहनत, शिक्षा के प्रति लगाव ,और कार्यकुशलता के कारण ही प्रयाग महिला विद्यापीठ ने निरंतर उन्नति की थी महादेवी जी 1932 में महिलाओं की प्रमुख पत्रिका चांद की संपादिका बनी थी | महादेवी वर्मा का जीवन परिचय |

महादेवी वर्मा का विवाह

इनका विवाह 1916 में छोटी आयु में हो गया था इनके पति का नाम “स्वरूप नारायण वर्मा” था वह उस समय दसवीं कक्षा के छात्र थे इनका दांपत्य जीवन सफल नहीं हो सका 1966 में इनके पति का देहांत हो गया और पति की मृत्यु के बाद स्थाई रूप से इलाहाबाद में रहने लगी “क्रोस्थवेट कॉलेज” इलाहाबाद में महादेवी वर्मा का परिचय सुभद्रा कुमारी चौहान से हुआ कॉलेज में “सुभद्रा कुमारी चौहान” के साथ

उनकी घनिष्ठ मित्रता हो गई थी कुछ समय तक उन्होंने चांद पालिका का संपादन किया कुछ वर्षों तक यह उत्तर प्रदेश विधान परिषद की मनोनीत सदस्य भी रही इन्होंने नारी स्वतंत्रता के लिए सदैव संघर्ष किया और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए नारियों का शिक्षित होना आवश्यक बताया 

महादेवी वर्मा द्वारा प्राप्त पुरस्कार

महादेवी वर्मा ने वर्ष 1934 में ‘नीरजा’ पर ₹500 का पुरस्कार और ‘सेकसरिया’ पुरस्कार जीता वर्ष 1944 में आधुनिक कवि और ‘निहार’ पर 1200 ₹ का ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’ भी जीता भाषा ,साहित्य, संगीत और चित्रकला के अतिरिक्त उनकी रूचि दर्शनशास्त्र के प्रति भी रही थी

हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा उन्हें “भारतेंदु पुरस्कार” प्रदान किया गया था इनकी साहित्य सेवाओं के लिए राष्ट्रपति ने इन्हें1956 में पदम भूषण अलंकार से सम्मानित किया 1988 में इन्हें “पदम विभूषण” से सम्मानित किया गया महादेवी वर्मा को “यामा” नाम की कृति पर1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया | महादेवी वर्मा का जीवन परिचय |

महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय 

महादेवी वर्मा छायावादी युग की एक महान कवियित्री मानी जाती है प्रारंभिक कविताओं की भाषा महादेवी वर्मा की ब्रजभाषा थी और बाद में मैथिलीशरण गुप्त से प्रभावित होकर इन्होंने खड़ी बोली का प्रयोग किया उनके काव्य में रहस्यवाद, वेदना, अलौकिक, प्रेम आदि की अभिव्यक्ति हुई है इन्होंने चांद पत्रिका का संपादन किया था

महादेवी वर्मा की निम्नलिखित रचनाएं हैं जैसे- निहार, रश्मि, नीरजा, दीपशिखा, यामा आदि काव्य रचनाओं के अतिरिक्त ‘अतीत के चलचित्र’(1941) ‘स्मृति की रेखाएं’(1943), श्रृंखला की कड़ियां आदि गद्य रचनाएं हैं महादेवी वर्मा की भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली है इनकी शैली मुफ्त एवं गीती शैली है इनके काव्य में इनके वेदना भाव को देखते हुए इन्हें आधुनिक युग की मीरा की संज्ञा दी गई है महादेवी वर्मा ने बाल कविताओं को दो भागों में संकलन किया है 1. ठाकुर जी बोले हैं 2.आज खरीदेंगे हम जवाला और इनके दो सस्मरण है 1.पथ के साथी (1956) मेरा परिवार (1972) 

महादेवी वर्मा की मृत्यु

 11 सितंबर 1987 को महादेवी वर्मा का प्रयाग में देहांत हुआ था महादेवी वर्मा हिंदी भाषा की एक प्रख्यात कवियत्री, स्वतंत्रता सेनानी और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली महान महिला थी | महादेवी वर्मा का जीवन परिचय |

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