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क्षय रोग टीबी क्या है टीबी के लक्षण टीबी का आयुर्वेदिक इलाज

क्षय रोग टीबी क्या है टीबी के लक्षण टीबी का आयुर्वेदिक इलाज

क्षय रोग टीबी क्या है टीबी के लक्षण टीबी का आयुर्वेदिक इलाज

दुनिया भर में एक से बढ़कर एक खतरनाक बीमारियां पैदा हो चुकी है और इन सभी बीमारियों के कारण हर दिन लाखों लोग अपनी जान गवा देते हैं लेकिन इनमें से कुछ ऐसी बीमारियां भी होती हैं जिनका कोई इलाज नहीं होता है और इसी तरह की एक बीमारी का नाम क्षय टी.बी. रोग है लेकिन पहले क्षय रोग ( टी.बी. ) का इलाज नहीं होता था लेकिन अब इलाज से यह पूरी तरह ठीक हो जाती है और नियमित रूप से इस रोग का इलाज उपचार कराने से इस रोग से पीछा छुड़ाया जा सकता है.

लेकिन क्षय रोग ( टी.बी. ) का इलाज कुछ लंबे समय तक चलता है और क्षय रोग ( टी.बी. ) का उपचार सरकारी हॉस्पिटल में निशुल्क किया जाता है और क्षय रोग ( टी.बी. ) रोग मुख्य रूप से इंसान के फेफड़ों में होता है लेकिन इसके अलावा भी यह शरीर के दूसरे अंगों में भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर लोगों में यह रोग फेफड़ों में ही होता है आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे कि क्षय रोग ( टी.बी. ) किन किन कारणों से होता है और क्षय रोग ( टी.बी. ) का उपचार कैसे करवा सकते हैं और टीवी रोग से बच सकते हैं.

क्षय रोग ( टी.बी. ) किस किस कारण होता है

सबसे पहले हम बात करेंगे कि टीबी रोग किस किस कारण से हो सकता है वैसे तो टीवी रोग होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन इस लेकिन यह रोग मुख्य रूप से मायक्रोबेक्ट्रीयम ट्यूबरक्लोसिस कीटाणु के कारण होता है इसके अलावा यह रोग ज्यादा ताकतवर काम करने, अंधेरे कमरे में रहने, खाने-पीने में बदहजमी या ज्यादा हस्तमैथुन, ज्यादा चिंता करने और अपुष्ट भोजन करने के कारण भी हो सकता है  और क्षय रोग ( टी.बी. ) के मरीज के आसपास रहने वाले लोगों को भी सकता है क्योंकि क्षय रोग ( टी.बी. )  मायक्रोबेक्ट्रीयम ट्यूबरक्लोसिस सूक्ष्म कीटाणुओं के कारण फैलता है

जब भी क्षय रोग ( टी.बी. ) का मरीज हंसता है बातें करता है गाता है या फिर चलता है तब क्षय रोग ( टी.बी. ) के सूक्ष्म कीटाणु हवा में फैल जाते हैं और यह कीटाणु यह हवा में बहुत देर तक घूमते रहते हैं जिससे यह सांस के द्वारा किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और उस इंसान की इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाना शुरु कर देते हैं और उसकी सांसे भी क्षय रोग ( टी.बी. ) के मरीज की तरह चलने लगती है और धीरे-धीरे यह बीमारी विकराल रूप ले लेती है और आसान भाषा में कहा जाए तो यह रोग Covid-19 के जैसा ही है लेकिन यह Covid-19 से कम तेजी से  फैलता क्योंकि Covid-19 बहुत ज्यादा तेजी से फैल रहा है

क्षय रोग ( टी.बी. ) के लक्षण

वैसे तो क्षय रोग ( टी.बी. ) होने से पहले बहुत सारे लक्षण आपको अपने शरीर में दिखाई देने लगते हैं जिनमें से मुख्य रूप से कुछ लक्षण ऐसे होते हैं कि जिनको आप आसानी से समझ सकते हैं जैसे  शरीर में आलस रहना, शरीर में हल्का फुल्का बुखार रहना, ज्यादा तेजी से खांसी आना, शरीर के वजन का कम हो जाना, शरीर में कमजोरी आना, फेफड़ो और छाती में दर्द होना, भूख कम लगना, बलगम में खून आना, रात के समय में अधिक पसीना आना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, सांस लेने में तकलीफ होना, बार-बार प्यास लगना, जी मचलना आदि कुछ ऐसे लक्षण है जो कि आपको क्षय रोग ( टी.बी. ) होने से पहले अपने शरीर में दिखाई देने लगते हैं

क्या-क्या खाना चाहिए

क्षय रोग ( टी.बी. ) होने के बाद मरीज को खाने पीने की चीजों का बहुत ध्यान रखना पड़ता है जिससे टीवी रोग ज्यादा न फैल सके

  • मरीज को ज्यादा कठोर भोजन नहीं करना चाहिए और जितना हो सके अधिक पौष्टिक भोजन देना चाहिए
  • रोगी को मक्खन और मिश्री में घी मिलाकर सुबह-शाम देना चाहिए
  • रोगी नए तो उसको एक गिलास गर्म दूध सुबह-शाम पिलाएं
  • अगर रोगी पुराना है तो उसे पुराने चावल का भात, मूंग की दाल, सूजी की रोटी आदि देनी चाहिए
  • रोगी को अरारोट, बार्ली नियमित रूप से खिलानी चाहिए
  • रोगी को अंगूर मीठा, संतरा, अनार, मीठा आम, केला, सेब, नींबू और नारियल आदि खिलाने चाहिए
  • अगर रोगी के शरीर में कमजोरी है तो उसे शहद, मुनक्का, अखरोट, खजूर, गाजर आदि खिलानी चाहिए
  • रोगी को प्याज, लहसुन, गोभी, लौकी और पालक आदि देनी चाहिए

क्या क्या नहीं खाना चाहिए

  • रोगी को ज्यादा भारी वह तले हुए खाद्य पदार्थ नहीं देनी चाहिए
  • रोगी को ज्यादा मिर्च, मसालेदार चीजों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए
  • ज्यादा चाय कॉफी शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
  • ज्यादा मांस मछली और अंडा आदि नहीं खाना चाहिए
  • रोगी को तो बासी खाना और साग सब्जी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा खटाई वाले पदार्थ अचार और तली हुई चीजों से परहेज करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा नशीले पदार्थ और ज्यादा गुटका तंबाकू आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए

किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

  • रोगी को खांसते समय अपने मुंह पर रुमाल आदि रखनी चाहिए और फिर उसे डिटॉल आदि के पानी में साफ करनी चाहिए
  • रोगी को स्वच्छ हवादार और प्रकाश युक्त कमरे में रखना चाहिए
  • डॉक्टर के द्वारा दी गई दवाइयों को समय अनुसार लेना चाहिए
  • रोगी को बलगम राख युक्त डिब्बे में थूकना चाहिए और फिर उसे दूर गड्ढे में फेंकना चाहिए
  • रोगी से मिलने वालों को मुंह पर मास्क लगाना चाहिए और डिटोल आदि से हाथ धोने चाहिए

क्या नहीं करना चाहिए

  • रोगी को धूम्रपान बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए
  • रोगी को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए
  • रोगी को अपनी शक्ति से ज्यादा कठोर परिश्रम नहीं करना चाहिए
  • रोगी को ज्यादा दूषित वायु युक्त इलाके में और ज्यादा अंधेरी जगह में नहीं रहना चाहिए
  • डॉक्टर द्वारा शुरू किए गए उपचार को बीच में बीच में नहीं छोड़ना चाहिए

टीबी का आयुर्वेदिक इलाज

अगर आपको लगता है कि आपको क्षय रोग ( टी.बी. ) जैसी समस्या हो रही है तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उसके द्वारा दी गई दवाइयों का इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन कुछ ऐसी दवाइयां हैं जो कि आपको इस रोग में छुटकारा दिलाने से मदद कर सकती है जिनके बारे में हमने नीचे आपको बताया है इन्हें आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ले सकते हैं.

• सुवर्ण बसन्त मालती (भै०र०)। 2 रत्ती की 1 गोली पिप्पली चूर्ण और शहद के साथ प्रतिदिन 1 बार रोगी को सेवन करायें।
स (भैर०)12 रत्ती की मात्रा में गाय का घी और पिप्पली चूर्ण के साथ रोगी को सेवन करायें।
• सितोपलादि चूर्ण (शा०सं०)। 3-4 माशा की मात्रा में शहद के साथ दें। –
• द्राक्षारिष्ट (यो०र०)। 15-20 मिली० दिन में 2-3 बार भोजन के समान भाग जल मिलाकर रोगी को सेवन करायें।
• लवंगादि चूर्ण (भैर०)। 3-4 माशा की मात्रा में दें। जुकाम, खाँसी तथा श्वास के लिए अत्यन्त हितकर है।
• द्राक्षावलेह-1-1 तोला की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करायें।
• द्राक्षावलेह (हारीत सं०)। द्राक्षा-खजूर, आंवला इनकी चटनी शहद मिलाकर ले।
• दूर्वा स्वरस-1 बड़ा चम्मचभर दिन में कई बार सेवन करायें। यह रक्तवमन को रोकता है।
• लाक्षारस चूर्ण (बृ०नि०र०)। को पेठे के रस में मिलाकर थोड़ा-थोड़ा करके रोगी को कई बार दें। यह रक्तवमन हेतु श्रेष्ठ है।

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