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नाभि पकने के कारण लक्षण बचाव व उपचार

नाभि पकने के कारण लक्षण बचाव व उपचार

जब भी कोई महिला गर्भवती होती है तब से लेकर जब तक उसका बच्चा लगभग 5 वर्ष का नहीं हो जाता तब तक उसको बहुत सारी सावधानियां बरतने की जरूरत होती है कई बार जब महिला बच्चे को जन्म दे रही होती है तब डॉक्टर या दाई कुछ ऐसी गलतियां कर देती है जिससे उनका खामियाजा बच्चे और बच्चे की मां दोनों को भूगतना पड़ता है.

बहुत बार देखा गया है की बच्चे के जन्म के समय पर की गई गलतियां उम्र भर बच्चे को भुगतनी पड़ती है इसलिए बच्चे के जन्म के समय पर सावधानियां रखना बहुत जरूरी होता है और इसी से जुड़ी हुई एक ऐसी समस्या है

जिसका नाम नाभि पकना है तो इस ब्लॉग में हम इसी समस्या के बारे में बात करने जा रहे हैं इस ब्लॉग में हम नाभि पकने के कारण, लक्षण, बचाव व उपचार आदि के बारे में बात करेंगे

नाभि पकना Navel ripening

नाभि पकना नवजात शिशु में होने वाला एक ऐसा रोग है जिससे नवजात शिशु को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और उसको बहुत दर्द भी होता है जब कोई महिला अपने बच्चे को जन्म देती है

तब जन्म के दौरान नवजात शिशुओं के नाल को काटा जाता है और जब इस नाल में कीटाणु संक्रमण या जीवाणुओं आदि की वजह से घाव या जख्म हो जाते हैं तब बच्चों की नाभि पकने लगती है उसमें तेज दर्द होता है

कई बार नाभि से पिप भी पेट निकलने लगती है जिससे बच्चे की नाभि लगातार गिरी रहती है कई बार नाभि सूजन भी जाती है जब नाभि से पीप बाहर निकलती है तब उसमें बहुत बुरी दुर्गंध आती है यह रोग बच्चे को लगभग जन्म के 1 वर्ष बाद तक हो सकता है इसलिए बच्चे के जन्म के दौरान नाभि काटने वाली महिला या दाई को इस बात के ऊपर ध्यान देना बहुत जरूरी है

नाभि पकने के कारण

Cause to navel ripening in Hindi – जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया इस समस्या का सबसे बड़ा और इसका मुख्य कारण बच्चे की नाभि काटते समय दाई या डॉक्टर का ध्यान ना देना होता है क्योंकि कई बार बच्चे की नाभि को गंदे ब्लेड या चाकू से काट दिया जाता है जिससे बच्चे की नाभि में इन्फेक्शन व संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है

इसके अलावा कई बार किसी दूसरे बच्चे की नाभि काटे गए बलेड या चाकू का इस्तेमाल भी किया जाता है बच्चे की नाभि काटने के बाद कुछ ऐसी दवाई का इस्तेमाल किया जाता है

जिससे बच्चे की नाभि में इन्फेक्शन व संक्रमण न फैले कई बार डॉक्टर या दाई इस दवाई का इस्तेमाल नहीं करती जिससे बच्चे को यह दिक्कत होने लगती है इसके अलावा बच्चे की नाभि में पानी या किसी अन्य चीज का के चले जाने पर भी यह समस्या हो जाती है

या बच्चे की नाभि के नाल पर नाखून लगने से भी आदि इसके कारण होते है इसलिए बच्चे के जन्म के दौरान दाई में महिलाओं को इन चीजों के ऊपर ध्यान देने की बहुत जरूरत होती है

नाभि पकने के लक्षण

Symptoms of navel ripening in Hindi – जब भी किसी बच्चे की नाभि पकने लगती है तब बच्चे में इसके कई लक्षण देखने को मिल जाते हैं जैसे बच्चे का लगातार रोना, बच्चे की नाभि ऊपर से लाल होना, बच्चे की नाभि से दुर्गंध आना,

बच्चे की नाभि में पीप निकलना, बच्चे की नाभि में सूजन आना, बच्चे की नाभि के ऊपर हाथ लगाते ही बच्चे का जोर से सीखना, बच्चे की नाभि में चिपचिपा पदार्थ लगे रहना, बच्चे की नाभि गीली रहना, आदि इस समस्या के लक्षण होते हैं

कई बार यह समस्या टिटनेस होने के कारण भी हो जाती है और यह एक बहुत ही गंभीर बीमारी है एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समस्या के लगभग 50% नवजात शिशुओं की मौत भी हो जाती है इसके अलावा बच्चे में तेज बुखार उल्टी दस्त खासी जुकाम आदि की समस्या उत्पन्न हो जाती है

बचाव

  • बच्चे की नाभि को काटते समय दिया डॉक्टर को नए ब्लड का ही इस्तेमाल करना चाहिए
  • बच्चे की नाभि को काटते समय डॉक्टर या दाई को अपने हाथ बिल्कुल साफ रखने चाहिए
  • आपको बच्चे की नाभि में सूजन, पीप व लालीपन दिखाई देते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए
  • आपको बच्चे को बार बार नाभि में उंगली नहीं मारने देनी चाहिए
  • बच्चे को नहलाते समय इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि उसकी नाभि में पानी ना जाए
  • अगर आपके बच्चे की नाभि से पीप निकल रही है तो उसको साफ रोई व सूती कपड़े से साफ करना चाहिए
  • आपको अपने बच्चे की नाभि पर दबाव नहीं डालना चाहिए
  • बच्चे को डायपर पहनाते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि उसका डायपर नाभि से ऊपर न हो
  • बच्चे को ज्यादा समय तक पेट के बल नहीं लेट आना चाहिए क्योंकि इससे उसकी नाभि में पसीना आ सकता है

उपचार

  • आपको हर रोज चिकनी सुपारी को पानी में भिगोकर अपने बच्चे की नाभि के ऊपर लगाना चाहिए ऐसा दिन में चार से पांच करने पर आपके बच्चे की नाभि में दर्द से राहत मिलती है
  • आपको अपने बच्चे की नाभि में हल्दी और सरसों की तेल को हल्का गर्म करके लगाना चाहिए
  • आपको अपने बच्चे की नाभि में पठानी लोध को तेल में मिलाकर लगाना चाहिए
  • आपको अपने बच्चे की नाभि में तुलसी के पत्तों का रस मॉम और सरसों के तेल को एक साथ मिलाकर लगाना चाहिए
  • आपको सरसों के तेल और मुलहठी के चूर्ण का काढ़ा बनाकर अपने बच्चे की नाभि पर लगाना चाहिए
  • अगर आपके बच्चे की नाभि में घाव या इंफेक्शन हो गया है तब आपको तुरंत अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए क्योंकि ऐसा न करने पर आपके बच्चे की नाभि में इंफेक्शन ज्यादा बढ़ जाएगा और इससे आपके बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है
  • आपको समय-समय पर अपने बच्चे की नाभि की जांच करते रहना चाहिए और जरा सी भी सोजन लालीपन पिप दिखाई देती है तब तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए

लेकिन फिर भी अगर किसी नवजात शिशु की नाभि में इंफेक्शन घाव या सूजन आदि आती है तब उसको सबसे पहले डॉक्टर के पास ले जाना बहुत जरूरी है क्योंकि एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा माना गया है कि ज्यादातर बच्चों में यह समस्या बढ़ जाने पर उनकी मौत हो जाती है इसलिए आपको जल्दी से जल्दी अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए

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