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बाबा जयराम दास का जीवन परिचय 

बाबा जयराम दास का जीवन परिचय , बाबा जयराम दास का जन्म ,जयराम दास की समाधि के विषय में ,बाबा जयराम दास महान संत कैसे बने ,बाबा जयराम दास के मंदिर की विशेषता 

बाबा जयराम दास का जीवन परिचय 

हर गांव में एक मंदिर होता है उस मंदिर का अपना एक इतिहास होता है लेकिन गांव पाली के बाबा जयरामदास का इतिहास काफी अलग है बाबा जयराम दास मंदिर लाखों लोगों की आस्था के लिए जाना जाता है महेंद्रगढ़ से चरखी दादरी मार्ग पर करीब 8 किलोमीटर दूर गांव पाली के जयरामदास संत दूर-दराज तक प्रसिद्ध है जिनके मुख से निकली हुई गाली  वरदान मानी जाती थी जिस किसी को उन्होंने प्यार से गले लगाया उसका भला नहीं हुआ किंतु जिस किसी को लात मार दी या गाली दे दी उसका उद्धार हो गया

आज से लगभग 71 वर्ष पूर्व उन्होंने समाधि ले ली थी गांव पाली में पश्चिम दिशा में संत जयराम दास का विशाल एवं भव्य द्वार बना हुआ है जहां से गुजरने के बाद जयरामदास नाम की एक वेणी है जहां बाबा का मंदिर बना हुआ है इस मंदिर पर माह एकादशी को विशाल मेला लगता है जहां करीब 4 लाख लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं भव्य मंदिर, भव्य धर्मशाला,पुराना जोहड़, सूरवाटिका 30 वर्षों से लगातार जलती आ रही अखंड जोत,पास में हनुमान मंदिर,नीम वाटिका, शेरावाली मां की विशाल प्रतिमा, शिव प्रतिमा अंदर सुशोभित हो रही हैं इसके अलावा यहां देश का सबसे बड़ा पक्षी घर भी है वहीं हर साल जनवरी में होने वाली बड़े क्रिकेट प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए बड़े-बड़े क्रिकेटर आते हैं बाबा जयराम दास का जीवन परिचय 

 बाबा जयराम दास का जन्म 

बाबा जयराम का जन्म 7 अक्टूबर 1862 को गांव पाली के साधारण किसान “सुजी सिंह” के घर में हुआ था इनकी मां का नाम “ओधा बाई” था वे चार भाई थे जिनके नाम अर्जुन सिंह, मालाराम, कालूराम एवं जयरामदास थे इस क्षेत्र में 56 का अकाल अति प्रसिद्ध है जब भी बुजुर्ग किसी अकाल की चर्चा करते हैं तो 56 का अकाल जरूर चर्चा में रहता हैं विक्रम संवत 1956 का अकाल ऐसा था कि धरती पर बारिश ना होने से सब कुछ सुख गया था और बताया जाता है कि उस समय लोगों ने पेड़ के तने के छिलके तक भी खा लिए थे

इस अकाल के दौरान जब बहुत कम बारिश हुई तब इनके पिता ने बिना बैलों के ही हल चला कर खेत की तैयारी करने का निर्णय लिया इसके बाद इनके पिता ने एक ओर जयरामदास को तथा दूसरी ओर उनके एक भाई को बैलों के स्थान पर हल खींचने के लिए बैल की भांति जोड़ दिया बाबा जयराम दास का जीवन परिचय 

जयराम दास की समाधि के विषय में 

गांव के लोग बताते हैं कि घूमते फिरते लोगों की समस्याओं को जयराम दास दूर करते थे बाबा जयरामदास सभी घरों में समान रूप से जाते थे जो के आटे की बनी हुई राबड़ी उनका प्रमुख पेय था जिस घर में जाते और जो भी राबड़ी मिली उसी को पी लेते थे विक्रम संवत 1999 में माघ सुदी एकादशी को उन्होंने करीब 70 वर्ष की उम्र में समाधि ले ली थी आज जहां मंदिर बना हुआ है उसके नीचे उन्हें दफनाया गया था और प्रारंभ काल में एक छोटी सी कुटिया बनाई गई इसके बाद वर्ष 1954 में समाधि स्थल पर मेला लगने लग गया था जो आज भी चला आ रहा है

एकादशी को यहां पर मेला लगता है जिसमें लोग अपने घरों से पशु का पहला दूध लेकर आते हैं और बाबा को अर्पित करते हैं जब कोई नया काम किया जाता है तो भी बाबा को ही याद किया जाता है भक्त जन दही का प्रसाद चढ़ाते हैं प्रत्येक वर्ष माह एकादशी को विशाल मेला लगता है यह मेला 15 दिन चलता है इस मेले में आसपास के लोग ही नहीं अपितु पूरे प्रदेश से लोग आते हैं बाबा के प्रति सैनिकों का अधिक रुझान रहा है बताया जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के समय बाबा ने भारतीय सैनिकों विशेषकर इस क्षेत्र के सैनिकों की युद्ध में सहायता की थी बाबा जयराम दास का जीवन परिचय 

बाबा जयराम दास महान संत कैसे बने 

गांव पाली में स्थित बाबा जयराम दास धाम क्षेत्र ही नहीं बल्कि आसपास के प्रदेश के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है यहां हर वर्ष जनवरी माह में बड़ा मेला लगता है इसके साथ ही बाबा के सम्मान में यहां दक्षिणी हरियाणा का सबसे बड़ा क्रिकेट महाकुंभ करवाया जाता है जिसमें कई प्रदेशों की ख्याति प्राप्त टीमें में भाग लेती हैं 2 सप्ताह तक चलने वाले इस महाकुंभ में विजेता टीमों को 1 किलो चांदी की ट्रॉफी सहित आकर्षक इनाम दिए जाते हैं 1 दिन बाबा जय राम पारिवारिक सब मोह माया को त्याग कर घर छोड़ कर चल दिए

ब्रह्म बेला में ध्यान मग्न होकर  इधर-उधर जंगल व पहाड़ों में भ्रमण करते हुए बाबा बोध गांव के गहरे जंगल के केसर जोहड़ के किनारे पहुंचे बाबा “चांदो दास” ने उन्हें अपना शिष्य बना लिया गुरु चरणों में बाबा जयराम दास जी ईश्वर की साधना की सीढ़ियां चढ़ने लगे निरंतर योग साधना एवं भक्ति में विलीन होकर अपने आशीर्वाद से लाखों दीन दुखियों के दुखों का हरण किया बाबा जयराम से जुड़ी जानकारियां आज गांव के बड़े बुजुर्गों द्वारा बताई जाती है गांव के लोग बताते हैं एक बार बाबा के पास एक व्यक्ति अपने अपाहिज बच्चे को लेकर पहुंचा तो बाबा ने उसकी मनोस्थिति को भापतें हुए कहा कि, ‘मैं कहां से दूं इसको टांगे’ इतनी सुनकर व्यक्ति बाबा के चरणों में नतमस्तक हो गया बाबा ने अपाहिज बच्चे को लात मारते हुए कहा कि लो मेरी टांगे ले लो

उसके बाद बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हो गया इस बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बाबा ने अपने पैरों का त्याग कर त्यागी के नाम से प्रसिद्ध हुए इसके अलावा भी काफी कहानियां बड़े बुजुर्गों द्वारा बताई जाती हैं गांव के लोग बताते हैं कि झज्जर के नवाब यहां से गुजरे और संत को रास्ते से हटा देने से घर में अनहोनी होनी शुरू हो गई इसके बाद नवाब ने जयराम से माफी मांगी गांव के लोगों का कहना है कि बाबा जयराम दास की कृपा से महेंद्रगढ़ के जिलाधीश को संतान की प्राप्ति हुई थी जिलाधीश ने संतान के लिए बाबा की खूब सेवा की थी और बाबा ने जिलाधीश को गाली दी और लात मार दी जिसके बाद उन्हें संतान मिली 

बाबा जयराम दास के मंदिर की विशेषता 

 बाबा जयरामदास मंदिर में बनाए गए देश के सबसे बड़े पक्षी घर के बारे में बताएंगे इस पक्षी घर में फिलहाल करीब 3000 पक्षी रह रहे हैं इससे पहले राजस्थान के जिला नागौर के गांव पी में 62 फीट ऊंचा पक्षी घर था लेकिन अब बाबा जयराम दास मंदिर में करीब 73 फीट ऊंचा पक्षी घर बना दिया गया है जो देश में सबसे बड़ा है

लगातार कम होती पक्षियों की संख्या बढ़ाने के लिए यह पहल की गई है और जल्द ही इस को और बड़ा बनाया जाएगा बाबा जयराम दास मंदिर में बड़ी क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन होता है बाबा जय राम मंदिर के परिसर में बने क्रिकेट का मैदान काफी शानदार है और आसपास के कई जिलों में ऐसा क्रिकेट मैदान कहीं देखने को नहीं मिलेगा यहां खिलाड़ियों के लिए विशेष सुविधा का प्रबंध किया गया है बाबा की इस क्रिकेट प्रतियोगिता में देश के बड़े-बड़े खिलाड़ी हिस्सा लेने के लिए आते हैं 2007 के T20 वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले जोगिंदर शर्मा भी इस मैदान पर खेल चुके हैं

इस टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद ही उनका टीम में चयन हुआ था इसके अलावा IPL के स्टार खिलाड़ी पवन नेकी,प्रदीप सांगवान,अंकित चौधरी,योगेश नागर खेलने आ चुके हैं इसी के साथ भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके तेज गेंदबाज मोहित शर्मा भीयहां आकर खेल चुके हैं

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