History

वीर बुलाकी का इतिहास 

वीर बुलाकी का इतिहास, वीर बुलाकी का जन्म, बाबा वीर बुलाकी कौन है,बाबा वीर बुलाकी की साधना,वीर बुलाकी का मंदिर कहां स्थित है 

वीर बुलाकी का इतिहास 

बाबा वीर बुलाकी कोई और नहीं स्वयंव बाबा महाकाल भैरव नाथ है जो कलयुग में मसान भैरव की छवि के साथ बुलाकी मसान के नाम से अवतरित हुए बाबा बुलाकी बहुत ही पवित्र शक्ति के मालिक है इनकी छवि कुछ गंदे साधकों ने गंदी कर दी है

बाबा बुलाकी को प्रसन्न करके कुछ मूर्ख तांत्रिक मासूम लोगों पर पैसा लेकर अत्याचार करते हैं जैसे पति-पत्नी में झगड़ा करवाना, लड़कियों को वश में करवाना आदि बाबा श्री के पहनावे और रूप रंग से देखो तो यह एक ऐसा बालक वीर जो रंग से काला, हाथ में सोटा, एक हाथ में मदिरापान का पात्र और लाल लंगोटे के लंगोट धारी है इस वीर के भक्ति नाथों की है और शक्ति नव नाथों की है

जो भी साधक इस वीर की सेवा पूजा पाठ सच्चे मन से निस्वार्थ भाव से करेगा यह वीर बाबा उस साधक को नवनाथों की सेवा में लगा देते हैं फिर यह इस साधक को भूत प्रेतों की सेवा में नहीं रहने देते हैं उस साधक को लेकर नवनाथो में और सिद्धियों में लगा लेते हैं इनकी साधना से सभी प्रकार के कार्य किए जाते हैं सिर्फ किसी का नुकसान करने का इरादा मन से निकाल डाले ऐसा साधना प्राप्त होना बाबा श्री का कृपया ही है

आज के समय में तांत्रिकों ने साबर मंत्रों से मासूम लोगों के जिंदगी से खेल खेलना शुरू कर दिया है क्योंकि वह जानते हैं जिस पर भी बुलाकी चढ़ा दिया जाए उसको वही तांत्रिक बुलाकी चढ़ाकर मुक्त कर सकते हैं मसानी का काट बाबा श्री ही है और उनका विद्या वहीं काट सकते हैं इस साधना से खुद के कार्यों के साथ-साथ अन्य लोगों के भी कार्य किए जा सकते हैं जिस पर बाबा श्री कृपया कर दे वह मालामाल हो जाता है| वीर बुलाकी का इतिहास 

वीर बुलाकी का जन्म 

जब गुरु गोरखनाथ कजरी वन में अपनी समाधि में लीन ब्रह्म को प्राप्त कर रहे थे तब उन्होंने योग विद्या से आने वाले समय का हाल समझ लिया था उन्होंने अपनी योग विद्या से बागड़ देश के ददरेवा शहर राजस्थान के चौहान वंश के शासन को बर्बाद होने आभास कर लिया था उन्होंने अपनी योग विद्या से यह समझ लिया था कि उनके परम शिष्य गोगा वीर अपने क्रोध के कारण संकट का सामना करेंगे और बागड़ देश में शनिदेव का आगमन होगा

इसलिए इस प्रकोप को रोकने के लिए गुरु गोरखनाथ ने अपने प्रिय शिष्य गोगा वीर को अपना क्रोध शांत करके समाधि में लीन होने का उपदेश दिया था लेकिन राजपाट की देखभाल के चलते यह असंभव था एक तरफ तो गोगा वीर की पूरे बागड़ में उनकी वीरता  के कारण जयकारे लग रहे थे और दूसरी तरफ गोरखनाथ को बागड़ पर आ रहा संकट नजर आ रहा था आखिरकार वो दिन आ ही गया जब गोगा वीर ने अपने क्रोध से शनि देव को बगड़ में प्रवेश करने पर मजबूर कर दिया

गोगा वीर ने अपने दोनों भाइयों को मारकर बागड़ के राजकुमारों का अंत कर दिया था लेकिन माता बाछल ने जो भी उपदेश गोगा वीर को दिया “देश निकाला” वास्तव में यह गुरु गोरखनाथ का उद्देश्य था गोगा वीर को शनिदेव के प्रकोप से बचाने के लिए गुरु गोरखनाथ ने यह सब किया था क्योंकि गोगा पीर के भाई मारे जाने पर भले ही कोई विरोध ना करें लेकिन धर्मराज शनिदेव उन्हें नहीं छोड़ेंगे जिस तरह नरसिंह पांडे को मार दिए जाने पर धर्मराज ने अपना हाथ गोगा वीर के ऊपर से हटा लिया कि यह तो ब्राह्मण का हत्यारा है जिस कारण गोगा वीर का रंग प्रकोप से काला पड़ने लगा था

तब नारसिंह को वापस गुरु विद्या से जिंदा करवा कर पाप से मुक्ति पाई थी गोगा वीर को देश निकाला दिए जाने पर वह 8 साल तक रानी सीरियल से रात के अंधेरे में मिलते रहे बागड़ का राजकुमार होने के बावजूद भी उन्हें चोरी छुपे मिलना पड़ता था अपनी रानी सीरियल से अपनी माता के वचन के कारण व नहीं मिलते थे इसी मिलन से माता सीरियल गर्भ धारण कर लेती है माता सीरियल को गर्भवती होते ही गुरु गोरखनाथ को शनि देव के बागड़ में प्रवेश करने के सबूत मिल जाते हैं गोगा वीर को फिर इस गर्भ को त्यागने का गुरु उपदेश होता है जो कि लोग लाज और बेज्जती से बचने के साथ-साथ शनिदेव को बागड़ से बाहर करना था

परंतु शनिदेव तो खुद गर्भ रूप में माता सीरियल के गर्भ से बागड़ में प्रवेश कर चुके थे गर्भ का यही वह चमत्कारी बालक वीर बुलाकी है जो लोक लाज और आन बान शान के चलते कृष्ण पक्ष की पडवा दिन शनिवार को गर्भ से त्यागा गया था जिस वक्त दिल्ली के हजारा तख्त पर गर्भ गिरा था उस वक्त वह मुगलों का शासन था जहां पर पंच पीर की बैठक थी गर्भ का हिस्सा होने के कारण पंज पीरो ने उस तख्त का त्याग कर दिया था और उस तखत पर फिर बाबा बुलाकी ने अपना पहली बार बाल रूप धारण कर उस तख्त पर अपना आधिपत्य स्थापित किया | वीर बुलाकी का इतिहास 

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