History

क्रांतिकारी बालमुकुंद का इतिहास 

क्रांतिकारी बालमुकुंद का इतिहास ,भाई बालमुकुंद का जन्म ,भाई बालमुकुंद का विवाह ,भाई बालमुकुंद का बलिदान ,भाई बालमुकुन्द जीवनी

क्रांतिकारी बालमुकुंद का इतिहास 

भाई बालमुकुंद भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे दिल्ली साजिश मामले में उनकी भूमिका के लिए उन्हें ब्रिटिश राज द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी और उन्हें फांसी दे दी गई थी वह एक अन्य क्रांतिकारी भाई परमानंद के चचेरे भाई थे जो गदर पार्टी के संस्थापक सदस्य थे बालमुकुंद की राष्ट्रीय आंदोलन में रुचि तब पैदा हुई जब वे एक छात्र थे क्रांतिकारी बालमुकुंद का इतिहास 

भाई बालमुकुंद का जन्म 

भाई बालमुकुंद का जन्म वर्ष 1889 को करियाला जिला जिलम में हुआ था इनके पिता का नाम भाई मथुरादास था बालमुकुंद ने लाहौर के डी.ए.वी. कॉलेज से स्नातक किया और फिर इन्होंने शिक्षक बनने के उद्देश्य से बिजी की परीक्षा पास की 1910 की बीटीसी उत्तरण परीक्षार्थियों में वे तीसरे नंबर पर रहे थे लेकिन शिक्षा के साथ ही अपने बुजुर्गों से मिली देश प्रेम की प्रेरणा उनमें अंदर ही अंदर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चिंगारी भड़का रही थी जब वह भी ब्रिटिश हुकूमत से तंग हो गए तब उन्होंने दिल्ली षड्यंत्र में अहम भूमिका निभाई

जब भाई बालमुकुंद की भेंट मास्टर अमीरचंद, लाला हरदयाल और रासबिहारी बोस से हुई तो वह क्रांतिकारी बन गए इस बीच उन्होंने नौकरी कर ली थी पर उन्होंने नौकरी छोड़ दी तब उनके बड़े भाई जयराम दास को चिंता हुई और उन्होंने बालमुकुंद का विवाह करवा दिया विवाह हो जाने पर बालमुकुंद का मन क्रांति से नहीं हटा, बल्कि अवध बिहारी और भाई बालमुकुंद ने क्रांतिकारी साहित्य डटकर तैयार किया और सर्वत्र बांटा साथ ही वह बम बनाने की भी शिक्षा लेते रहे 23 दिसंबर 1912 को लॉर्ड हार्डिंग के जुलूस पर चांदनी चौक में जो बम फेंका गया

उससे वायरस राय बाल-बाल बचा है इस बम कांड मैं बसंत कुमार विश्वास के अलावा भाई बालमुकुंद का सक्रिय सहयोग था दोनों बुर्के पहने स्त्रियों की भीड़ में थे वहीं से बम गिराया गया भाई बालमुकुंद को इस बात का बड़ा दुख रहा कि वायसराय बच गया इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी को भाई परमानंद के घर वालों के पास थोड़ा और शिवम जोधपुर के राजकुमारों के शिक्षक बन गए योजना यह थी कि लॉर्ड हार्डिंग यहां कभी कभी आएगा और वह नजदीक से उन पर बम फेंक कर अधूरा काम पूरा करेंगे क्रांतिकारी बालमुकुंद का इतिहास 

भाई बालमुकुंद का विवाह 

भाई बालमुकुंद का विवाह फांसी दिए जाने से 1 साल पहले हुआ था आजादी की लड़ाई में जुटे होने के कारण वह कुछ समय ही पत्नी के साथ रह सके उनकी पत्नी का नाम “राम रखी” था वह स्वयं तो वीर थे ही उनकी पत्नी भी आदर्श वीरांगना थी पति के गिरफ्तार होने के दिन से ही राम रखी दुबली होने लगी

उनको कुछ आभास हो गया कि बस अब सब कुछ समाप्त होने को है उन्हें बड़ी मुश्किल से जेल में पति से मिलने की इजाजत मिली राम रखी ने पति से पूछा था खाना कैसा मिलता है भाई बालमुकुंद ने हंसकर कहा मिट्टी मिली रोटी,इसके बाद राम रखी भी अपने आटे में मिट्टी मिलाने लग गई

दोबारा जब वह मिलने गई तब बालमुकुंद से पूछा कि सोते कहां हो तब बालमुकुंद ने मुस्कुराकर जवाब दिया अंधेरी कोठरी में दो कबलों पर उस दिन से राम रखी भी ग्रीष्म ऋतु में भी कंबल पर लेटने लगी जिस दिन भाई जी को फांसी हुई उस दिन सुबह उठकर राम रखी ने वस्त्र, आभूषण धारण किए और जाकर एक चबूतरे पर बैठ गई उस दिन राम रखी के चेहरे पर गहरी वेदना थी क्रांतिकारी बालमुकुंद का इतिहास 

भाई बालमुकुंद का बलिदान 

बम विस्फोट की जांच के बाद दिल्ली में एक परीक्षण किया गया और 5 अक्टूबर 1914 को उनके साथ ही मास्टर अमीरचंद अवध बिहारी और बसंत कुमार विश्वास के साथ बालमुकुंद को भी सजा सुनाई गई वर्ष 1912 में दिल्ली के चांदनी चौक में लॉर्ड हार्डिंग पर फेंके गए बम कांड में मास्टर अमीर चंद, भाई बालमुकुंद और मास्टर अवध बिहारी को 8 मई 1915 को फांसी पर लटका दिया गया

जबकि अगले दिन 9 मई को अंबाला में बसंत कुमार विश्वास को भी फांसी दी गई थी 32 वर्ष की उम्र में यह शहीद हो गए थे शहीद भाई बालमुकुंद के घरवालों की इच्छा थी कि उनका शव उन्हें सौंप दिया जाए लेकिन अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें शव नहीं दिया  उसी दिन से राम रखी ने भोजन और पानी का त्याग कर दिया और 18वे दिन उनकी भी मृत्यु हो गई दिल्ली में जिस स्थान पर शहीद बालमुकुंद को फांसी दी गई वहां इस अमर शहीद का स्मारक बना दिया गया है जो दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में स्थित है 

क्रांतिकारी बालमुकुंद का इतिहास 

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