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लोक देवता बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय

लोक देवता बाबा रामदेव जी का संपूर्ण जीवन परिचय इतिहास

लोक देवता बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय

बाबा रामदेव राजस्थान के लोक देवता है यह एक समाज सुधारक भी थे इन्होंने अपना संपूर्ण जीवन छुआछूत को मिटाने के लिए लगा दिया बाबा रामदेव ने जीवित समाधि ग्रहण की थी यह हिंदू और मुस्लिम संप्रदाय की एकता का प्रतीक भी हैं इनका पूजा स्थल अजमेर के रुणिचा में है जहां पर हर वर्ष एक बहुत बड़ा मेला लगता है

यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं यहां पर मुस्लिम धर्म के लोग भी आते हैं और बाबा रामदेव को पूजते हैं बाबा रामदेव को भगवान श्री कृष्ण का कल्कि अवतार भी माना जाता है यह 14 वीं सदी के एक शासक थे जिनके पास कुछ चमत्कारी शक्तियां थी बाबा रामदेव जी एक सिद्ध पुरुष थे | लोक देवता बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय |

बाबा रामदेव का जन्म

बाबा रामदेव का जन्म विक्रम संवत 1409 में भाद्रपद शुक्ल दूज को उंडू कश्मीर, तहसील शिव, जिला बाड़मेर में हुआ था इनका जन्म एक राजपूत परिवार में हुआ था इनके पिता जी का नाम अजमल जी था इनकी माता जी का नाम मैंणा देवी था राजा अजमल ने रानी मैनादेवी से विवाह किया राजा अजमल निसंतान होने  से बहुत ही दुखी थे उन्होंने द्वारका जाकर श्री कृष्ण से प्रार्थना की कि उन्हें उनके जैसी संतान प्राप्त हो

इसके बाद रामदेव जी का जन्म हुआ इनके बड़े भाई का नाम वीरमदेव जी था रामदेव जी के तीन बहन थी सुगना, लाछा , और धर्म की बहन डाली बाई यह रामदेव जी की  शिष्य भी थी डाली बाई रामदेव जी को अपना गुरु मानती थी रामदेव जी के सेवक का नाम हरजी भाटी था इनके गुरु का नाम बालीनाथ था रामदेव जी की ध्वजा को नेजा कहा जाता है

जो कि पंच रंग की ध्वजा होती है रामदेव जी को बाबा रामदेव, रामसापीर, रामदेव पीर के नाम से पुकारा जाता है इनकी पूजा संपूर्ण राजस्थान व गुजरात  समेत कई भारतीय राज्य में की जाती है इनकी समाधि स्थल रामदेवरा जैसलमेर पर भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष द्वितीय को भव्य मेला लगता है

रामदेव जी का विवाह

रामदेव जी का विवाह अमरकोट जो कि अब पाकिस्तान में है दलजी सोडा की बेटी निहालदे से हुआ था
बाबा रामदेव जी द्वारा राक्षस का वध
बाबा रामदेव जी उडू कश्मीर से पोकरण आए वहां भैरव राक्षस का वध कर लोगों की रक्षा की उसके बाद रुणिचा जैसलमेर बसाया पश्चिम राजस्थान में पेयजल संकट को देखते हुए रामदेव जी ने विक्रम संवत 1439 में एक तालाब खुदाया जिसे आज उनके नाम से राम सरोवर कहा जाता है

बाबा रामदेव मंदिर के पीछे की तरफ राम सरोवर तालाब है यह लगभग 150 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है एवं 25 फुट गहरा है बारिश से पूरा भरने पर यह सरोवर बहुत ही रमणीय स्थल बन जाता है इस प्रकार रामदेव जी ने राम सागर की स्थापना की वहीं पर डाली बाई के साथ समाधि ली थी | लोक देवता बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय |

बाबा रामदेव जी का चमत्कार

एक बार मक्का से मुस्लिम संप्रदाय के पांच पीर रामदेव जी की शक्तियों का परीक्षण करने आए रामदेव जी ने उनका स्वागत किया तथा उनसे भोजन करने का आग्रह किया फिर पांच पीरों ने मना करते हुए कहा वह सिर्फ अपने निजी बर्तनों में भोजन करते हैं जो कि इस समय मक्का में है इस पर रामदेव जी मुस्कुराए और उनसे कहा कि देखिए आप के बर्तन आ रहे हैं और जब  देखा तो उनके बर्तन मक्का से उड़ते हुए आ रहे थे

रामदेव जी की अक्षमता और शक्तियों से संतुष्ट होकर उन्होंने उन्हें प्रणाम किया तथा उन्हें रामसा पीर का नाम दिया रामदेव जी की शक्तियां प्रभावित होकर पांचो पीरो ने उनके साथ रहने का निश्चय किया उनकी मजारे भी रामदेव जी की समाधि के निकट स्थित है रामदेव जी सभी मनुष्यों की समानता में विश्वास करते थे उन्होंने दलितों को उनकी इच्छा अनुसार फल देकर उनकी मदद की रामदेव जी घोड़े पर सवारी करते थे उनके घोड़े का नाम लीला घोड़ा था बाबा रामदेव जी ने अपने जीवन काल में 24 चमत्कार किए थे

बाबा रामदेव जी द्वारा समाधि ग्रहण करना

बाबा रामदेव जी ने विक्रम संवत 1442 में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को राजस्थान के रुणिचा में जीवित समाधि ले ली थी रामदेव जी की जयंती उनके भक्तों द्वारा संपूर्ण भारत में मनाई जाती है यह तिथि “भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की दूज” पर पड़ती है जिसे बाबेरी बीज कहा जाता है

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