History

रजिया सुल्तान का इतिहास

रजिया सुल्तान का इतिहास रजिया सुल्तान का जन्म रजिया सुल्तान की शिक्षा रजिया सुल्तान का विवाह रजिया सुल्तान की मृत्यु

रजिया सुल्तान का इतिहास

रजिया सुल्तान हिंदुस्तान की गद्दी पर बैठने वाली पहली मुस्लिम औरत थी इससे पहले मुसलमानों के इतिहास में किसी भी औरत ने हुकूमत की गद्दी को नहीं संभाला था रजिया सुल्तान ने गद्दी पर बैठते ही हिंदुस्तान के बड़े-बड़े बादशाहों को अपने सामने झुकने के लिए मजबूर कर दिया था

 रजिया सुल्तान का जन्म

रजिया सुल्तान का जन्म 1205 में हुआ था उन्होंने 1236 से 1240 तक शासन किया था दिल्ली का तख्त उन्हें ने अपने पिता से उत्तराधिकारी के रूप में प्राप्त हुआ था उनके पिताजी का नाम इल्तुतमिश था और माताजी का नाम कुतुब बेगम था | रजिया सुल्तान का इतिहास |

हिंदुस्तान की बागडोर

जब हिंदुस्तान को मोहम्मद गोरी ने फतह कर लिया था मोहम्मद गोरी ने हिंदुस्तान को फतह करने के बाद हिंदुस्तान की हुकूमत की बागडोर अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को दे दी और इस तरह  कुतुबुद्दीन ऐबक हिंदुस्तान का पहला मुस्लिम सुल्तान बना जब 1210 में कुतुबुद्दीन ऐबक की मौत हो गई तो उसके बाद हिंदुस्तान की सल्तनत कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद यानी अल्तमस के पास आई है अल्तमश कुतुबुद्दीन का बेटा नहीं बल्कि गुलाम था इसलिए इनकी सल्तनत को गुलाम सल्तनत के नाम से भी जाना जाता है  रजिया सुल्तान इसी  इल्तुतमिश  की बेटी थी

सुल्तान इल्तुतमिश को रजिया के अलावा 11 बेटे भी थे परंतु उन्हें सबसे ज्यादा भरोसा अपनी बेटी रजिया पर था सुल्तान इल्तुतमिश हर जगह पर हर मामले में अपने लड़कों से ज्यादा अपनी बेटी रजिया सुल्ताना को ही बढ़ावा दिया करता था और सुल्तान की यह आदत उनके 11 बेटे को बड़ी बुरी लगा करती थी वह सोचते थे  कि आखिर हमारी बहन तो एक लड़की है उसके बावजूद भी सुल्तान हम जैसे बहादुरों को छोड़कर एक लड़की को ही इज्जत देता है लेकिन हकीकत भी यही थी कि रजिया सुल्ताना अपने 11 भाइयों से जरा कम नहीं थी वह उनसे होशियारी में तो कहीं आगे  थी, साथ ही साथ वह उनसे बहादुरी में भी आगे थी

रजिया सुल्तान की शिक्षा

 रजिया सुल्तान ने बचपन से ही घुड़सवारी, तीरंदाजी, तलवार बाजी जैसी चीजें बहुत अच्छी तरह से सीख ली थी और वह इनमें अच्छी महारत रखा करती थी सुल्तान को कहीं भी जाना होता था तो पूरी हुकूमत की बागडोर रजिया सुल्ताना के हाथ में ही छोड़कर जाया करता था और सुल्तान की गैरमौजूदगी में पूरी सल्तनत  को रजिया सुल्ताना ही संभाला करती थी सुल्तान इल्तुतमिश को अपनी बेटी पर इतना ज्यादा भरोसा हो गया था कि उसने अपनी बेटी को ही अपना जॉनसिम बना दिया

सुल्तान ने यह फैसला कर दिया कि मेरे मरने के बाद इसका अगला सुल्तान जो होगा वह रजिया सुल्तान ही होगी लेकिन सुल्तान के इस फैसले से दरबारी लोग उनके खिलाफ हो गए उन लोगों ने आवाज़ उठाना शुरू कर दिया आखिर सुल्तान अपने 11 बेटों के होते हुए अपनी बेटी को बढ़ावा कैसे दे सकता है और हम तुर्की के रहने वाले लोग एक औरत की हुकूमत कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं | रजिया सुल्तान का इतिहास |

 इल्तुतमिश सुल्तान के खिलाफ बगावत

 वहीं दूसरी तरफ सुल्ताना इल्तुतमिश की एक बीवी सातुर खान जो रजिया सुल्ताना की सौतेली मां थी अपने बेटे रुकनुद्दीन को सुल्तान बनाने के लिए अंदरूनी तौर पर बगावत कर रही थी लिहाजा सुल्तान ने दरबार और अपनी बीवी के दबाव में आकर अपना यह फैसला बदल लिया और उसने रजिया सुल्ताना की जगह अपने बेटे को अपना खलीफा बनाया जब सुल्तान अल्तमस की मृत्यु हो गई तो उनके फैसले के मुताबिक तो दिल्ली सल्तनत का अगला बादशाह बना दिया गया था

रुकनुद्दीन के खिलाफ विद्रोह

रुकनुद्दीन अय्याशी व्यक्ति था वह पूरे दिन अयाशियां करता रहता था वह अपने सल्तनत पर कोई भी ध्यान नहीं देता था दूसरी तरफ उनकी मां महल में लोगों पर अत्याचार कर रही थी वह अपने दुश्मनों को मरवा रही थी रुकनुद्दीन की माता ने सुल्तान अल्तमस की दूसरी बीवियों का भी कत्ल करवा दिया था वह चाहती थी कि मेरे बेटे रुकनुद्दीन के रास्ते में कोई भी ना आए इसलिए उन्होंने रुकनुद्दीन के सौतेले भाइयों का भी कत्ल करवा दिया था

इस प्रकार उन मां बेटों का अत्याचार दिन पर दिन बढ़ रहे थे उनकी  मां से दरबार के सभी लोग परेशान हो चुके थे जो लोग रजिया सुल्तान को बादशाह बनाने के लिए मना कर रहे थे आज उन्हें ही एक औरत की हुकूमत बर्दाश्त करनी पड़ रही थी इसके बाद लोगों ने रुकनुद्दीन के खिलाफ विद्रोह कर दिया इतनी खतरनाक थी कि खुद रुकनुद्दीन के बड़े-बड़े वजीर उसके खिलाफ हो गए थे और वह बागियों के ग्रुप में जाकर मिल गए थे

रुकनुद्दीन फौज लेकर बागियों को कुचलने के इरादे से निकला लेकिन रुकनुद्दीन कोशिश हुई हार के साथ ही रुकनुद्दीन को गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया जो किसी दौर में रजिया सुल्ताना की हुक्मरान बनने की मुखालिफत किया करते थे अब शर्मिंदा थे | रजिया सुल्तान का इतिहास |

रजिया सुल्तान का राज्याभिषे

जो लोग पहले रजिया सुल्तान को बादशाह बनने से इंकार कर रहे थे उन्हीं लोगों ने बाद में रजिया सुल्तान को बादशाह बना दिया था हिंदुस्तान की गद्दी पर बैठने के बाद रजिया सुल्तान ने हिंदुस्तान में अपने नाम के सिक्के चलाए थे और उन्होंने समाज कल्याण के भी कार्य करवाए थे इस प्रकार 1236 में एक मुस्लिम महिला हिंदुस्तान की गद्दी पर बैठी थी

रजिया सुल्तान ने अपनी सल्तनत के समय अच्छी अच्छी सड़कें और अच्छी लाइब्रेरी जैसी चीजें बनवाई थी इसके बाद रजिया सुल्तान ने तखत पर बैठते ही मर्दों का लिबास पहनना शुरू कर दिया और वह हर काम मर्दों की तरह ही करती थी क्योंकि उन्हें पता था कि तुर्की के लोग एक औरत की हुकूमत को नहीं चलने देंगे वह मर्दों की तरह ही युद्ध किया करती थी और अपनी फौज का नेतृत्व किया करती थी

रजिया सुल्तान के खिलाफ बगावत

कुछ समय के बाद रजिया सुल्तान को जिस बात का डर था वही हुआ सभी बागियों ने रजिया सुल्तान के खिलाफ एक फौज तैयार कर ली ताकि रजिया सुल्तान को गद्दी से हटाया जा सके इस फौज का जो लीडर था वह रुकनुद्दीन का पहले  वजीर था रजिया सुल्तान बहुत ही होशियार थी उन्होंने युद्ध करने की बजाय बागियों में फूट डालने की रणनीति को अपनाया और  बाद में रजिया सुल्तान की यह योजना बहुत ही सफल रही

इसके बाद बागियों की फौज आपस में ही लड़ कर अलग हो गई थी इसके बाद जब रजिया सुल्ताना ने देखा कि इन लोगों की एकता टूट चुकी है तो उन्होंने एक- एक करके फौजी टुकड़ी को मरवा दिया था इस प्रकार रजिया सुल्तान ने अपने खिलाफ होने वाली बहुत बड़ी बगावत को कुचल डाला था इसके बाद लोगों के मन में रजिया सुल्तान के प्रति डर और इज्जत और अधिक बढ़ गया था

काला गुलाम

रजिया सुल्तान के बारे में कहा जाता है कि रजिया सुल्तान के महल में एक काला गुलाम रहा करता था जिसको रिजे सुल्तान ने अपने महल में सबसे ऊंचा पद देख रखा था वह हमेशा रजिया सुल्तान के साथ ही रहता था

रजिया सुल्तान का विवाह

 रजिया सुल्तान ने मलिक अल्तूनिया के साथ विवाह किया जो कि पहले रजिया सुल्तान पर बदचलन के इल्जाम लगाता था एक युद्ध के समय रजिया को बंदी बनाया गया और बाद में उसे मलिक अल्तूनिया के पास कैद में भेजा गया था कुछ समय कैद में रहने के बाद रजिया सुल्तान ने मलिक अल्तूनिया से विवाह करने का फैसला किया और उन्होंने उनके साथ विवाह कर लिया इसके बाद दरबारियों को यह विश्वास हो गया था कि रजिया सुल्तान के ऊपर लगाए गए सभी आरोप गलत थे

इसके बाद रजिया सुल्तान ने अपने पति के साथ मिलकर पंजाब के बठिंडा में एक बड़ी फौज को तैयार किया और वह वापस अपने गद्दी को पाने के लिए दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए निकल पड़ी परंतु इस युद्ध में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था इसके बाद रिजा सुल्तान ने दूसरी बार दिल्ली पर आक्रमण किया इस बार भी रजिया सुल्तान को हार का ही सामना करना पड़ा था

इस युद्ध में उनके भाई की जीत हुई थी जो कि वह समय दिल्ली के तख्त पर बैठा था इसके बाद रजिया सुल्तान इस युद्ध में अकेली रह गई थी और उनके सभी बाकी सैनिक युद्ध को छोड़कर चले गए थे इसके बाद रजिया सुल्तान अकेले ही वापस बठिंडा की ओर निकल पड़ी परंतु भूख के कारण उनकी हालत बहुत अधिक खराब हो चुकी थी इसके बाद रजिया सुल्तान को कुछ दूरी पर चलने के बाद खेत में किसान दिखाई दिया | रजिया सुल्तान का इतिहास |

रजिया सुल्तान की मृत्यु

रजिया सुल्तान ने उस किसान से कुछ खाने के लिए मांगा तो उस किसान ने उन्हें आधी रोटी खाने के लिए दे दी थी आधी रोटी खाने के बाद रजिया सुल्तान आराम करने के लिए वहीं पर लेट गई उन्होंने उस समय अपने शाही लिबास को छुपाकर फकीरों वाले कपड़े पहन रखे थे जब वह आराम कर रही थी तो उनका फकीरों का लिबास थोड़ा सा सरक गया था और उस किसान की नजर रजिया सुल्तान के शाही लिबास पर पड़ी तो उसने देखा कि रजिया सुल्तान ने बहुत से सोने के गहने पहन रखे हैं

उस किसान के मन में लालच आ गया और उसने रजिया सुल्तान को वहीं पर मार दिया और इसके बाद उस किसान ने रजिया सुल्तान को उसी खेत में वहीं पर दफन कर दिया और वह सोने के गहने लेकर वहां से भाग गया इस प्रकार हिंदुस्तान की पहेली हुकूमत करने वाली महिला की अक्टूबर 1240 को मृत्यु हो गई थी बाद में उस किसान को पकड़ लिया गया था और इस बात का पता लगाया गया था कि रजिया सुल्तान की कब्र कहां पर है रजिया सुल्ताना की कब्र आज दिल्ली शहर में मौजूद है

हिंदुस्तान की शान कुतुबमीनार रजिया सुल्तान के पिता इल्तुतमिश ने बनवाई थी

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