लकवा क्या है कारण लक्षण लकवा का देसी इलाज
दुनिया में ऐसी बहुत सारी बीमारियां फैली हुई है जो किसी एक विशेष अंग को अपनी चपेट में लेती है और उसको खत्म कर देती है जिससे वह अंग दोबारा काम नहीं कर पाता और इसी तरह की एक बीमारी लकवा है यह एक ऐसी बीमारी है जो कि मानव शरीर के किसी एक भाग में उत्पन्न होती है .
उसके बाद वह भाग काम करना बंद कर देता है और आजकल यह बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है तो आज के इस ब्लॉग में हम लकवे बीमारी की बारे में ही बात करने जा रहे हैं आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि लकवा क्या है यह कैसे उत्पन्न होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है.
लकवा क्या है
पहले हम बात करते हैं कि लकवा क्या होता है जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया लकवा ऐसी बीमारी है जो कि मानव शरीर के आधे हिस्से को अपना शिकार बनाती हैं और जब किसी को लकवा लगता है तब रोगी के शरीर का आधा भाग बिल्कुल सुन हो जाता है और उस इंसान के शरीर के बाएं या दाएं भाग की मांसपेशियां काम नहीं कर पाती उनकी काम करने की शक्ति और गति या तो कम हो जाती है या बिल्कुल खत्म हो जाती है .
लकवा एक ऐसी बीमारी है जो कि इंसान के एक भाग में ही उत्पन्न होता है वैसे तो लकवा कई प्रकार से हो सकता है जिसमें या तो रोगी के शरीर का आधा हिस्सा या सिर्फ चेहरा ही चपेट में आता है और ऐसा होने पर रोगी के हाथ पांव मुड़ जाते हैं वह चेहरा टेढ़ा हो जाता है
लकवे के कारण
जब किसी को लकवे की समस्या उत्पन्न होती है तब उसके पीछे कई कारण होते है मस्तिष्क के रोग होना जैसे मिर्गी, माइग्रेन, हिस्टीरिया, डायबिटिक कामा आदि इसके अलावा मस्तिष्क में चोट के कारण रक्त का जमा होना, विषम आहार-विहार करना, अधिक हस्तमैथुन, मस्तिष्क आवरण शोथ, मस्तिष्क शोथ
आकस्मिक घटना के कारण अत्यंत दुखी व परेशान होना, उच्च रक्तचाप का बढ़ना, ज्यादा कठोर परिश्रम, व्यायाम करना, अधिक शराब का सेवन करना, कम सोना, गठिया रोग उत्पन्न होना, ठंडे इलाके में रहना, वात उत्पन्न करने वाले पदार्थों का ज्यादा सेवन करना यह कुछ ऐसे लक्षण हैं जिनसे किसी भी व्यक्ति को लकवे की समस्या उत्पन्न हो सकती है
लकवे रोग के लक्षण
जैसा कि हमने आपको ऊपर इस रोग के कारणों के बारे में बताया उस तरह से इस रोग के कई लक्षण भी होते हैं जैसे एक वस्तु दो दिखाई देना, चक्कर आना, कमजोरी आलस रहना, थकावट महसूस होना, बोलने की क्षमता घटना, चेहरे की विकृति, अस्पष्ट बोलना, मुँह का टेढ़ापन, गर्दन का मुड़ना, इसके अलावा प्रभावित अंग में क्रियाहीनता, दुर्बलता, इच्छानुसार अंग न उठा पाना, संज्ञानाश आंखों से धुंधला दिखाई देना, प्रभावित अंगो में दर्द न होना, प्रभावित अंग को उठा न पाना आदि.
क्या-क्या खाना चाहिए
किसी को लकवे की समस्या उत्पन्न हो जाती है तब उस इंसान को खाने पीने की चीजों के ऊपर भी कंट्रोल करने की जरूरत होती है जिससे यह समस्या आगे ना बढ़ सके और इसको धीरे-धीरे कम किया जा सके
- फलों में रोगी को अंगूर, आम, सीताफल, सेब, पपीता खिलाना चाहिए
- रोगी को सब्जियों में लौकी बैंगन करेला अदरक प्याज खिलाना चाहिए
- रोगी को दही, घी, तेल, लस्सी और मक्खन खिलाने चाहिए
- रोगी को हर रोज सोंठ मिला गुड़, सूखे मेवे, बादाम, छुहारा, अखरोट देने चाहिए
- हर रोज 5 कलियां लहसुन पीसकर एक गिलास दूध के साथ लेनी चाहिए
- रोगी को आटे की रोटी, दलिया, बाजरा, उड़द की दाल और पुराने चावलों का सेवन करना चाहिए
- रोगी को हर रोज 5 कलियां लहसुन मक्खन के साथ चबाकर खाने चाहिए
- रोगी को हमेशा सुपाध्ये, पौष्टिक भोजन देना चाहिए
क्या नहीं खाना चाहिए
- रोगी को चाय, कॉफी, तंबाकू और शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ठंडी चीजें जैसे आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, बर्फ और ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए
- रोगी को खटाई युक्त भोज्य पदार्थ नहीं देना चाहिए
- रोगी को मिर्च मसालेदार भोजन नहीं देना चाहिए
- रोगी को आलू, भिंडी, मटर, कद्दू और अरबी की सब्जी नहीं खानी चाहिए
- रोगी को ज्यादा नमक,चीनी गुड़ और बेसन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को नए चावल और अरहर की दाल नहीं खानी चाहिए
क्या करना चाहिए
- रोगी को सहारा देकर चलने फिरने के लिए कहना चाहिए
- रोगी को गर्म पानी से हाथ पैर धोने चाहिए और गर्म पानी से नहाने चाहिए
- रोगी को फिजियोथेरेपिस्ट की सहायता से एक्सरसाइज करवानी चाहिए
- हर रोज नाक में सुबह-शाम अखरोट का तेल लगाना चाहिए
- रोगी को नहलाने के बाद तौलिए से रगड़ कर पूंछना चाहिए वह गर्म कपड़े पहनाने चाहिए
- 500 मिली लीटर सरसों के तेल में पिसी हुई लहसुन 200 ग्राम मिलाकर अच्छी तरह एक उबाल दें फिर ठंडा कर छान लें इससे रोजाना पीड़ित अंग की मालिश करें
क्या नहीं करना चाहिए
- रोगी को सर्दी जुखाम यह समस्या होने पर तुरंत इलाज करवाना चाहिए
- रोगी को शराब और नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ठन्डे पानी से नहाना चाहिए
- रोगी को शराब व नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को ठंडे पानी का सेवन नहीं करना चाहिए
- रोगी को अपने मल मूत्र के वेगो को नहीं रोकना चाहिए
लेकिन फिर भी अगर किसी को लकवे की समस्या आती है तो उसको डॉक्टर के पास जाना चाहिए और डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए या आप कुछ आयुर्वेदिक दवाइयों और ओषधियो का भी इस्तेमाल करती है इसको कंट्रोल कर सकते हैं जिसके बारे में हमने आपको नीचे बताया है इन सभी को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इस्तेमाल करें.
- माषबलादि क्वाथ में हींग और सेंधव की मात्रा मिलाकर रोगी को सेवन करायें।
- रास्नादि क्वाथ के साथ किसी गुग्गुल को दें।
- पक्षाघातारि गुग्गुल 1 माशा की मात्रा में किसी क्वाथ या थ या गर्म पानी के साथ सेवन करायें।
- द्वात्रिंशक गुग्गुल 3 माशा की मात्रा में किसी क्वाथ के साथ सेवन करायें।
रोगी का Treatment चाहें किसी भी चिकित्सा से हो रहा हो लेकिन कसरतें . इस रोग में एक अत्यन्त सफल उपाय है। अतः रोगी को आवश्यक है कि वह अपनी अंगुलियों को कई बार चलाये, हाथ-पैर मोडने का करे। दिन में कई बार हाथ-पैरों को हिलाता-डुलाता रहे। कुछ दिनों के पश्चात रोगी के शरीर पर हल्की मालिश आरम्भ कर देनी चाहिए तथा शरीर के प्रत्येक जोडों को मोडते और फैलाते रहना चाहिए। यह क्रिया निरन्तर तब तक जारी रखनी चाहिए जब तक कि रोगी स्वयं उठने-बैठने योग्य न हो जाये।
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