History

बाबर का इतिहास 

बाबर का इतिहास, बाबर का जन्म, बाबर का विवाह, बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच युद्ध, चंदेरी का युद्ध, बाबर की मृत्यु 

बाबर का इतिहास 

मुगल साम्राज्य के संस्थापक उसकी नींव रखने वाले बाबर ने भारत में कई सालों तक शासन किया मुगलों ने भारत में लगभग 300 सालों तक राज्य किया था अपने पिता की अचानक मृत्यु के बाद बाबर ने मात्र 12 साल की उम्र में पिता के काम को संभाला उन्होंने तुर्किस्तान के फरगना प्रदेश को जीतकर उसके शासक बन गए बचपन से ही बाबर बहुत ही महत्वकांक्षी थे वे अपने लक्ष्य को हमेशा ध्यान में रखते थे 

बाबर का जन्म 

बाबर का जन्म 23 फरवरी 1483 को फरगना घाटी तुर्किस्तान में हुआ था उनके माता जी का नाम कुतलुग निगार खाना और पिताजी का नाम उमर शेख मिर्जा था इनका पूरा नाम जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर था  बाबर तुर्क चुगताई जाति का था 8 जून 1494 में इनके पिताजी की मृत्यु हो गई थी बाबर पर अपने पिता की जिम्मेदारी बहुत ही कम उम्र में आ गई थी इनके पिताजी तैमूर लंग के वंशज थे इनकी माताजी मंगोल वंश की थी इन्हें चंगेज खां का 14 वंशज भी माना जाता है

पने पैतृक स्थान पर फरगना को वह जीत तो गए थे लेकिन ज्यादा दिन तक शासन नहीं कर पाए क्योंकि फरगना पर अहमद मिर्जा ने आक्रमण कर लिया था और अपना कब्जा कर लिया था वे इसे कुछ ही दिनों में हार गए जिसके बाद उसे कठिन समय देखना पड़ा और उन्होंने बहुत मुश्किल से जीवनयापन किया लेकिन इस मुश्किल समय में भी उनके कुछ वफादारो ने उनका साथ नहीं छोड़ा कुछ सालों बाद जब उसके दुश्मन एक दूसरे से दुश्मनी निभा रहे थे तब इस बात का फायदा बाबर ने उठाया और वह 1504 में अफगानिस्तान के काबुल को जीत लिया इसके साथ ही उन्होंने अपना पैतृक स्थान फरगना व समरकंद को भी जीत लिया

बाबर के पूर्वज मिर्जा उपाधि ग्रहण करते थे 1507 ईस्वी में बाबर ने इस मिर्जा उपाधि को त्याग दिया था इसके बाद बाबर ने मिर्जा की उपाधि को हटाकर उसके स्थान पर 1507 में काबुल में बादशाह की उपाधि ग्रहण की थी बाबर की 11 बेगम थी, जिससे उसको 20 बच्चे हुए थे बाबर का पहला बेटा हुमायूं था जिसे उसने अपना उत्तराधिकारी बनाया था बाबर ने तुलुग्मा नीति उच्चबेगो से और तोपखाना एवं बंदूक का प्रयोग इरानियों से सीखा था 

बाबर का विवाह 

बाबर के 11 रानियां थी जिससे उन्हें 20 बच्चे हुए थे आयशा सुल्तान , जेनब सुल्तान, मासूमा सुल्तान, महम सुल्तान, गुलरूख बेगम, दिलदार, मुबारका,  बेगा बेगम बाबर को महम सुल्तान बेगम से हुमायूं पुत्र की प्राप्ति हुई थी बाबर के बेटों वह बेटियों के नाम हुमायूं कामरान मिर्जा,  अस्करी मिर्जा, हिंदल, अहमद, शाहरुख, गुलजार बेगम, गुल रंग, गुलबदन बेगम,गुलबर्ग ,गुलबदन बेगम ने ही हुमायूंनामा की रचना की थी 

बाबर द्वारा भारत पर कब्जा 

बाबर ने भारत पर 5 बार आक्रमण किया था मध्य एशिया में जब बाबर अपना साम्राज्य नहीं चला पाया तब उसकी नजर भारत पर हुई उस समय भारत की राजनीतिक स्थिति अच्छी नहीं थी बाबर को यह समय अपना राज्य फैलाने के लिए उचित लग रहा था उस समय दिल्ली के सुल्तान बहुत सी लड़ाई हार रहे थे जिस वजह से विघटन की स्थिति उत्पन्न हो गई थी भारत के उत्तरी क्षेत्र में कुछ प्रदेश अफगान और राजपूत के अंदर थे लेकिन इन्हीं के आसपास के क्षेत्र स्वतंत्र थे जो कि अफगानी है राजपूतों के क्षेत्र में नहीं आते थे 

इब्राहिम लोधी जो दिल्ली  सुल्तान था एक सक्षम शासक नहीं था पंजाब के गवर्नर दौलत खान इब्राहिम लोदी के काम से बहुत ही असंतुष्ट था इब्राहिम के एक चाचा जी आलम खान जो दिल्ली की सल्तनत के लिए एक मुख्य दावेदार थे बाबर को जानते थे तब आलम खान और दौलत खान ने बाबर को भारत आने का  निमंत्रण भेजा बाबर को यह प्रस्ताव बहुत पसंद आया उसे यह अपने फायदे की बात लगी और वह अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए दिल्ली चला गया बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण 1519 ईस्वी में बाजोर और   भैरा के यूसुफजई जातियों के विरुद्ध किया था और इसी युद्ध में सबसे पहले तोप और बंदूक का प्रयोग किया गया था इसके बाद बाबर ने 1524 में भारत पर आक्रमण करके लाहौर और दीपालपुर को जीत लिया था 

बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच युद्ध 

बाबर ने 21 अप्रैल 1526 को पानीपत की क्षेत्र में इब्राहिम लोदी की सेना से मुकाबला किया और इस युद्ध को जीता जिसके भारतीय इतिहास में पानीपत का प्रथम युद्ध के रूप में जाना जाता है इस युद्ध से उन्होंने दिल्ली में अपनी जीत सुनिश्चित की और उन्होंने भारतीय इतिहास के साथ-साथ मुगल साम्राज्य की दिशा को भी हमेशा के लिए बदल दिया

पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी और ग्वालियर के राजा विक्रमजीत सिंह की मृत्यु युद्ध स्थल पर ही हो गई थी इसके बाद उन्होंने 16 मार्च 1527 में खानवा में राणा सांगा के साथ एक और निर्णायक लड़ाई लड़ी इस लड़ाई में राणा सांगा की हार हुई थी खानवा युद्ध के दौरान ही बाबर ने जिहाद का नारा देकर सभी सैनिकों का कुरान पर हाथ रखवाकर कसम दिलवाई थी कि जब तक जान रहेगी तब तक युद्ध में लड़ते रहेंगेऔर इस जीत के साथ ही बाबर उत्तरी भारत का अविवादित शासक बन गया था इस युद्ध में हजारों राजपूत सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया गया था अंत में बाबर ने सभी राजपूत सैनिकों के सिरों को इकट्ठा करवाया और गाजी की उपाधि धारण की इस युद्ध के बाद बाबर ने काबुल की जगह दिल्ली को शक्ति का केंद्र बनाया था 

चंदेरी का युद्ध चंदेरी का युद्ध

चंदेरी का युद्ध 29 जनवरी 1528 ईसवी को बाबर और मेदनी राय के मध्य हुआ था इस युद्ध में बाबर की विजय हुई और इसी युद्ध में मेदनी राय की भी मृत्यु हो गई थी मेदिनी राय  की दोनों पुत्रियों को हुमायूं और कामरान को सौंप दिया गया था इसके बाद बाबर को अफगानी शासक जो बिहार व बंगाल में राज्य कर रहे थे उनके विरोध का सामना करना पड़ा था मई 1529 में बाबर ने घागरा में सभी अफगानी शासकों को हरा दिया था

इसके बाद बाबर एक मजबूत शासक बन गया था जिसे कोई भी हरा नहीं सकता था इसके पास एक विशाल सेना तैयार हो गई थी कोई भी राजा बाबर को चुनौती देने से डरता था ऐसे में बाबर ने भारत में तेजी से शासन फैलाया वह देश के कई कोनों में गया और वहां उसने बहुत लूट मचाई बाबर बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का नहीं था उसने भारत में कभी भी किसी हिंदू पर इस्लाम अपनाने के लिए दबाव नहीं डाला 

बाबर की मृत्यु 

मरने से पहले बाबर ने पंजाब, दिल्ली, बिहार जीत चुका था मरने से पहले उसने खुद की किताब भी लिखी थी जिसमें उसके बारे में हर छोटी बड़ी बात थी बाबर को एक भयानक बीमारी ने उसे घेर लिया बड़े से बड़े वेद हकीम उसकी बीमारी को ठीक नहीं कर पा रहे थे सब का कहना था कि भगवान ही कुछ कर सकते हैं बाबर ने अपनी एक आत्मकथा लिखी थी जिसका नाम था तुजुक ए बाबरी वह तुर्की भाषा में लिखी गई थी 26 दिसंबर 1530 में बीमारी के कारण आगरा में बाबर की मृत्यु हो गई थी उनका अंतिम संस्कार अफगानिस्तान ले जाकर किया गया था  इसके बाद हुमायूं मुगल शासक बने और दिल्ली की गद्दी पर राज्य किया

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