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 फ्रांसीसी क्रांति से संबंधित जानकारी 

फ्रांसीसी क्रांति से संबंधित जानकारी, 18 वीं सदी में फ्रांसीसी समाज , फ्रांस संवैधानिक राजतंत्र कब बना , महिलाओं को मताधिकार , दास प्रथा लागू 

फ्रांसीसी क्रांति से संबंधित जानकारी 

पेरिस नगर में 14 जुलाई 1789 की सुबह आंतक का माहौल था सम्राट ने सेना को शहर में घुसने का आदेश दे दिया था और पूरे शहर में यह अफवाह फैला दी गई थी कि नागरिकों पर गोलियां चलाई जाएगी इसके बाद लगभग 7000 मर्द और औरतें टाउन हॉल के सामने एकत्रित हुए और उन्होंने एक जन सेना का गठन करने का निर्णय किया

हथियारों की खोज में वे बहुत से सरकारी भवनों में जबरदस्ती घुस गए थे इसके बाद सैकड़ों लोग पेरिस नगर के पूर्वी भाग की ओर चल पड़े और बास्तील किले की जेल को तोड़ डाला जहां पर भारी मात्रा में गोला-बारूद मिलने की संभावना थी वहां घुसकर लोगों ने सभी हथियारों को अपने कब्जे में ले लिया और वहां पर कैदियों को आजाद कर दिया और बात चल के कमांडर को मार डाला

इसके बाद लोगों ने सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक होने के कारण बास्तील किले को तहस-नहस कर दिया क्योंकि वह उस किले से घृणा करते थे और किले के अवशेषों को बाजार में ले जाकर बेच दिया इस घटना के बाद कई दिनों तक पेरिस तथा देश के देहाती क्षेत्रों में कई और संघर्ष हुए अधिकांश जनता पावरोटी की महंगी कीमतों का विरोध कर रही थी | फ्रांसीसी क्रांति से संबंधित जानकारी |

18 वीं सदी में फ्रांसीसी समाज 

1774 में लुई 16 फ्रांस की राजगद्दी पर बैठा था उस समय उनकी उम्र केवल 20 साल की थी जब वह राजगद्दी पर बैठा था तो उसने राजकोष खाली पाया क्योंकि लंबे समय तक चले युद्ध के कारण फ्रांस के वित्तीय संसाधन नष्ट हो चुके थे लुइ 16 के शासनकाल में अमेरिका ने 13 उपनिवेशो को ब्रिटेन से आजाद कराने में सहायता की थी इस युद्ध में फ्रांस पर 10 अरब से भी अधिक का कर्जा जुड़ गया जबकि उससे पहले ही उसके ऊपर 2 अरब का बोझ चढ़ा हुआ था

इसके बाद फ्रांस सरकार से कर्ज दाता 10% ब्याज की मांग करने लगा फ्रांसीसी सरकार अपने बजट का बहुत बड़ा हिस्सा बढ़ते जा रहे कर्ज को चुकाने पर मजबूर थी अपने नियमित खर्चों जैसे सेना के रखरखाव राजदरबार सरकारी कार्यालयों या विश्वविद्यालय को चलाने के लिए फ्रांसीसी सरकार करो में वृद्धि के लिए बाध्य हो गई पर यह कदम भी असफल रहा 18 वीं सदी में फ्रांसीसी समाज 3 स्टेट में बटा हुआ था

केवल तीसरे स्टेट के लोग ही कर अदा करते थे वर्गों में विभाजित फ्रांसीसी समाज मध्यकालीन सामंती व्यवस्था का अंग था ‘प्राचीन राजतंत्र पद’ का प्रयोग सन 1789 से पहले के फ्रांसीसी समाज एवं संस्थाओं के लिए होता था | फ्रांसीसी क्रांति से संबंधित जानकारी |

 फ्रांस संवैधानिक राजतंत्र कब बना 

नेशनल असेंबली ने सन 1791 में संविधान का प्रारूप पूरा कर लिया इसका मुख्य उद्देश्य था सम्राट की शक्तियों को सीमित करना एक व्यक्ति के हाथ में केंद्रीकृत होने के बजाय अब इन शक्तियों को विभिन्न संस्थाओं कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में विभाजित कर दिया गया था इस प्रकार फ्रांस में संविधानिक राजतंत्र की नींव पड़ी थी इसके बाद 1791 के संविधान में कानून बनाने का अधिकार नेशनल असेंबली को सौंप दिया था

नेशनल असेंबली अप्रत्यक्ष रूप से चुनी जाती थी सर्व प्रथम नागरिक एक निर्वाचित समूह का चुनाव करते थे जो सदस्यों को चुनते थे सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार नहीं था 25 वर्ष से अधिक उम्र वाले केवल ऐसे पुरुषों को ही नागरिक मतदान का अधिकार था जो कम से कम 3 दिन की मजदूरी के बराबर कर देते थे निर्वाचक योग्यता प्राप्त करने तथा असेंबली का सदस्य होने के लिए लोगों को करदाताओं की उत्तम श्रेणी में होना जरूरी था

संविधान पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणा पत्र के साथ शुरू हुआ था अप्रैल 1792 में नेशनल असेंबली ने परसा एवं ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा का प्रस्ताव पारित कर दिया था प्रांतों से हजारों स्वयंसेवी सेना में भर्ती होने के लिए जमा होने लगे उन्होंने इस युद्ध को यूरोपीय राजाओं एवं कूलीनो के विरुद्ध जनता की जंग के रूप में लिया उनके होठों पर देशभक्ति के जो तराने थे नवनिर्वाचित असेंबली को ‘कन्वेंशन’ का नाम दिया गया

21 सितंबर 1792 को इसने राजतंत्र का अंत कर दिया और फ्रांस को एक गणतंत्र घोषित कर दिया गणतंत्र सरकार का वह रूप है जहां सरकार एवं उसके प्रमुख का चुनाव जनता करती है इसके बाद लुई 16 को न्यायालय द्वारा देशद्रोह के आरोप में मौत की सजा सुना दी गई 21 जनवरी 1793 को उसे सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी गई थी 1793 से 1794 तक के काल को आंतक का युग भी कहा जाता है उस समय गणतंत्र के जो भी शत्रु थे जैसे कुलीन एवं पादरी, अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य ,उसकी कार्यशैली से असहमति रखने वाले पार्टी सदस्य उन सभी को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया और एक क्रांतिकारी न्यायालय द्वारा उन पर मुकदमा चलाया गया

यदि न्यायालय ने दोषी पाता तो गिली टोन पर चढ़ाकर उनका सिर कलम कर दिया जाता था गिली टोन दो खंभों के बीच लटकते आरे वाली मशीन था जिस पर रखकर अपराधी का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था इस मशीन का नाम उसके आविष्कारक डॉक्टर गिलीटोन के नाम पर पड़ा था | फ्रांसीसी क्रांति से संबंधित जानकारी |

महिलाओं को मताधिकार 

महिलाओं ने अपने हितों की हिमायत करने और उन पर चर्चा करने के लिए खुद के राजनीतिक क्लब शुरू किए और अखबार निकाले फ्रांस के विभिन्न नगरों में महिलाओं के लगभग 60 क्लब अस्तित्व में आए उनमें द सोसाइटी ऑफ़ रिवॉल्यूशनरी एंड रिपब्लिकन विमेन’ सबसे मशहूर क्लब था

महिलाओं की एक प्रमुख मांग थी कि उनको भी पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए महिलाओं ने भी मताधिकार असेंबली के लिए चुने जाने तथा राजनीतिक पदों की मांग रखी थी उनका मानना था कि तभी नई सरकार में उनके हितों का प्रतिनिधित्व हो पाएगा प्रारंभिक वर्षों में क्रांतिकारी सरकार ने महिलाओं के जीवन में सुधार लाने वाले कुछ कानून लागू किए थे सरकारी विद्यालयों की स्थापना के साथ ही सभी लड़कियों के लिए स्कूली शिक्षा को अनिवार्य बना दिया गया था

अब पिता उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ शादी के लिए बाध्य नहीं कर सकते थे शादी को स्वैच्छिक अनुबंध माना गया और नागरिक कानूनों के तहत उनका पंजीकरण किया जाने लगा तलाक को कानूनी रूप दे दिया गया और मर्द औरत दोनों को ही इसकी अर्जी देने का अधिकार दिया गया अब महिलाएं व्यवसाय प्रशिक्षण ले सकती थी कलाकार बन सकती थी और छोटे-मोटे व्यापार कर सकती थी अंत में सन 1946 में फ्रांस की महिलाओं ने मताधिकार हासिल कर लिया था | फ्रांसीसी क्रांति से संबंधित जानकारी |

दास प्रथा लागू 

18 वीं सदी में फ्रांस में दास प्रथा की अधिक निंदा नहीं हुई नेशनल असेंबली में लंबी बहस हुई कि व्यक्ति के मूलभूत अधिकार उपनिवेशो रहने वाली प्रजा सहित समस्त फ्रांसीसी प्रजा को प्रदान किए जाएं या नहीं परंतु दास व्यापार पर निर्भर व्यापारियों के विरोध के भय से नेशनल असेंबली में कोई कानून पारित नहीं किया गया लेकिन 1794 के कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशो में सभी देशों की मुक्ति का कानून पारित कर दिया पर यह कानून एक छोटी सी अवधि तक की लागू रहा

10 वर्ष बाद नेपोलियन ने दास प्रथा फिर से शुरू कर दी थी बागान मालिकों को अपने आर्थिक हित साधने के लिए अफ्रीकी लोगों को गुलाम बनाने की स्वतंत्रता मिल गई फ्रांसीसी उपनिवेश से अंतिम रूप से दास प्रथा का उन्मूलन 1848 में किया गया 1804 में नेपोलियन बोनापार्ट ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया था उसने पड़ोस के यूरोपीय देशों की विजय यात्रा शुरू की पुरानी राजवंशों को हटाकर उसने नए साम्राज्य बनाएं और उनकी बागडोर अपने खानदान के लोगों के हाथ में दे दी थी

नेपोलियन खुद को यूरोप का आधुनिकरण का अग्रदूत मानता था उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा के कानून बनाए और दशमलव पद्धति पर आधारित नापतोल की एक समान प्रणाली चलाई थी आखिरकार 1815 में वोटर लू में नेपोलियन की हार हुई थी उसके क्रांतिकारी उपायों का असर उसकी मृत्यु के काफी समय बाद सामने आया | फ्रांसीसी क्रांति से संबंधित जानकारी |

 

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