लॉर्ड वेलेजली का इतिहास, लॉर्ड वेलेजली का जन्म, लॉर्ड वेलेजली की नीति, बसीन की संधि, लॉर्ड वेलेजली की मृत्यु
लॉर्ड वेलेजली का इतिहास
लॉर्ड वेलेजली जॉन शोर के बाद 26 अप्रैल 1798 में भारत के गवर्नर जनरल बनकर आए थे वह एक साम्राज्यवादी व्यक्ति थे क्योंकि जिस समय लॉर्ड वेलेजली भारत के गवर्नर जनरल बनकर आए उस समय भारत की राजनीतिक स्थिति बहुत ही खराब थी | लॉर्ड वेलेजली का इतिहास |
लॉर्ड वेलेजली का जन्म
लॉर्ड वेलेजली का जन्म 20 जून 1760 को हुआ था
मैसूर में उस समय टीपू सुल्तान का शासन हुआ करता था उस समय हैदराबाद के निजाम फ्रांसीसीयो से सहायता प्राप्त कर रहे थे उस समय मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय नाम मात्र के शासक थे पंजाब में महाराजा रंजीत सिंह ने बहुत अधिक शक्ति बढ़ा ली थी मराठों का उत्तर एवं मध्य भारत में विस्तार था इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए लॉर्ड वेलेजली को जनरल गवर्नर बनाकर भेजा गया था क्योंकि उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी को कोई भी फायदा नहीं हो रहा था
लॉर्ड वेलेजली की नीति
लॉर्ड वेलेजली ने जॉन शोर की अहस्तक्षेप नीति का परित्याग कर साम्राज्यवादी नीति को अपनाया था लॉर्ड वेलेजली की भारतीय राजाओं तथा नवाबों के साथ मैत्री संबंध स्थापित करने की नीति को भारतीय इतिहास में सहायक संधि के नाम से जाना गया है लॉर्ड वेलेजली को सहायक संधि का जन्मदाता भी माना जाता है
सहायक संधि की शर्ते
इस संधि को स्वीकार करने वाले राजा तथा नवाब को कंपनी का आधिपत्य स्वीकार करना पड़ता था और अपने राज्य में अपने ही खर्च पर अंग्रेजी सेना रखनी होती थी तथा अपने दरबार में एक अंग्रेज रेजिडेंट भी रखना पड़ता था इस सहायक संधि स्वीकार करने वाले राजा तथा नवाब के मध्य आपस में किसी भी प्रकार का झगड़ा हो जाए तो उनको अंग्रेजों को मध्यस्थ बनाना पड़ता था और अंग्रेजी कंपनी के निर्णय को स्वीकार भी करना पड़ता था इन शर्तों को जो राज्य स्वीकार कर लेता था उस राज्य के बाहरी आक्रमणों तथा आंतरिक विद्रोह से रक्षा की जिम्मेदारी ईस्ट इंडिया कंपनी की होती थी
सहायक संधि से ईस्ट इंडिया कंपनी को बहुत ही फायदा हुआ और उसका देसी राजाओं की भारी नीतियों पर अधिकार स्थापित हो गया था ईस्ट इंडिया कंपनी का खर्च कम हो गया था क्योंकि जो सेना देशी राजाओं के राज्य में रहती थी उसका पूरा खर्च देशी राजाओं , नवाब को देना पड़ता था इस संधि के अंतर्गत जो सेना देशी राज्यों में रहती थी उसके कारण ईस्ट इंडिया कंपनी का राज्य बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित हो गया और ईस्ट इंडिया कंपनी को अनेक युद्धों से छुटकारा मिल गया था
सहायक संधि का प्रभाव
सहायक संधि के द्वारा देशी राजा तथा नवाब शक्ति हीन हो गए थे उनका अपने राज्य की बाहरी नीतियों पर कोई अधिकार नहीं रह गया था क्योंकि वह अंग्रेजों की आज्ञा के बिना न तो किसी से संधि कर सकते थे और ना ही किसी से युद्ध कर सकते थे अंग्रेजी कंपनी की सेना रखने वाले राजाओं को सेना का पूरा खर्च देना पड़ता था इस कारण उनको आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ा था
देशी राजाओं को अंग्रेजी सेना रखना अनिवार्य था इससे बहुत से देशी सैनिक बेरोजगार हो गए थे और राज्यों में बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई थी देशी राजाओं के सामने आर्थिक संकट होने के कारण जनता को अधिक करो का बोझ सहन करना पड़ा जिससे जनता को बड़े कष्टों का सामना करना पड़ा था
सहायक संधि को स्वीकार करने वाले राज्य
सहायक संधि को सबसे पहले हैदराबाद के निजाम ने 1798 में स्वीकार किया था और सहायक संधि की शर्तों के अनुसार निजाम को अपने राज्य मे 6 बटालियन अंग्रेजी सेना रखनी पड़ी थी इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने टीपू सुल्तान को सहायक संधि स्वीकार करने के लिए मजबूर किया परंतु टीपू सुल्तान ने सहायक संधि स्वीकार करने से इंकार कर दिया और इसके बाद मई 1799 ईसवी में टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के बीच भीषण युद्ध हुआ
जिसमें अंग्रेजी सेना जीत गई थी और इस युद्ध में टीपू सुल्तान की मृत्यु हो गई थी लार्ड वेलेजली की सहायक संधि का अगला शिकार अवध राज्य हुआ अवध के नवाब शहादत अली खान ने 1801 में सहायक संधि को स्वीकार कर लिया था सहायक संधि का अगला निशाना पेशवाओ को बनाया गया और दिसंबर 1802 में पेशवा और अंग्रेजों के बीच में बसीन की संधि हुई थी | लॉर्ड वेलेजली का इतिहास |
बसीन की संधि
पेशवा ने अंग्रेजों की पूरी अनुमति के बिना किसी भी राज्य से संघर्ष न करने का वादा किया अंग्रेजो ने अपने 60,000 सैनिकों के स्थाई रूप से बाजीराव द्वितीय के क्षेत्र में रखने का आश्वासन दिया लॉर्ड वेलेजली की सहायक संधि को इंदौर के होल्कर शासकों ने स्वीकार नहीं किया था भारत में सबसे पहले सहायक संधि की शुरुआत फ्रांसीसी गवर्नर डुप्ले के द्वारा की गई थी
लॉर्ड वेलेजली की मृत्यु
लॉर्ड वेलेजली खुद को बंगाल का शेर कहता था लॉर्ड वेलेजली के शासनकाल 1800 में नागरिक सेवा में भर्ती किए गए युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए कोलकाता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की गई थी लॉर्ड वेलेजली का कार्यकाल 1798 -1805 के मध्य में रहा था लॉर्ड वेलेजली की 26 सितंबर 1842 को मृत्यु हो गई थी
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