मोहम्मद पैगंबर का इतिहास
मोहम्मद पैगंबर का इतिहास
व्यक्ति के जीवन में धर्म का एक अलग ही महत्व है किसी के लिए यह मोक्ष का रास्ता होता है तो किसी के लिए एक अच्छा इंसान बनने का दुनिया में आज के समय कुल 4300 धर्म है जिनमें हिंदू, ईसाई, और इस्लाम दुनिया के यह सबसे बड़े धर्म माने जाते हैं इस्लाम धर्म का श्रेय मोहम्मद पैगंबर को जाता है क्योंकि उन्होंने सातवीं सदी की शुरुआत में इस्लाम धर्म का प्रचार और प्रसार किया था आज दुनिया में 25% लोग इस धर्म को मानते हैं | मोहम्मद पैगंबर का इतिहास |
मोहम्मद पैगंबर का जन्म
मोहम्मद पैगंबर का जन्म अरब देश के मक्का शहर में इस्लामिक महीने रबी उल अव्वल के दौरान 22 अप्रैल 571 ईसवी में हुआ था उनके पिता का नाम अब्दुल्ला और माता का नाम आमीना था पैगंबर मुहम्मद अरब की मशहूर कुरैश खानदान में पैदा हुए थे जो उस समय अपने आप में एक अलग कबीला भी हुआ करता था उनका जन्म होने से लगभग 6 महीने पहले ही उनके पिता अब्दुल्लाह का निधन हो गया था और जन्म होने के तुरंत बाद ही पैगंबर मुहम्मद को रेगिस्तान में रहने वाले एक परिवार को सौंप दिया गया उस समय मक्का शहर का मौसम हद से ज्यादा गर्म और उमस भरा हुआ करता था जबकि रेगिस्तान का मौसम लोगों की रहने के लिए ज्यादा अनुकूल था ऐसे में अरब के लोग यह मानते थे कि नवजात बच्चों का मक्का में रहना उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है और इसीलिए वहां पर नए जन्मे बच्चों को कुछ समय के लिए रेगिस्तानी लोगों को सौंपने का रिवाज बन गया था
रेगिस्तान में रहने वाले खानाबदोश लोग भदोही कहे जाते थे पैगंबर मुहम्मद जिस रेगिस्तानीऔरत को सोपे गए थे उनका नाम हलीमा था हल्लीमा ने 2 साल की उम्र तक उनका पालन पोषण किया था और इसके बाद उन्हें वापस उनकी असली मां आमीना को सौंप दिया गया वह अगले 4 साल तक अपने बेटे की परवरिश करती रही लेकिन इसके बाद एक गंभीर बीमारी हो जाने की वजह से उनका भी देहांत हो गया
पैगंबर मोहम्मद सिर्फ 6 साल की उम्र में ही अनाथ हो गए थे माता-पिता दोनों का ही देहांत हो जाने की वजह से मोहम्मद के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उनके दादा अब्दुल पर आ गई थी लेकिन 2 साल के बाद उनका भी देहांत हो गया दादा की गुजर जाने के बाद उनकी परवरिश की जिम्मेदारी उनके चाचा अबू तालिब ने अपने कंधों पर ले ली पैगंबर मुहम्मद बचपन से ही काफी मेहनती थे जिसके चलते उन्होंने बहुत कम उम्र में अपने चाचा के काम में हाथ बढ़ाना शुरू कर दिया था और सिर्फ 9 साल की उम्र से व्यापार सीखने के लिए अपने चाचा के साथ सेरिया व्यापारिक सफर पर भी जाने लगे थे
मोहम्मद पैगंबर की बाईरा से मुलाकात
सेरिया के ही एक सफर के दौरान पैगंबर मोहम्मद की मुलाकात ईसाई धर्म के एक विद्वान से हुई जिसका नाम बाईरा था उस विद्वान ने भविष्यवाणी करते हुए उनके चाचा से यह कहा था कि यह लड़का आगे जाकर महान काम करेगा उस समय पैगंबर मोहम्मद की उम्र सिर्फ 12 साल थी बताया जाता है कि उस जमाने में अरब के लोग अपनी झूठ फरेब और के लिए मशहूर हुआ करते थे लेकिन इसके विपरीत पैगंबर मोहम्मद शुरुआत से ही बेहद ईमानदार और सच बोलने वाले इंसान थे
वह हमेशा ही कम बोला करते थे लेकिन जब भी बोलते तो उनके मुंह से मीठे शब्द ही निकलते थे सेरिया के लोग उनके स्वभाव को देखकर हैरान रह जाते क्योंकि उस समय अरब में ऐसे किसी इंसान का हो ना कोई आम बात नहीं था उनकी इसी स्वभाव के कारण लोगों ने उन्हें “ अल अमीन और अल सादिक ” नामों से पुकारना शुरू कर दिया था जिनका मतलब भरोसेमंद और सच्चा होता है | मोहम्मद पैगंबर का इतिहास |
मोहम्मद पैगंबर का विवाह
मोहम्मद पैगंबरअपने स्वभाव के कारण मक्का में इतने प्रसिद्ध हो गए कि एक महिला ने उन्हें शादी तक का प्रस्ताव भेज दिया था इस महिला का नाम खदीजा था और वह 40 साल की एक विधवा औरत थी इस समय पैगंबर मोहम्मद की उम्र 25 साल थी और यह पहली बार था कि उन्हें किसी ने शादी का प्रस्ताव भेजा था
उम्र में इतना फर्क और उस महिला के विधवा होने के बावजूद भी उन्होंने शादी के इस प्रस्ताव को कबूल कर लिया और इस तरह हजरत खदीजा पैगंबर मोहम्मद की पहली पत्नी बनी मोहम्मद पैगंबर और कविता के कुल 6 बच्चे हुए चार बेटियां और दो बेटे थे उनके दोनों बेटे 3 साल तक जिंदा रह पाए जबकि उनकी उम्र 23 से 30 साल के बीच रही थी पैगंबर मोहम्मद ने अपने जीवन काल में कुल 13 शादियां की थी लेकिन संतान की प्राप्ति उन्हें अपनी 2 पत्नियों से ही हुई थी |मोहम्मद पैगंबर का इतिहास
मोहम्मद पैगंबर का व्यक्तित्व
पैगंबर मोहम्मद के व्यक्तित्व में ऐसी बातें थी जो उन्हें अरब के दूसरे लोगों से अलग बनाती थी वह कभी भी अकेले भोजन करना पसंद नहीं करते थे साथ ही खाने से पहले और खाने के बाद वह हमेशा हाथ धोते और दूसरों को भी ऐसा करने को कहते उस समय मक्का के लोग इतने सीधे नहीं होते थे कि किसी की बात को इतनी आसानी से मान ले उस जमाने में मक्का के उस दुष्ट लोगों ने पाप करने की सभी हदों को पार कर दिया था
इन लोगों के लिए चोरी व डकैती करना, शराब पीना,महिलाओं से गलत व्यवहार करना और मासूम लोगों की जान लेना बिल्कुल आम बात थी यहां तक कि अपने घर में बेटी पैदा होने पर खुद अपने हाथों से उसकी जान ले लेते थे और जुल्म का आलम यह था कि सिर्फ अपनी तलवार की धार जांचने के लिए मासूम लोगों की गर्दन काट देते थे लोगों में फैली इस बुराई को देखकर पैगंबर मुहम्मद बहुत दुखी होते थे और यह सब देखकर जब उनका मन परेशान हो जाता तो वह कुछ समय के लिए हीरा नाम की एक गुफा में चले जाते ताकि उनके मन को शांति प्राप्त हो सके
मोहम्मद पैगंबर की शिक्षा
इस्लामी परंपराओं में यह माना जाता है कि साल 610 ईसवी के दौरान पैगंबर मुहम्मद इस गुफा में गए तो स्वर्ग दूत जिब्रील ने उन्हें दर्शन दिए जिब्रील ने उन्हें कुरान की कुछ आयतें पढ़कर सुनाई और कहा कि उनके पीछे-पीछे इन शब्दों को याद करें इसके बाद मोहम्मद पैगंबर ने जिब्रील के साथ साथ आयतें पढ़ीइसके बाद जिब्रील ने मोहम्मद से कहा कि जाओ और लोगों को कुरान की शिक्षा दो क्योंकि अल्लाह ने तुम्हें अपना आखिरी नबी चुना है |मोहम्मद पैगंबर का इतिहास
मोहम्मद पैगंबर को नबी के रूप में चुनना
जिब्रील ने पैगंबर से कहा अल्लाह ने तुम्हें अपना आखिरी लास्ट मैसेंजर गॉड चुना है उस समय उनकी उम्र 40 साल थी इसके बाद मोहम्मद पैगंबर खुद को नवी चुने जाने की बात सुनकर काफी परेशान और बेचैन हो गए थे इसके बाद उन्होंने घर वापस आकर जब अपनी इस परेशानी के बारे में बताया तो उनकी पत्नी खदीजा और उनके चचेरे भाई द्वारा आश्वासन दिया गया उन्हें यह चिंता थी कि अरब के दुष्ट लोग उनके नवी होने की बात को किस तरह कबूल करेंगे सबसे पहले उनकी पत्नी हजरत खरीजा ने उन्हें पैगंबर को नवी होने को कबूल किया था
इसके बाद उनके एक करीबी दोस्त और उनकी गोद लिए बेटे ने उन्हें अपना पैगंबर कबूल किया 3 साल तक यह लोगों को कुरान और इस्लाम सिखाते रहे उन्होंने 613 ईसवी में पहली बार आम लोगों को कुरान की शिक्षाएं देना शुरू किया शुरुआत में ज्यादातर लोगों ने उनकी शिक्षाओं का विरोध करते हुए मजाक बनाया लेकिन धीरे-धीरे लोगों को उनकी बातें समझ आने लगी और बहुत से लोग उनसे जुड़ना शुरू हो गए जिब्रील अल्लाह का जो संदेश लाता था उसे पैगंबर कुरान के द्वारा लोगों तक पहुंचता था 610 ईसवी से अगले 23 सालों तक जिब्रील यह संदेश पैगंबर तक पहुंचाता रहा मोहम्मद पैगंबर ने जो कुरान लिखा था उसमें इन्ही संदेशों को लिखा गया है
मोहम्मद पैगंबर की मृत्यु
लोगों को कुरान की शिक्षा देते हुए 8 जून 632 ईस्वी को मोहम्मद पैगंबर का देहांत हो गया उन्होंने अपने जीवन में लोगों को अच्छाई का रास्ता अपनाने के लिए शिक्षाएं दी थी मोहम्मद पैगंबर ने सातवीं सदी में कुरान का प्रचार और प्रसार शुरू किया था | मोहम्मद पैगंबर का इतिहास |