ओमप्रकाश जिंदल का जीवन परिचय
ओमप्रकाश जिंदल का जन्म
ओमप्रकाश जिंदल का जन्म 7 अगस्त 1930 को हरियाणा के हिसार जिले के नलवा गांव में हुआ था इनके पिता का नाम नेतराम था वह एक किसान थे इनकी माता जी का नाम चंद्रावल था इनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था परंतु बचपन से इन्हें एक चीज आकर्षित करती थी वह थी मशीन मशीन का आकर्षण उन्हें अपनी ओर खींच लेता था वह मशीन के प्रति वह इस आकर्षण को दिल में बसाए सन 1950 में अपने भाइयों के साथ कोलकाता पहुंचे पक्के इरादों ने रंग दिखाया श्री ओ पी जिंदल ने अपने हाथों से एक यूनिट डिजाइन किया और सन 1952 में कोलकाता में इस पहली स्टील पाइप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की नींव रखी
कोलकाता में उनका व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रहा था लेकिन ओ पी जिंदल के मन में एक इच्छा थी वह इच्छा वापस अपनी मिट्टी अपनी मातृभूमि में लौटने की थी डगर मुश्किल थी राह कठिन थी लेकिन कर्म युद्ध के योद्धा ने हर मुश्किल को हरा दिया “ मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मग, लोग मिलते गए कारवां बनता गया ” अब बाऊ जी अकेले नहीं थे उनकी उन्नति की इस रहा में उनके चारों बेटे उनके साथ थे पृथ्वीराज जिंदल, सजन, रतन और सबसे छोटे बेटे नवीन बाऊ जी के मार्गदर्शन में उनके चारों बेटों ने जिंदल आर्गेनाइजेशन को उन्नति के शिखर पर पहुंचाया हालांकि बाऊ जी की गिनती देश के जाने-माने उद्योगपतियों में होती थी |ओमप्रकाश जिंदल का जीवन परिचय
ओमप्रकाश जिंदल का स्वभाव
ओमप्रकाश जिंदल सादगी एक किसान की थी जो अपनी मिट्टी से प्रेम करता है वह अपनी संस्कृति अपनी जड़ों को कभी नहीं भूले उनके भीतर का किसान आज भी जीवित था बाऊ जी का लक्ष्य समाज और देश की सेवा करना था वह हमेशा आम इंसान के दुख दर्द के भागीदार बने वह हमेशा गरीबों की सेवा में तत्पर रहना चाहते हैं और इसकी शुरुआत उन्होंने अपनी जन्मभूमि हिसार से की थी “ एनसी जिंदल चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन ” के रूप में उन्होंने 500 बिस्तरों वाले एनसीजिंदल आई व जनरल अस्पताल की शुरुआत की जहां हजारों गरीबों का मुफ्त इलाज होता है शिक्षा को बाऊ जी ने हमेशा बहुत महत्व दिया सभी लड़कियों का पढ़ना जरूरी है जब एक लड़की पढ़ती है तो दो घर बसते हैं एक लड़का पढ़ता है तो एक घर बसता है
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हिसार में खोला गया 10-12 विद्या देवी जिंदल रेजीडेंसी दिल्ली में चलाया जा रहा 4हजार बच्चों का एनसी जिंदल पब्लिक स्कूल भी अपनी तरह की एक मात्र संस्था है बाऊ जी के निस्वार्थ भाव को ध्यान में रखकर उन्हें सर्वसम्मति से महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज अग्रोहा का चेयरमैन मनोनीत किया गया इसके अलावा बहुत ही देश की अनेकों सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से भी जुड़े रहे हैं बाऊ जी का भरसक प्रयत्न रहा कि गरीब व पिछड़े वर्ग के नवयुवक हर प्रकार से व्यवसाय शिक्षा और जन सेवा में आगे आकर समाज को समृद्ध बनाएं बाऊ जी के पास भगवान का दिया सब कुछ था लेकिन फिर भी एक बात उनके मन को हमेशा खटकती रही कि सेवा का लाभ शायद सीमित समाज तक ही पहुंचता है |ओमप्रकाश जिंदल का जीवन परिचय
ओमप्रकाश जिंदल की राजनीति
बाऊ जी छोटे स्तर की राजनीति में फैले करप्शन से बहुत आहत है भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहते थे और इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शुरू हुआ उनका राजनीतिक संघर्ष बाऊ जी को इस संघर्ष में जनता का भरपूर समर्थन मिला और परिणाम स्वरूप 1991 में हरियाणा विधानसभा के सदस्य इसके तुरंत बाद 11वीं लोकसभा में “ कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र ” से भारी मतों से विजई होकर सांसद निर्वाचित हुए बाऊ जी एक आम आदमी के नेता थे गरीबों से मिलना उनकी समस्याएं सुनना और उन्हें हल करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया बाऊ जी ने पिछड़े वर्ग के विकास को सर्वोपरि मानकर कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र में एमपी लोकल डेवलपमेंट और गरीबों और पिछड़े वर्ग के लिए कई विकास कार्य किए थे
इसके बाद सन 2000 में इलेक्शन में बाबूजी एक बार हिसार विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक के रूप में निर्वाचित हुए रिकॉर्ड मतों से कांग्रेस को इस जीत के 27 साल के अंतराल के बाद हिसार सीट मिली बाऊ जी के मार्गदर्शन में उनके पुत्र नवीन जिंदल लोगों की आकांक्षाओं की कसौटी पर खरे उतरे नवीन जिंदल ने 2004 में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर भारी मतों से विजय हासिल की बाऊ जी के पद चिन्हों पर चलते हुए नवीन ने समाज सेवा के लिए आगे आकर बाऊ जी और जनता दोनों की आकांक्षाओं का पूरा पूरा मान रखा बाऊ जी को हरियाणा सरकार में ऊर्जा मंत्री का पद दिया गया बाबू जी ने मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदेश की जनता को यह विश्वास दिलाया कि बिजली मंत्री में हरियाणा में बिजली को पानी की तरह बहा दूंगा और इसके बाद लोगों की खुशीका ठिकाना ना रहा था |ओमप्रकाश जिंदल का जीवन परिचय
ओम प्रकाश जिंदल की मृत्यु
ईश्वर ने भविष्य पटल पर कुछ और ही लिखा था भविष्य के गर्भ में कुछ और ही छुपा था 31 मार्च 2005 की सुबह एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में श्री ओ पी जिंदल की मृत्यु हो गई बाऊ जी का जीवन किसान से सांसद ,उद्योग पति, समाजसेवी व एक सफल राजनीति के रूप में प्रेरणा का स्रोत है इस्पात उद्योग के पुरोधा थे राजनीति के शिखर पुरुष थे यकीन नहीं होता राष्ट्र ने एक महान आत्मा ,जरूरतमंदों ने उनका मसीहा और इस्पात जगत ने एक अमूल्य रत्न खो दिया है अपनी विशिष्ट जीवन काल में श्री ओ पी जिंदल अपनी सच्चाई ईमानदारी कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत बुलंदियों तक पहुंचे और अपनी सेवाभाव प्रेम और स्नेह की बदौलत आम इंसान के हृदय में बस गए थे हमेशा हमेशा के लिए आप सदा हमारे प्रेरणा के स्रोत रहेंगे आपके नैतिक मूल्य सदा हमारे पथ प्रदर्शक रहेंगे आप आगामी पीढ़ी के लिए आदर्श नायक के रूप में सदा जीवित रहेंगे कभी ओपी जिंदल तो कभी बाऊ जी बनकर |ओमप्रकाश जिंदल का जीवन परिचय