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सप्त ऋषियों का इतिहास

सप्त ऋषियों का इतिहास ऋषि वशिष्ठ ऋषि विश्वामित्र ऋषि  कश्यप ऋषि भारद्वाज ऋषि अत्रि ऋषि वामदेव शौनक ऋषि 

सप्त ऋषियों का इतिहास

हिंदू धर्म मैं वेद पुराणों को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया गया है और चार वेद होते हैं जिनमें हजारों मंत्र हैं और इन सभी मंत्रों की रचना करने में बहुत सारे ऋषियों का वरदान रहा है लेकिन इन ऋषियों में सप्त ऋषि ऐसे हैं जिनका हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा योगदान माना गया है आकाश में 7 तारों का एक मंडल नजर आता है उन्हें सप्तर्षियों का मंडल कहा जाता है यानी कि उनको सप्त ऋषि मंडल कहा जाता है उक्त मंगल के तारों के नाम भारत के महान साधु- संतो के आधार पर ही रखें गए हैं 

| सप्त ऋषियों का इतिहास |

ऋषि वशिष्ठ

ऋषि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुल गुरु थे राजा दशरथ के चार पुत्र श्री राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न के गुरु थे वशिष्ट के कहने पर दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेज दिया था कामधेनु गाय के लिए वशिष्ठ और विश्वामित्र में युद्ध हुआ था 

ऋषि विश्वामित्र

ऋषि विश्वामित्र  रिशु के बनने से पहले विश्वमित्र एक राजा थे और वह ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को हड़पना चाहते थे इसके लिए उन्होंने युद्ध भी किया था लेकिन वह वशिष्ठ ऋषि से हार गए थे इस हार ने ही उन्हें घोर तपस्या के लिए प्रेरित किया था विश्वामित्र की तपस्या मेनका ने भंग की थी विश्वामित्र ने एक नए स्वर्ग की रचना भी कर दी थी यहां तक कि विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की है जो आज भी सबसे चमत्कारी मंत्र है

ऋषि  कश्यप

 यह वैदिक काल के ऋषि थे इन्होंने अपने आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके पुत्र भरत का पालन पोषण किया था भरत के नाम पर ही इस देश का नाम भारत पड़ा था इन्होंने   ज्ञान विज्ञान और अनिष्ट निवारण संबंधी असंख्य मंत्रों की रचना की है | सप्त ऋषियों का इतिहास |

 ऋषि भारद्वाज

वैदिक ऋषियों में भारद्वाज ऋषि का सबसे ऊंचा स्थान है भारद्वाज ऋषि के पिताजी बृहस्पति देव और माता ममता थी भारद्वाज ऋषि श्री राम के जन्म से पहले अवतरित हुए थे उनकी लंबी आयु का पता इस बात से चलता है कि बनवास के समय श्रीराम उनके आश्रम में गए थे भारद्वाज ऋषि ने वेदों में कई मंत्र भी रचे थे हैं उन्होंने भारद्वाज समृद्धि और भारद्वाज संगीता की भी रचना की है इन्होंने  इंद्र को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके सो- सो वर्ष के 3 जन्मों का वरदान मांगा था ऋषि भारद्वाज वेदों का अध्ययन करना चाहते थे लेकिन समय की कमी के कारण ऐसा ना कर सके 

ऋषि अत्रि

महर्षि अत्रि ब्रह्मा के पुत्र सोंग के पिता और कर्दम प्रजापति देव की पुत्री अनुसूया के पति बताए गए हैं और एक कथा के मुताबिक अत्री जब अपने आश्रम से बाहर गए थे, तब त्रिदेव अनुसूया के घर ब्राह्मण के भेष में भिक्षा लेने पहुंचे थे जिसे अनुसूया ने बालक बना दिया था माता अनुसूया ने देवी सीता को पतिव्रत धर्म का उपदेश दिया था यह भगवान दत्तात्रेय चंद्रमा दुर्वासा के माता-पिता हैं | सप्त ऋषियों का इतिहास |

ऋषि वामदेव 

ऋषि वामदेव ने संगीत की रचना की यह गौतम ऋषि के पुत्र थे भरतमुनि के द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र वामदेव से प्रेरित है और हजारों साल पहले रचे गए शाम देव में संगीत और वाद्य यंत्रों की पूरी जानकारी भी मिलती है | सप्त ऋषियों का इतिहास |

शौनक ऋषि

प्राचीन समय में शौनक ऋषि 10000 विद्यार्थियों का गुरुकुल स्थापित किया था कुलपति बनने का सम्मान भी हासिल किया था किसी ऋषि ने ऐसा सम्मान पहली बार हासिल किया था इन्होंने कई मंत्रों की रचना भी की है भृगुवंशी शुनक ऋषि के पुत्र थे यह प्रसिद्ध वैदिक आचार्य थे  शौनक शब्द का अर्थ होता है- समझदार, महान ऋषि इनका पूरा नाम इंद्रोतदैवाय शौनक था।

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