History

कवि भूषण का जीवन परिचय 

कवि भूषण का जीवन परिचय, कवि भूषण का जन्म , कवि भूषण का साहित्यिक परिचय, कवि भूषण की रचना ,  कवि भूषण की मृत्यु 

कवि भूषण का जीवन परिचय 

रीतिकालीन कवियों में कवि भूषण अप्रिय है इन्होंने राष्ट्रीयता देश अनुराग, हिंदू धर्म, जाति रक्षा आदि भावों को अपनाकर इन भावों की रक्षा करने वाले राजा, महाराजाओं का यशोगान किया है

कविता के माध्यम से इन्होंने जातीय एकता का भाव भरा है यही कारण है कि भूषण के समक्ष उस समय का कोई कवि टिक नहीं पाया वह अपने समय के बेजोड़ कवि हैं इनका साहित्य महाराजा शिवाजी और छत्रसाल का जीवन साहित्य ही नहीं, यह संपूर्ण हिंदू जनता का गौरव साहित्य है | कवि भूषण का जीवन परिचय |

कवि भूषण का जन्म 

सरिता में वीर रस की प्रबल धार बहाने वाले कवि भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश में कानपुर के तिकवापुर गांव में 1613 ईस्वी में हुआ था इनके पिता रत्नाकर त्रिपाठी थे इनका मूल नाम घनश्याम था तथा भूषण इन की उपाधि है एक दिन भाभी के ताना देने पर उन्होंने घर छोड़ दिया और कई आश्रम में गए

यहां आश्रय प्राप्त करने के बाद शिवाजी के आश्रम में चले गए और अंत तक वही रहे इन्हें छत्रपति शिवाजी तथा छत्रसाल महाराज के दरबार में विशेष सम्मान प्राप्त हुआ था कवि भूषण की रचनाओं में शिवराज भूषण, छत्रसाल दशक, भूषण हजारा व भूषण उल्लास आदि का उल्लेख किया जाता है

उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना “शिवराज भूषण” है भूषण की रचनाओं में राष्ट्रीयता की भावना वीरता के उदगार व ओज गुण का वैशिष्ट्य कवि की वाणी देशवासियों के लिए आज भी प्रेरणादाई है चित्रकूट के राजा रुद्रदेव ने इनकी काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर इन्हें कवि भूषण की उपाधि से अलंकृत किया था | कवि भूषण का जीवन परिचय |

कवि भूषण का साहित्यिक परिचय

राष्ट्रीय भावनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति इनके काव्य की सबसे बड़ी विशेषता रही है इनके काव्य की दूसरी बड़ी विशेषता वीर रस की अद्भुत व्यंजना है इस कारण इन हिंदी साहित्य का प्रथम राष्ट्रीय कवि कहा जा सकता है

गौर विलासिता के युग में लोगों के मनों में सुप्त  राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करने के लिए यह प्रशंसा के पात्र हैं भूषण जी की कविता की मुख्यता भाषा ब्रजभाषा है साथ ही प्राकृत बुंदेलखंडी और खड़ी बोली के शब्दों का भी प्रयोग किया गया है इन के काव्य में ओजयुक्त शैली मौजूद है भूषण जी की साहित्य सेवाओं के कारण इन्हें रीतिकाल के कवियों में एक विशेष स्थान प्राप्त है

भूषण जी ने अपनी रचनाओं में वीर रस को सम्मिलित किया इन्होंने अपने काव्य रचनाओं में असहाय हिंदू समाज की वीरता को दर्शाया है इनकी कविता में वीर रस, दानवीर और धर्मवीर के वर्णन प्रचुर मात्रा में मिलते हैं भूषण जी ने वीर नायकों के सद्गुणों से परिपूर्ण रचनाओं का गुणगान किया है इनकी रचनाओं में दृश्य रचना काफी प्रसिद्ध है इन्होंने युद्ध के दृश्यों को बहुत ही अच्छे तरीके से चित्रित किया है | कवि भूषण का जीवन परिचय |

कवि भूषण की रचना 

महाकवि भूषण द्वारा लिखे गए तीन ग्रंथ प्रसिद्ध है शिवराज भूषण, शिवा बावनी, छत्रसाल दशक यह तीनों ही रचनाएं वीर रस से युक्त है इन ग्रंथों में वीर रस के कवि शिवाजी और छत्रसाल की वीरता का वर्णन किया गया है इनके अन्य ग्रंथ भूषण उल्लास, भूषण हजारा, आदि भी है

भूषण ने शिवाजी को एक ऐसे महापुरुष के रूप में प्रस्तुत किया है जिसने देश की रक्षा के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था शिवाजी ने मुगलों से टक्कर ली और मुस्लिम हत्याचारों का विरोध करते हुए हिंदुओं के धर्म की रक्षा की थी उन्होंने कहा है कि शिवाजी ना होते तो मुगल शासक तलवार के जोर से हिंदू धर्म का संपूर्ण नाश करके सब को मुसलमान बना देते 

 कवि भूषण की मृत्यु 

कवि भूषण जी रीतिकाल के मुख्य दो कवि बिहारी और केशव में से मात्र एक कवि थे कवि भूषण जी को भारतीय संस्कृति का प्रमुख भगत माना जाता है जब सब रीतिकाल युग के कवि अपने राजाओं के लिए श्रृंगार रस में रचनाएं कर रहे थे

उसी समय भूषण जी ने अपने ओजस्वी वाणी से राष्ट्रीयता का सिंहनाद किया और उन्होंने अपने काव्य ग्रंथों में राष्ट्रीयता के प्रति जो प्रेम भाव जागृत किया इसके लिए वे आज भी लोगों के द्वारा याद किए जाते हैं भूषण जी वीर रस के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं1705 में कवि भूषण का देहांत हो गया था भूषण जी की अभिलाषा था कि हिंदू जाति का गौरव बड़े और उन्नति हो | कवि भूषण का जीवन परिचय |

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