रावण का इतिहास रावण का जन्म रावण और यमराज के बीच युद्ध रावण और बाली के बीच युद्ध लंका का निर्माण रावण की मृत्यु
रावण का इतिहास
तीनो लोक में सभी देवता रावण से बहुत डरते थे क्योंकि रावण अत्यंत बलशाली था उसने नौ ग्रहों को अपने पास बंदी बनाकर रखा हुआ था समय भी रावण की इच्छा से ही चलता था कहने को तो रावण लंका का राजा था लेकिन रावण ने अपने राज्य का विस्तार लंका से इंडोनेशिया ,मलेशिया ,और दक्षिण भारत के दूर-दूर स्थानों तक कर रखा था आज से 5076 ईसवी पूर्व श्री राम के द्वारा रावण का वध हुआ था हिंदू धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार रावण लंका का राजा था उसने छल से माता सीता का अपहरण कर लिया था और उसने श्री राम से युद्ध किया और अंत में श्री राम के हाथों रावण मारा गया था
रावण का जन्म
रावण में अनेक गुण थे रावण सारस्वत ब्राह्मण पुलिस थे पुलसत्य ऋषि का पोता था और विश्रवा का पुत्र था रावण शिव का परम भक्त था वह एक राजनीतिज्ञ, महा प्रतापी, महा पराक्रमी योद्धा था अत्यंत बलशाली व्यक्ति था रावण शास्त्रों का ज्ञाता, प्रखंड विद्वान, महापंडित ,महा ज्ञानी था रावण के शासनकाल में लंका का वैभव अपने चरम स्तर पर था और उसने अपना महल पूरी तरह से स्वर्ण रंजीत बनाया हुआ था और इसीलिए उसकी लंका नगरी को “सोने की लंका, सोने की नगरी” कहा जाता था रावण सरस्वती का महान उपासक था रावण छह शास्त्रों और चार वेदों का ज्ञाता था जिसके कारण उसे दशानन कहा जाता था
रावण की माता कैक्सी ने अशुभ समय में कूबेला में गर्भ धारण किया था और इसी वजह से रावण राक्षसी गुणों के साथ पैदा हुआ लेकिन रावण शिव का भक्त था रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने को शिव को अर्पित कर दिया रावण की कठोर तपस्या को देखकर भोलेनाथ शिव प्रसन्न हो गए और भोलेनाथ शिव ने रावण को कई वरदान दिए ऋषि विश्रवा ने रावण को धर्म और पंडित की शिक्षा प्रदान की थी इसके बाद रावण ने माता के परामर्श पर ब्रह्मा की तपस्या की क्योंकि वह अपने सौतेले भाई कुबेर से अधिक बलवान और शक्तिशाली बनना चाहता था
रावण द्वारा की गई ब्रह्मा की पूजा
रावण को दसग्रीव भी कहा जाता है रावण एक महान तपस्वी था उसने 10000 सालों तक ब्रह्मा की कठिन तपस्या की और रावण की तपस्या के कारण ब्रह्मा जी को रावण को वरदान देना ही पड़ा ब्रह्मा जी रावण को वरदान देना नहीं चाहते थे लेकिन 10 हजार साल की कठोर तपस्या के कारण ब्रह्मा जी को रावण के समक्ष प्रकट होना ही पड़ा
रावण ने ब्रह्मा से वरदान मांगा कि देवता, दानव, गंधर्व, किन्नर कोई भी उनका वध ना कर सके रावण की मानसिकता कुछ ऐसी थी कि वह मनुष्य को तुच्छ समझता था इसलिए उन्होंने ब्रह्मा जी से वरदान मांगते समय मनुष्य का नाम नहीं लिया था इसलिए भगवान श्री हरि को रावण का वध करने के लिए मनुष्य रूप में राम का अवतार लेना पड़ा था | रावण का इतिहास |
रावण और यमराज के बीच युद्ध
रावण काल पर विजय प्राप्त करना चाहता था और इसीलिए उसने अपनी सेना लेकर स्वयं काल रूप मृत्यु के देवता यमराज पर आक्रमण कर दिया और दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ संपूर्ण ब्रह्मांड में रावण के समान कोई तांत्रिक नहीं हुआ रावण बेहद मायावी था वह इंद्रजाल, तंत्र, सम्मोहन और विभिन्न प्रकार के जादू जानता था रावण भगवान शंकर को अपने साथ में लंका ले जाना चाहता था
क्योंकि वह अपने बल में और अपनी भक्ति में बेहद अहंकारी हो गया था तो एक दिन उसने पूरे कैलाश को उठाकर ही लंका ले जाने का प्रयास किया एक दिन वह जब कैलाश को उठाने लगा तो देवी सती, आदि शक्ति, मां पार्वती बहुत क्रोधित हो गई उन्होंने रावण को श्राप देते हुए कहा अरे अभिमानी रावण-आज से तू राक्षसों में गिना जाएगा क्योंकि तेरी प्रवृत्ति राक्षसों जैसी हो गई है,तू अभिमानी और अहंकारी हो गया है | रावण का इतिहास |
रावण और बाली के बीच युद्ध
एक दिन रावण का बंदरों के राजा बाली के साथ युद्ध हो गया था बाली और रावण के युद्ध में बाली ने रावण को पटक-पटक बहुत माराबाली ने उसे अपनी पूंछ में लपेट लिया था उस दिन रावण का घमंड चूर हो गया रावण 6 महीने तक बाली की कैद में रहा था रावण अमर होना चाहता था वह मरना नहीं चाहता था इसलिए उन्होंने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा
किंतु ब्रह्मा जी ने अमर होने का वरदान देने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया और तब रावण ने प्रचंड शक्तियां और ब्रह्मास्त्र वरदान में लिया रावण श्री राम की पत्नी सीता के सौंदर्य को देखकर मुक्त हो गया था और इसी वजह से उसने सीता का अपहरण किया था | रावण का इतिहास |
लंका का निर्माण
रावण बेहद रूपवान था बेहद खूबसूरत था उसे देखकर सभी स्त्रियां मोहित हो जाती थी कहते हैं कि श्रीराम भी रावण को देखकर मुग्ध हो जाते थे रावण की माता एक राक्षसी थी जबकि उसके पिता एक महान ऋषि थे और इसी वजह से रावण के अंदर देवताओं और राक्षसों के दोनों गुण थे रावण के बारे में कहा जाता है कि वह बाहर से तो दिखाने के लिए श्रीराम से दुश्मनी रखता था
उनको अपना शत्रु मानता था लेकिन मन से वह उनका भक्त था मरते समय रावण के मुंह से राम नाम ही निकला था उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में रावण की 210 फीट ऊंची लंका मीनार बनी हुई है इसके अंदर रावण के पूरे परिवार के चित्र बने हुए हैं इस मीनार को मथुरा प्रसाद जी द्वारा बनवाया गया था इस लंका मीनार का निर्माण 1875 ईस्वी में करवाया गया था
रावण की मृत्यु
रावण की मृत्यु चैत्रवदी चतुर्थी को युद्ध भूमि में हुई थी रावण की मृत्यु का प्रमुख कारण विभीषण थे उन्होंने श्री राम को यह रहस्य बताया था कि रावण की नाभि में अमृत कुंड का वास है
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