History

सम्राट अशोक का जीवन परिचय और इतिहास

सम्राट अशोक का जीवन परिचय और इतिहास 

सम्राट अशोक का जन्म

सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व में पटना के पाटलिपुत्र में होता है इनके पिता जी का नाम बिंदुसार था और इनकी माता जी का नाम सुभद्रांगी था इनके दादा जी का नाम चंद्रगुप्त मौर्य था यह मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य के तीसरे शासक थे बिंदुसार के 16 पटरानी  थी और 101 पुत्र थे जब अशोक का जन्म हुआ तो राजा बिंदुसार ने जब उन्हें देखा तो वह काफी कुरूप लगे उनकी  त्वचा थोड़ी रुखी थी 

राजा बिंदुसार अशोक को देखना भी पसंद नहीं करते थे सम्राट अशोक के लिए राजा बन्ना आसान नहीं था राजा बिंदुसार अपने सबसे बड़े बेटे सुशीम को बहुत पसंद करते थे वह अपने बड़े बेटे सुशीम को राजगद्दी देना चाहते थे अशोक सम्राट का पूरा नाम देवनाम्प्रिया अशोक मौर्य  प्रियदर्शी था यानी कि देवताओं का प्रिय, अशोक को सम्राट बनाने में चाणक्य के पोते राधा गुप्त का बहुत अधिक योगदान रहा है अशोक सम्राट समृद्ध राजाओ में एक महान सम्राट थे मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखंड भारत पर राज्य किया था उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिंदू, तक्षशिला की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी तक फैला हुआ था | सम्राट अशोक का जीवन परिचय और इतिहास

ज्योतिषी द्वारा भविष्यवाणी

एक दिन बिंदुसार ने अपने सभी बेटों को परीक्षा के लिए बुलाया और ज्योतिषी पिंगल वत्स को भी अपने महल में बुलाया राजा बिंदुसार ने ज्योतिषी से कहा कि  इन्हें देखकर यह बताओ कि इनमें से कौन राजा बनेगा जब सम्राट अशोक परीक्षा के लिए मगध की राजधानी पाटलिपुत्र से राज वन के लिए जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में बिंदुसार का मंत्री राधा गुप्त मिला |

राधा गुप्ता उन्हें अपने साथ हाथी पर बिठा लिया जब परीक्षा पूरी हुई तो राजा बिंदुसार ने ज्योतिषी से पूछा कि इनमें से कौन राजा बनेगा क्योंकि राजा बिंदुसार अशोक को पसंद नहीं करते थे इसलिए  पिंगल वत्स ने सीधा जवाब नहीं दिया कि कौन इनमें से राजा बनेगा बल्कि कुछ संकेत ही दिए थे जैसे कि जिस की सवारी सबसे श्रेष्ठ थी जिसका आसन सबसे ऊंचा था इस तरह से पिंगल वत्स ने अशोक  के सम्राट बनने के संकेत दिए थे |

सम्राट अशोक का विवाह

सम्राट अशोक के 5 पत्नियां थी सम्राट अशोक ने 286 ईसा पूर्व में महारानी देवी से विवाह किया इसके बाद 266 ईसा पूर्व में रानी पद्मावती से विवाह किया 270 ईसा पूर्व में संधि मित्रा से विवाह किया इसके बाद तिष्यरक्षा से विवाह किया  इसके बाद करुवकी से विवाह किया |सम्राट अशोक का जीवन परिचय और इतिहास

सम्राट अशोक का राज्य अभिषेक 

बिंदुसार की मृत्यु के बाद 269 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक का राज्य अभिषेक किया गया सम्राट अशोक भारत के सबसे शक्तिशाली एवं महान सम्राट थे  सम्राट अशोक को चक्रवर्ती सम्राट अशोक कहा जाता है, जिसका अर्थ है- सम्राटों का सम्राट, यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को मिला है 273 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक राज गद्दी पर बैठे थे कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने राजगद्दी पाने के लिए अपने 99 भाइयों की हत्या कर दी थी | सम्राट अशोक का जीवन परिचय और इतिहास

सम्राट अशोक  द्वारा युद्ध

एक बार जब मगध के एक राज्य तक्षशिला में विद्रोह हो गया तो राजा बिंदुसार ने अशोक को बुलाया और तक्षशिला युद्ध के लिए भेजा बिंदुसार ने अशोक के सैनिकों को बिना किसी हथियार के ऐसे ही भेज दिया था इसके बाद भी अशोक वह युद्ध जीत गए थे 

दूसरी बार फिर से जब  तक्षशिला में विद्रोह हुआ तो इस बार बिंदुसार ने अपने बड़े बेटे सुशीम को युद्ध के लिए भेजा था इसके बाद बिंदुसार बहुत अधिक बीमार हो गए थे और उसने अपने मंत्री राधा  गुप्त को  सुशीम को तक्षशिला के युद्ध से वापस बुलाने के लिए कहा और अशोक को उसकी जगह युद्ध में भेजने के लिए कहा परंतु राधा गुप्त भी नहीं चाहता था कि सुशीम राजा बने इसलिए राधा गुप्त ने अशोक सम्राट को पाटलिपुत्र बुलाया और दोनों राजा बूंदी सर के पास पहुंच गए |

सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म को अपनाना

कलिंग युद्ध के 2 वर्ष पहले ही सम्राट अशोक भगवान बुध की मानवतावादी शिक्षकों से प्रभावित होकर बौद्ध अनुयाई हो गए थे कलिंग के युद्ध के बाद सम्राट अशोक बहुत अधिक बदल गए थे जब उन्होंने युद्ध में इतनी मार काट को देखा तो वह बहुत अधिक दुखी हुए और उन्होंने यह सब देख कर बौद्ध धर्म को अपना लिया इसके बाद उन्होंने  युद्ध करने का वचन दिया राजा अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाने के संपूर्ण एशिया में और सभी महाद्वीपों में बौद्ध धर्म का प्रचार और प्रसार किया राजा अशोक ने धीरे-धीरे अपना सब कुछ दान कर दिया था | सम्राट अशोक का जीवन परिचय और इतिहास

राष्ट्रीय स्तंभ की स्थापना 

हमारे भारत का राष्ट्रीय प्रतीक जो सत्ता में है उसकी स्थापना भी सम्राट अशोक ने ही की थी और जो हमारे तिरंगे में जो चक्कर है वह भी सम्राट अशोक की देन है | सम्राट अशोक का जीवन परिचय और इतिहास

सम्राट अशोक की मृत्यु 

232 ईसा पूर्व में पटना के पाटलिपुत्र में सम्राट अशोक की मृत्यु हो गई थी सम्राट अशोक के संदर्भ के स्तंभ एवं शिलालेख आज भी भारत के कई स्थानों पर दिखाई देते हैं सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे थे सम्राट अशोक के ही समय में 23 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई जिसमें तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद कुणाल को उत्तराधिकारी बनाया गया था |

सम्राट अशोक का धर्म

सम्राट अशोक का धर्म है प्राणियों का बदला करना किसी भी प्रकार की जीव  हिंसा ना करना , माता पिता तथा बड़ों की आज्ञा मानना, गुरुजनों के प्रति आदर, मित्र,  संबंधियों, ब्राह्मण के प्रति दान शीलता तथा उचित व्यवहार करना था |

सम्राट अशोक का जीवन परिचय और इतिहास

 

 

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