History

मोहम्मद गौरी का इतिहास

मोहम्मद गौरी का इतिहास 

मोहम्मद गौरी का जन्म 

932 ईसवी में अलप्तगिन ने  गजनी साम्राज्य की स्थापना यह एक   तुर्क सरदार था अलप्तगिन की मृत्यु के बाद गजनी का शासक प्रीति  गिन बना था इसका शासन 972 -977 तक रहा  था प्रीति गिन के शासनकाल में भारत पर सबसे पहले तुर्क आक्रमण हुआ था मोहम्मद गौरी का जन्म 1149 ईस्वी अफगानिस्तान में हुआ था मोहम्मद गोरी 1173 ईस्वी में गजनी साम्राज्य का शासक बना था इनका पूरा नाम शाहबुद्दीन था मोहम्मद गोरी कभी हार नहीं मानने वाला योद्धा और कुशल अफगान सेनापति था जिस का भारत पर आक्रमण कर भारत को जीतने का उद्देश्य मोहम्मद कासिम और मोहम्मद गजनी के उद्देश्य से अलग था

मोहम्मद गोरी न सिर्फ भारत पर लूटपाट कर भारत पर अपना सिक्का चलाना चाहता था बल्कि उस का मुख्य उद्देश्य भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना करना था इसलिए भारतीय इतिहास में तुर्क राज्य का संस्थापक मोहम्मद गौरी को ही माना गया है इन्होंने अपने सैनिकों की मदद से अफगानिस्तान के आसपास के राज्यों में अपना अधिकार जमा लिया था और बाद में उसने गजनी को अपनी राजधानी बनाया था |मोहम्मद गौरी का इतिहास 

मोहम्मद गोरी द्वारा किया गया युद्ध 

इन्होंने भारत पर पहला आक्रमण  मुल्तान पर 1175 ईस्वी में किया था उस समय वहां पर सिया मत को मानने वाले करामाता शासन कर रहे थे इस युद्ध में मोहम्मद गौरी जीत गए थे इसके बाद 1186 में मोहम्मद गोरी ने लाहौर पर आक्रमण किया थाजब इसका भाई 1202 में मरा तो शहाबुद्दीन मोहम्मद गोरी सुलतान बन गया इसके बाद में भारत में इस्लामिक राज्य की स्थापना करने के उद्देश्य से गोरी ने 1178 ईस्वी में गुजरात पर आक्रमण किया उस समय गुजरात का शासक भीम द्वितीय था जिनके साथ में  इनका सामना हुआ था इस युद्ध में मोहम्मद गौरी की हार हो गई थी और भीम द्वितीय जीत गया था जो कि चालुक्य वंश के थे मोहम्मद गोरी अफगान के रहने वाले थे 

मोहम्मद गोरी ने भारत पर अधिकार करने का सपना साकार करने के मकसद से 1179 से 1186 के बीच पंजाब पर फतह हासिल की थी वह जिस समय उसने पंजाब पर आक्रमण किया जब पंजाब में महमूद शासक शासन संभाल रहे थे इस तरह  मोहम्मद गौरी ने उन्हें हराकर पंजाब पर कब्जा कर लिया था |मोहम्मद गौरी का इतिहास  

तराइन का युद्ध 

पृथ्वीराज के शत्रु राजा जयचंद ने मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज से युद्ध करने के लिए उकसाया और वादा किया कि वे गोरी की इस युद्ध में मदद करेंगे इसके बाद 1191 ईस्वी में मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच तराइन का युद्ध हुआ इस युद्ध में मोहम्मद गोरी हार गए थे इसके बाद वह वापस अफगान चले गए इस युद्ध को “ तराइन का प्रथम युद्ध ” के नाम से जाना जाता है पहले युद्ध में हार जाने के बाद मोहम्मद गोरी ने अपनी सैन्य शक्ति को और अधिक बढ़ा कर फिर से पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया

इसके बाद 1192 ईस्वी में तराइन का द्वितीय युद्ध हुआ इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान हार गए थे और मोहम्मद गौरी जीत गए थे इसके बाद मोहम्मद गौरी पृथ्वीराज चौहान को  अपने साथ अफगान ले गया मोहम्मद गोरी का पृथ्वीराज चौहान से 16 बार युद्ध हुआ था और इस तरह मोहम्मद गोरी ने चौहान साम्राज्य का नाश कर दिल्ली और अजमेर पर जीत हासिल कर ली वही तराइन के एक दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के सबसे विश्वासपात्र सामंत और दिल्ली के शासक गोविंद राज की मौत हो गई  इसके बाद 1194 ईस्वी में मोहम्मद गौरी और जयचंद के बीच चंदावर का  युद्ध हुआ इस युद्ध में जयचंद हार गए थे |मोहम्मद गौरी का इतिहास 

मोहम्मद गौरी की मृत्यु

15 मार्च 1206 ईस्वी में पृथ्वीराज चौहान ने अपनी शब्दभेदी बाण की अद्भुत कला से मोहम्मद गौरी के दरबार में आयोजित तीरंदाजी प्रतियोगिता में गोरी को मार दिया और इसके बाद पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई भी मारे गए थे मोहम्मद गौरी एक अफगान योद्धा था जिसने अपने राज में कई तुर्क सेवादार रखे हुए थे  जिनको गोरी ने अच्छी सैन्य और, प्रशासनिक शिक्षा भी दी थी जिसकी वजह से गोरी अपने गुलाम तुर्क सेना का भरोसा जीतने में सफल रहा था 

उसकी सेना में कई ऐसे सैनिक भी थे, जो मोहम्मद गोरी के लिए अपने प्राण त्यागने को भी तैयार रहते थे मोहम्मद गोरी ने अपने राज में विशेष प्रकार के सिक्के भी चलाए थे “ जिनके एक तरफ कलमा खुदा रहता था जबकि दूसरी तरफ लक्ष्मी की आकृति बनी हुई थी ” मोहम्मद गौरी की मृत्यु के बाद इनके सेनापति कुतुबुद्दीन को दिल्ली का क्षेत्र मिल जाता है और उन्होंने गुलाम वंश की स्थापना की थी गुलाम वंश ने 1206 से 1290तक शासन किया, परंतु उनके शासन की नींव पर ही दिल्ली के तख्त पर अन्य विदेशी मुस्लिमों ने कई सालों तक राज किया जो कि करीब 1707 ईसवी तक औरंगजेब की मृत्यु तक चला |मोहम्मद गौरी का इतिहास 

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